Rajasthan BJP / बिजली के बढ़े बिलों पर बीजेपी करेगी प्रदर्शन, पूनिया ने लोहिया को दोहरा कर कहा 'जिंदा कौमें पाँच साल तक इंतजार नहीं करती'

Zoom News : Aug 28, 2020, 08:55 PM
  • कांग्रेस सरकार 4 महीने के बिजली के बिल माफ करे, फ्यूल चार्ज और स्थाई शुल्क वापस ले, फर्जी वीसीआर बंद करे, किसानों की सब्सिड़ी शुरू करे: डाॅ. सतीश पूनियां
  • राजस्थान की सरकार बाड़ेबंदी, जादूगरी, झूठ, लूट के लिए मशहूर है ही, अब वादों एवं मामलों को लम्बित करने के लिए भी मशहूर हो गई: डाॅ. पूनियां
  • 2018 के कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सम्पूर्ण किसान कर्जमाफी का वादा किया था, राहुल गाँधी ने कहा था अब होगा न्याय, हम पूछते हैं कब न्याय होगा?: डाॅ. पूनियां
  • राहुल गाँधी की वो पंचलाइन अब होगा न्याय, राजस्थान की जनता पूछती है 20 महीने हो गये, कब होगा न्याय?: डाॅ. पूनियां
  • कोरोना ने कांग्रेस सरकार के प्रबंधन की पोल खोली, प्रदेश में सैम्पलिंग, टैस्टिंग और स्क्रीनिंग की कमी जग-जाहिर है: डाॅ. पूनियां
जयपुर | भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने कांग्रेस सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ फेसबुक के माध्यम से ‘‘हल्ला बोल कार्यक्रम’’ को सम्बोधित करते हुए राज्य सरकार की विफलताओं को आमजन के सामने रखा। उन्होंने बढ़ी बिजली दरों, कोरोना कु-प्रबंधन, किसान कर्जमाफी, बेराजगारी भत्ता, लम्बित भर्तियाँ, बढ़ते अपराध, टिड्डी हमले से फसलों को हुए नुकसान सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत एवं राज्य सरकार पर निशाना साधा।

डाॅ. पूनियां ने सम्बोधित करते हुए कहा कि मैं आज आपको सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज की दशमी, बाबा रामदेव जयंती की शुभकामनाएं देता हूँ एवं खेजड़ली बलिदान दिवस पर शहीदों को नमन करता हूँ। भारत आस्थाओं का देश है और करोड़ों देवी-देवताओं की हम उपासना करते हैं। धर्म और अध्यात्म समाज की ताकत है, भारत की ताकत है। ऐसे ही अनेकों मानव जिन्होंने लोककल्याण के उत्थान के काम किये और आगे चलकर वो लोकदेवता कहलाये। उन्हीं में से एक गौ रक्षा के लिए अपने प्राणों को उत्साहित करने वाले तेजाजी महाराज को देश एवं प्रदेश का जनमानस पूजता है। बाबा रामदेव जी महाराज, गोगाजी, पाबूजी, धन्ना भगत अनेकों ऐसे लोक देवता जो हमारी आस्था के प्रतीक हैं, हम सबका गौरव हैं तेजाजी महाराज, राजस्थान के जन-जन के आस्था के प्रतीक हैं। 

अधिकांश नेता जेल में या बेल पर

डाॅ. पूनियां ने प्रदेश की जनता एवं कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज मैं आपसे रूबरू हुआ हूँ ‘‘हल्ला बोल’’ के इस कार्यक्रम में। हल्ला बोल शब्द आक्रामक लगता है, बस इसके पीछे पीड़ा भी रहती है। आज हम लोग विवश हुए 20 महीनों की राजस्थान की मौजूदा सरकार, कांग्रेस पार्टी की सरकार, जादूगर की सरकार, अशोक गहलोत की सरकार, अशोक गहलोत प्रदेश में एक ऐसी पार्टी की अगुवाई वो कर रहे हैं, जो 1885 में बनी, लेकिन कालान्तर में धीरे-धीरे महात्मा गाँधी के नेतृत्व के बाद अनेक वर्षों तक एक विशेष पहचान बनाते हुए, लेकिन वो एक समय था और अब कांग्रेस प्रासंगिकता खोती चली गई। उन्हीं के हिस्से में आपातकाल है, उन्हीं के हिस्से में अनुच्छेद 356 का दुरूपयोग है, उन्हीं के हिस्से में अराजकता है, उन्हीं के हिस्से में भ्रष्टाचार है और इसीलिए कहा जाता है कि इनके अधिकांश नेता या तो जेल में हैं या बेल पर हैं। ताज्जुब की बात है कि कांग्रेस में दिल्ली में जिस तरीके का विग्रह खड़ा हुआ और उनकी पार्टी के लोगों ने गैर गाँधी कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की कोशिश की, जो कांग्रेस पार्टी खुद के भीतर लोकतंत्र की बात करती थी आज पूरी दुनिया ने उसके सच को जाना है।

