- भारत,
- 14-Nov-2025 05:46 PM IST
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए वोटों की गिनती जारी है और शुरुआती रुझानों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) एक बड़ी जीत की ओर बढ़ता दिख रहा है। इन रुझानों ने राज्य की राजनीतिक गलियारों में कई तरह की कयासबाजियों को जन्म दे दिया है, खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भविष्य को लेकर। जहां एक तरफ एनडीए की जीत लगभग तय मानी जा रही है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी उठ रहा है कि। क्या नीतीश कुमार इस गठबंधन में पहले की तरह ही केंद्रीय भूमिका में रहेंगे या फिर उनके लिए परिस्थितियाँ बदल सकती हैं।
वर्तमान रुझानों के अनुसार, एनडीए बिहार में स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती दिख रही है, जिसने सर्वाधिक सीटों पर बढ़त बना रखी है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) भी अच्छी संख्या में सीटों पर आगे चल रही है, लेकिन भाजपा से पीछे है। दूसरी ओर, महागठबंधन, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं, रुझानों में काफी पिछड़ता नजर आ रहा है। तेजस्वी यादव अपनी पार्टी राजद की साख बचाने के लिए संघर्ष करते दिख रहे हैं, जबकि जदयू 80 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। यह स्थिति बिहार की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत दे रही है, जहां सत्ता का संतुलन बदल सकता है।
नया समीकरण: नीतीश के बिना एनडीए?
सबसे बड़ी कयासबाजी यह है कि क्या एनडीए बिहार में नीतीश कुमार के बिना भी सरकार बना सकता है और आंकड़ों के अनुसार, यह एक व्यवहार्य विकल्प प्रतीत होता है। यदि भाजपा, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) एक साथ आते हैं, तो वे बहुमत का आंकड़ा आसानी से पार कर सकते हैं और वर्तमान रुझानों के मुताबिक, भाजपा 95 सीटों पर, लोजपा (आर) 20 सीटों पर, हम 5 सीटों पर और आरएलएम 4 सीटों पर आगे चल रही है। इन सभी को जोड़ने पर कुल 124 सीटें बनती हैं, जो बहुमत के लिए आवश्यक 122 सीटों से 2 अधिक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा अपनी संख्या को और बढ़ाने के लिए कांग्रेस के 3, लेफ्ट के 2 और बसपा के 1 विधायकों को भी अपने पाले में ला सकती है, जिससे उसकी स्थिति और मजबूत होगी। यह परिदृश्य बिहार में पहली बार भाजपा के मुख्यमंत्री की संभावना को जन्म देता है।
जदयू का रहस्यमय डिलीटेड ट्वीट
इन चुनावी रुझानों के बीच, एक घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। जनता दल (यूनाइटेड) के आधिकारिक 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से नीतीश कुमार की. एक तस्वीर साझा की गई, जिसके कैप्शन में लिखा था, "न भूतो न भविष्यति.. नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री थे, हैं और रहेंगे। " यह पोस्ट कुछ ही देर बाद डिलीट कर दिया गया। इस ट्वीट के डिलीट होने से कई सवाल खड़े हो गए हैं। क्या यह पार्टी के भीतर किसी आंतरिक असहमति का संकेत था? या यह गठबंधन के भीतर किसी संभावित नए समीकरण की आहट थी? इस घटना ने नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही अटकलों को और हवा दे दी है। इससे पहले, पटना में पार्टी मुख्यालय के सामने एक पोस्टर भी लगाया गया था, जिस पर 'टाइगर अभी जिंदा है' लिखा था, जो नीतीश कुमार के मजबूत नेतृत्व का संदेश देने का प्रयास था, लेकिन डिलीटेड ट्वीट ने एक अलग ही कहानी बयां कर दी।
नया समीकरण: नीतीश के बिना एनडीए?
सबसे बड़ी कयासबाजी यह है कि क्या एनडीए बिहार में नीतीश कुमार के बिना भी सरकार बना सकता है और आंकड़ों के अनुसार, यह एक व्यवहार्य विकल्प प्रतीत होता है। यदि भाजपा, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) एक साथ आते हैं, तो वे बहुमत का आंकड़ा आसानी से पार कर सकते हैं और वर्तमान रुझानों के मुताबिक, भाजपा 95 सीटों पर, लोजपा (आर) 20 सीटों पर, हम 5 सीटों पर और आरएलएम 4 सीटों पर आगे चल रही है। इन सभी को जोड़ने पर कुल 124 सीटें बनती हैं, जो बहुमत के लिए आवश्यक 122 सीटों से 2 अधिक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा अपनी संख्या को और बढ़ाने के लिए कांग्रेस के 3, लेफ्ट के 2 और बसपा के 1 विधायकों को भी अपने पाले में ला सकती है, जिससे उसकी स्थिति और मजबूत होगी। यह परिदृश्य बिहार में पहली बार भाजपा के मुख्यमंत्री की संभावना को जन्म देता है।