बाड़ेबंदी पर कसा तंज

डाॅ. पूनियां ने कहा कि राजस्थान में टुकड़ों, गुटों में बँटी हुई कांग्रेस, टूटी हुई कांग्रेस और विग्रह की शिकार देश का, राजस्थान का कैसे भला कर पायेगी, यह आज का यक्ष प्रश्न है। लेकिन रीति-नीति, विचार और व्यवहार से देश में नकार दी गई कांग्रेस पार्टी आज मात्र साढे़ तीन प्रदेशों में सत्ता पर काबिज है, इसमें राजस्थान बड़ा प्रदेश है। आपने पिछले दिनों देखा शायद विश्व का यह रिकाॅर्ड होगा कि कोई पार्टी, कोई सरकार कैसे बाड़े में बंद रह सकती है। प्रदेश में 34 दिन में बाड़ेबंदी का रिकाॅर्ड, शायद विश्व रिकाॅर्ड जादूगर के नाम ही रहेगा, लेकिन दशा क्या थी कि 34 दिनों में राजस्थान में कोरोना का प्रकोप था, आज जब मैं आपसे रूबरू हूँ 75 हजार से भी ज्यादा संख्या कोरोना संक्रमण के मामले और एक हजार से ज्यादा मौतें अब उसमें भी मंत्री जी की, सरकार की कलाकारी देखिये, 300 से अधिक मौतों का रिकाॅर्ड नहीं है, तो कहीं ना कहीं आज जो स्थिति बनी है, इसलिए मैं सोशल मीडिया के माध्यम से आमजन से गुजारिश करना चाहता हूँ कि कोरोना का खतरा अभी कम नहीं हुआ है, संक्रमण कम नहीं हुआ है, चुनौती कम नहीं हुई है, इसलिए सरकार उपाय करे या ना करे, लेकिन आमजन को सोशल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क और सैनेटाईजर से बार-बार हाथ धोने का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। लेकिन इस कोरोना ने सरकार के प्रबंधन की पोल खोल दी, जिस तरीके से स्क्रीनिंग में, सैम्पलिंग में, टेस्टिंग में कु-प्रबंधन हुआ और लगातार हम देख रहे हैं कि प्रदेश में वेंटिलेटर्स की और आईसीयू बेड्स की कमी होती जा रही है, अभी सरकार सिर्फ आँकड़ों का खेल खेल रही है। लेकिन कोरोना के मामले में मुख्यमंत्री निवास भी अछूता नहीं, स्वास्थ्य विभाग का महकमा अछूता नहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अछूते नहीं हैं। इसलिए कैसे उम्मीद की जा सकती है कि ये सरकार न्याय करेगी।

पूनियां ने पूछा कब होगा न्याय

न्याय की जब बात आई तो 2018 के कांग्रेस के घोषणा-पत्र के दौरान कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गाँधी जी की वो पंचलाइन सुन रहा था, अब होगा न्याय, लेकिन राजस्थान की जनता पूछती है 20 महीने हो गये, कब होगा न्याय? क्योंकि उन्हीं राहुल गाँधी जी ने घोषणा की थी कि 10 दिन में किसानों का कर्जा माफ करेंगे, 10 दिन में किसानों का कर्जा तो माफ नहीं हुआ। आज भी करीब 22 लाख किसान बैंकों के कर्जे के जाल से मुक्त नहीं हुए हैं, इस प्रदेश में आप लोगों ने लगातार देखा और सुना होगा, चाहे साहूकार के कर्जे से, चाहे बैंकों के कर्जे से, चाहे तंगी से, चाहे बेरोजगारी से, चाहे कोरोना से, आर्थिक स्थितियों से उत्पन्न व्यवस्थाओं से, परिवार के-परिवार के लोगों ने आत्महत्याएं की हंै, किसानों ने आत्महत्याएं की हैं, तो यह सरकार कब न्याय करेगी?

मुद्दों से ध्यान भटकाने का काम करती है कांग्रेस

डाॅ. पूनियां ने कहा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी भाषणों और बयानबाजों की पार्टी है और एक और नया तरीका निकाला है इन सारे मुद्दों से ध्यान बँटाने के लिए जनता को यह मानते हुए कि हम उनको फुसला सकते हैं, क्योंकि फितरत ऐसी ही रही है। किसान के वोट केवल कर्जमाफी के नाम पर कांग्रेस को मिले, लेकिन ये वादा आज तक पूरा नहीं किया। इसलिए जब कोई ऐसा अवसर आता है या तो वो प्रधानमंत्री जी को तोहमत देते हैं या भाजपा को तोहमत देते हैं, लेकिन ये तो जनता साफ देख रही है कि दुनिया के 44 देशों के बराबर आबादी भारत देश में जिस तरीके से प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में कोरोना का कुशल प्रबंधन हुआ, जिस देश में पीपीई किट नहीं बनते थे, जिस देश में फेस मास्क की कमी होती थी, जिस देश में वेंटिलेटर्स की कमी थी, भारत आज ऐसी परिस्थितियों में भी, इन परिस्थितियों से लड़ते-लड़ते बड़ी आबादी, बड़ी चुनौतियाँ उनके बावजूद भी आज एक किस्म से कोरोना वाॅरियर बनकर उभरा है और हर क्षेत्र में मोदी जी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। 

बिजली से तोड़ रहे कमर

डाॅ. पूनियां ने कहा कि मैं राजस्थान की बात कर रहा था मित्रों। बिजली इस समय प्रदेश का बड़ा मुद्दा है और बिजली के मुद्दे पर इस सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में पेज नं. 17 के पैरा 1 पर, कि हम बिजली के मामले में राजस्थान को आत्मनिर्भर बनायेंगे। आत्मनिर्भर कितना बनाया आप सब जानते हैं। जिस तरीके से बिजली कटौती, अघोषित कटौती और जिस तरीके से लगातार उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण बिजली देंगे, लेकिन मित्रों इस कोरोना के कालखण्ड में सबसे ज्यादा मार किसी को पड़ी है तो राजस्थान के 1 करोड़ 40 लाख से ज्यादा उन उपभोक्ताओं पर पड़ी है, जिसमें किसान भी शामिल है, जिसमें व्यापारी भी शामिल है, जिसमें दुकानदार भी शामिल हैं एक ऐसी मार जिससे उभर नहीं पा रहे। 

आंकड़ों का खेल खेल रही सरकार

उन्होंने कहा कि ये सरकार अभी भी आँकड़ों का खेल खेल रही है। मुझे ताज्जुब हुआ प्रदेश के ऊर्जा मंत्री जी ने कहा कि बिजली की दरें घटाना हमारे बस में नहीं है, ताज्जुब होता है इस तरीके के गैर-जिम्मेदाराना बयानों से। अभी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने किसी भी तरीके से इस मामले में आश्वस्त नहीं किया, क्योंकि सामान्य परिस्थितियाँ होती हैं, तो उपभोक्ता अपनी सुविधानुसार अपने-अपने बिल जमा करा ही देते हैं, लेकिन कोरोना के कालखण्ड में हम लोगों ने जनता की तरफ से मांग की थी कि आप 4 महीने के बिजली बिलों को माफ कीजिए, दूसरी तरफ किसानों को मिलने वाला 833/- रूपये का अनुदान भी सरकार ने बंद कर दिया है, लेकिन उपभोक्ताओं पर जो मार पड़ी है पिछले दिनों फरवरी में जो फिक्स चार्ज थे उसमें 1 करोड़ 13 लाख उपभोक्ताओं पर 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी की और 70 पैसे प्रति यूनिट बिजली की दरों में बढ़ोतरी हुई, 1400 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार ये घरेलू उपभोक्ताओं पर पड़ा था। हम लोगों ने मांग है कि जो फिक्स चार्ज के 2.97 पैसे हैं इनको माफ किया जाये, लेकिन उस मांग को सरकार ने ठुकरा दिया। फ्यूल चार्ज पिछली भाजपा की सरकार में 30 पैसे प्रति यूनिट था, अब वो 58 पैसे हो गया है और जिस तरीके से 31 जून तक जमा कराने के नाम पर, स्थाई चार्जेज जमा कराने के नाम पर, जो 2000/- से 5000/- का अतिरिक्त भार ड़ाला उससे उद्योग जगत की कमर तोड़ दी है। पिछले 3 महीनों में सरकार ने एक तरीका और निकाला है, किसानों पर, उनके घरों पर अचानक वीसीआर के नाम पर छापे मारने शुरू किए और 6 लाख, 7 लाख, 10 लाख तक की इसी तरीके की वीसीआर भरी गई और सेटलमेंट के नाम पर 25 प्रतिशत कम करके उनसे लाखों रूपये वसूलने का खेल खेला गया, जो अभी भी जारी है। पर्दे के पीछे जिस तरीके का जो वीसीआर भरने का खेल हुआ, वो शर्मनाक है। इससे राजस्थान का किसान हैरान और परेशान है। 

डाॅ. पूनियां ने कहा कि इस सरकार ने बेरोजगार नौजवानों से जो वादे किये थे। एक आँकलन के मुताबिक राजस्थान में इन्होंने दो बजट में लगातार कहा कि 1 लाख, 1.50 लाख के करीब भर्तियों की घोषणा की थी, 1 लाख 16 हजार के करीब भर्तियों में से अभी तक सिर्फ 16 हजार भर्तियों पर ही प्रक्रिया चल रही है, मुझे ध्यान है 25 ऐसी भर्तियाँ हैं, जो चपरासी से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक वो तमाम 25 भर्तियाँ लम्बित हैं और उन 25 के बीच में भी करीब  4 हजार पदों के मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। हास्यास्पद है 2000 डाॅक्टर्स की भर्ती हुई, इस भर्ती को अचानक निरस्त कर दिया गया, करोड़ों रूपये उनकी फीस के वसूले गये, 5 हजार लोगों ने भर्ती में भाग लिया। एक तरफ तो कोविड की चुनौतियाँ थीं और दूसरी तरफ एकदम से इस तरीके की भर्तियों का निरस्त होना कहीं ना कहीं सरकार की विफलता को उजागर करता है।

बेरोजगारी भत्ते का दिखाया सब्जबाग

डाॅ. पूनियां ने कहा कि बिजली के मामले में राजस्थान देश के अन्य राज्यों से सर्वाधिक टैरिफ वाला प्रदेश है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु इनको भी सुपर सीट करते हुए जो टैरिफ है काॅमर्शियल 500 यूनिट से ज्यादा उसकी टैरिफ है 8.95 रूपये, इसी तरीके से घरेलू उपभोक्ताओं को जो टैरिफ है 500 यूनिट के कंजेब्शन पर 7.95 रूपये ये रेजिडेंशियल है। ये देश के सर्वाधिक 10 प्रान्तों की सर्वाधिक टैरिफ है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी भत्ता के लिए राज्य सरकार ने घोषणा की थी। सरकार ने मोटे-मोटे जो आँकलन किया, लगभग 24-25 लाख के आसपास ऐसे बेरोजगार हंै, जिनको बेरोजगारी भत्ता की आवश्यकता है, उस मापदण्ड में आते हैं। इस सरकार ने लगभग 1.50 लाख बेरेाजगार छात्रों को 3000/- रूपये और छात्राओं को 3500/- रूपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की थी, जो अब युवाओं को नहीं मिल रहा है। 

अन्य राज्यों से बुरी है स्थिति

डाॅ. पूनियां ने कहा कि ऐसा लगता है कि राजस्थान अब अपराधों की राजधानी हो गया है। मई के बाद जुलाई तक के आँकड़े जो कि चैकाने वाले हैं। कुल 1 लाख 60 हजार 72 गम्भीर अपराध के मामले दर्ज हुए जुलाई तक और जिसमें 60 हजार मामलों में अभी तक अपराधी पकड़ से बाहर हैं, 2972 बलात्कार के मामले दर्ज हुए, 947 मामले हत्या के दर्ज हुए, 559 लूट के मामले दर्ज हुए और अफसोस होता है अनुसूचित जाति के बलात्कार के 3988 मामले दर्ज हुए, इसी तरीके से जनजाति के खिलाफ 1092 मामले दर्ज हुए और आप सब जानते हैं कि किस तरीके से राजस्थान में बजरी माफियाओं का आतंक है, किस तरीके से पुलिस पर हमले हुए और मुझे लगता है कि शायद राजस्थान सरकार की इजाद की गई पुलिस की पंचलाइन बदली, जिसमं यह कहा गया आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय, लेकिन ऐसा लगता है कि अपराधी बेखौफ हो गये और जनता प्रताड़ित हो रही है, लेकिन सरकार अभी भी हाथ पर हाथ धरी बैठी है। उन्होंने कहा कि पंचायतीराज बड़ी एजेंसी है, जिसके माध्यम से ग्रामीण विकास को गति मिलती है, रोजगार का सृजन होता है और लोगों में एक भरोसा पैदा होता है। पंचायतीराज के 73वें संशोधन के पश्चात् जो वित्त आयोग ने 20 हजार करोड़ की राशि ग्रामीण विकास पर खर्च करने के लिए कहा वो अन्यत्र हस्तांतरित की गई और बहुत लम्बे अरसे से खाद्य सुरक्षा का पोर्टल बंद होने से काफी संख्या में लोग परेशान हैं।

गौमाता के साथ हुआ अन्याय

डाॅ. पूनियां ने कहा कि गौमाता हमारे सामाजिक जीवन का प्राण है, हमारी धार्मिक और आध्यात्मिक आस्था का भी प्रतीक है, भारत की और राजस्थान के समाज की अर्थव्यवस्था को भी ताकत देती है। पिछले दिनों अनायास, लगातार जिस तरीके से विधानसभा में धड़ाधड़ बिल लाये गये और उन बिल के पीछे जो मंशा थी, वो बाद में पता लगी। क्योंकि सरकार राज्यपाल महोदय को तो आरोपित कर रही थी कि राज्यपाल महोदय सदन को आहूत करने की अनुमति नहीं दे रहे थे, उसकी बहुत चर्चा यहाँ पर हो चुकी। लेकिन राज्यपाल महोदय को जो तर्क दिया गया, कैबिनेट ने कहा कि हम लोग कोरोना पर चर्चा करेंगे। अफसोस हुआ कि 14 अगस्त को केवल बहुमत साबित करके और सदन से भागने की कोशिश की। उसके बाद सीमित सी कोरोना की चर्चा की। लेकिन इस सरकार ने बिजली पर, किसानों के कर्जे पर, अपराधों पर, बेरोजगारी पर, टिड्डी के हमले पर कोई चर्चा नहीं की और सरकार सदन से भाग खड़ी हुई, पर सड़क से कैसे बचेगी। 

टिड्डी के आतंक ने किया परेशान

उन्होंने कहा कि 33 जिलों में से 32 जिले अभी भी टिड्डी के आतंक से किसान मुक्त नहीं हुए और जो फांका पैदा होगा, वो एक चुनौती पैदा कर रहा है। लेकिन जो पीछे नुकसान हुआ राजस्थान के किसानों का 90 हजार हैक्टेयर में हमला हुआ और ऐसे 12 जिलों में साफ तौर पर करोड़ों रूपयों का नुकसान किसानों का हुआ। उनकी गिरदावरी नहीं की, उनको किस तरीके से मुआवजा मिलेगा, इस बारे में सरकार कुछ नहीं कर रही है। लोकतंत्र में कोई भी सरकार सदन से भाग सकती है, लेकिन जनता से कैसे भागेगी। इसलिए हमने आज आपके समक्ष हल्ला बोल का आगाज किया है। कोरोना की चुनौती मैं मानता हूँ, मर्यादाएं भी हैं, इसलिए कार्यकर्ताओं से आग्रह करूंगा कि वर्चुअल तरीके से जितना आक्रमण किया जा सके, हल्ला बोला जा सके, बोलना चाहिए और हमने सामान्य तौर पर भी यह कहा है कि फिजिकली भी हमारी कोशिश है कि कोविड को लेकर सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए हम लोग इस राज्य सरकार के खिलाफ एक मजबूत जन आंदोलन खड़ा करें, लोगों की आवाज बनें और इसलिए हम लोगों ने कहा है कि सरकार 4 महीने के बिजली उपभोक्ताओं के बिल माफ करें, फ्यूल चार्ज और स्थाई शुल्क को वापस लें, कटौती बंद करें, फर्जी वीसीआर बंद करें और किसानों की 833/- रूपये की जो सब्सिडी थी उसको लागू करें।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि 31 अगस्त को हम लोग प्रदेश के सभी जीएसएस, एक्सईएन आफिस, एईएन आफिस, जेईएन आफिस उस पर हम लोग धरना करेंगे, 02 सितम्बर को हम लोग उपखण्ड कार्यालय पर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए और विरोध जारी करेंगे एवं 04 सितम्बर को भाजपा के सभी सांसद, विधायक, पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी जिला कलेक्टरों  के माध्यम से प्रदेश में 20 महीनों से जो अराजकता पैदा हुई है, किसानों की, टिड्डियों के हमले की, बिजली की, स्कूल फीस की, पंचायतीराज के पैसे के ट्राँसफर होने की, नौजवानों की, कोरोना के कु-प्रबंधन की, स्वास्थ्य योजनाओं की जो बदहाली है, भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना को सरकार ने बंद किया और महात्मा गाँधी राजस्थान आयुष्मान भारत योजना ये इतना लम्बा टाइटल बदलने में महीनों लगाये, इन सभी मुद्दों को उठायेंगे। 

उन्होंने कहा कि आज भी प्रदेश सरकार के दोहरे रवैये के कारण आयुष्मान भारत योजना का लाभ राजस्थान की जनता को नहीं मिल रहा है। खासतौर पर कोरोना के कालखण्ड में जो नाॅन कोरोना पेसेंट थे उनको तकलीफ हुई। दूसरी तरफ जो निजी अस्पताल हैं वो सरकार से अपने पैसों की लाखों करोड़ रूपये, हजारों करोड़ रूपये, सैकड़ों करोड़ रूपये, जिसमें सरकार ने इनको सहूलियत दी थी, वो पैसा अभी बकाया है, लम्बित है। इस वजह से वो अस्पताल इसे आगे चालू नहीं कर पा रहे हैं, लोगों को नीचे तक इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। सब लोग जानते हैं कि पिछली सरकार के दौरान भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना से 30 हजार से 3 लाख तक का ईलाज 35 लाख लोगों ने 2800 करोड़ रूपये से निःशुल्क करवाया। लोगों को उसकी आदत थी, सहूलियत थी, लेकिन अब इस तरीके के कोई प्रावधान नहीं होने से सरकार के कारण लोगों का जीवन भी संकट में हैं और उनके ईलाज की व्यवस्था भी संकट में है।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि राजस्थान की सरकार बाड़ेबंदी के लिए भी मशहूर है, कहने को जादूगरी के लिए मशहूर है, झूठ के लिए मशहूर है, लूट के लिए मशहूर है, लेकिन अब वादों और मामलों को लम्बित करने के लिए मशहूर है। इसी क्रम में सरकार ने जो इस कालखण्ड के दौरान जो व्यवस्थाएं हुई थी, जो सुचारू तरीके से शासन चलना चाहिए था। बात लोकतंत्र की, सुशासन की करते हैं, लेकिन एक दूसरा चेहरा राजस्थान की सरकार का जनता ने देखा है। मैं यह मानता हूँ कि चुनौतियाँ हैं संक्रमण की, लेकिन फिर भी एक जिम्मेदार विपक्ष के नाते जनता की मांग थी, हम लोगों को जब अवसर मिला सदन में भी पुरजोर तरीके से ये मांग उठाने की कोशिश की, जोधपुर के किसान अभी आंदोलनरत हैं, सरकार उस आंदोलन को कुचलने की तैयारी में हैं, उन पर ज्यादतियाँ कर रही हैं। हमारे अपने पार्टी कार्यकर्ताओं पर, राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर नीचे छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं पर भी महामारी अधिनियम के अन्तर्गत बहुत सारे मुकदमे दर्ज हुए।  कार्यकर्ताओं से निवेदन करूंगा की मर्यादा में, अनुशासन में, कानूनी प्रावधानों की पालना करते हुए अपनी बात को मुखर तरीके से उठायंे। ये आगाज है, अंजाम नहीं हैं, लेकिन मैं भरोसा देता हूँ कि हम सब लोग मिलकर राजस्थान की जनता के मुद्दों को राज्य सरकार के सामने पुरजोर तरीके से उठाते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि हमारे देश के बहुत बड़े नेता डाॅ. राममनोहर लोहिया ने एक बार कहा था कि ‘‘जिंदा कौमें पाँच साल तक इंतजार नहीं करती’’। मुझे लगता है कि अपने हक के लिए यह लड़ाई एक शुरूआत है और आगे भी पुरजोर तरीके से आमजन के हक के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे। 

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