विशेष / चांद के अनदेखे दक्षिणी ध्रुव हिस्से पर उतरेगा चंद्रयान-2, बनेगा रेकॉर्ड

NavBharat Times : Sep 06, 2019, 06:57 AM
चंद्रयान-2 का लैंडर ‘विक्रम’ शनिवार तड़के चांद की सतह पर ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए तैयार है। भारत का यह दूसरा चंद्र मिशन चांद के अब तक अनदेखे दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र के रहस्यों को सामने ला सकता है। चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग भारत के दूसरे चंद्र मिशन की सबसे ज्यादा चुनौती भरी प्रक्रिया है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इससे पहले कभी इस प्रक्रिया को कभी अंजाम नहीं दिया है।

इसरो के अनुसार, चांद का दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र बेहद दिलचस्प है क्योंकि यह उत्तरी ध्रुव क्षेत्र के मुकाबले काफी बड़ा है और अंधेरे में डूबा रहता है। चांद पर स्थायी रूप से अंधेरे वाले क्षेत्रों में पानी मौजूद होने की संभावना है। इसके अलावा चांद पर ऐसे गड्ढे हैं जहां कभी धूप नहीं पड़ी है। इन्हें ‘कोल्ड ट्रैप’ कहा जाता है और इनमें पूर्व के सौर मंडल का जीवाश्म रेकॉर्ड मौजूद है। चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ को शुक्रवार और शनिवार की मध्यरात्रि एक बजे से दो बजे के बीच चांद की सतह पर उतारने की प्रक्रिया की जाएगी और यह रात डेढ़ से ढाई बजे के बीच चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

रिसर्च से जुड़े उपकरणों को सुरक्षित रखने के लिए सॉफ्ट लैंडिंग बेहद आवश्यक होती है। इसमें लैंडर को आराम से धीरे-धीरे सतह पर उतारा जाता है, ताकि लैंडर और रोवर के अलावा उनके साथ लगे अन्य उपकरण सुरक्षित रहें। सॉफ्ट लैंडिंग इस मिशन की सबसे जटिल प्रक्रिया है और यह पल इसरो वैज्ञानिकों के दिलों की धड़कनों को थमा देने वाला होगा। लैंडर के चांद पर उतरने के बाद सात सितंबर की सुबह साढ़े पांच से साढ़े छह बजे के बीच इसके भीतर से रोवर ‘प्रज्ञान’ बाहर निकलेगा और अपने वैज्ञानिक प्रयोग शुरू करेगा।

इसरो ने समझाया, इस तरह होगी सॉफ्ट लैंडिंग

चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग को यान में ढंग से लगे कम से कम आठ उपकरणों द्वारा अंजाम दिया जाएगा। विक्रम के अंदर रोवर प्रज्ञान होगा जो शनिवार सुबह साढ़े पांच से साढ़े छह बजे के बीच लैंडर के भीतर से बाहर निकलेगा। शनिवार तड़के यान के लैंडर के चांद पर उतरने से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक विडियो के जरिए समझाया कि सॉफ्ट लैंडिंग कैसे होगी। अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए मशीन में तीन कैमरे- लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा, लैंडर हॉरिजोंटल वेलॉसिटी कैमरा और लैंडर हजार्डस डिटेक्शन ऐंड अवॉयडेंस कैमरा लगे हैं। इसके साथ दो केए बैंड-अल्टीमीटर-1 और अल्टीमीटर-2 हैं। लैंडर के चांद की सतह को छूने के साथ ही इसरो चेस्ट, रंभा और इल्सा नाम के तीन उपकरणों की तैनाती करेगा।

सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत रच देगा इतिहास

इसरो को अगर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिलती है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा और चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि ‘चंद्रयान-2’ लैंडर और रोवर को लगभग 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश में दो गड्ढों ‘मैंजिनस सी’ और ‘सिंपेलियस एन’ के बीच एक ऊंचे मैदानी इलाके में उतारने का प्रयास करेगा। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का जीवनकाल एक साल का है। इस दौरान यह चंद्रमा की लगातार परिक्रमा कर हर जानकारी पृथ्वी पर मौजूद इसरो के वैज्ञानिकों को भेजता रहेगा। वहीं, रोवर ‘प्रज्ञान’ का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी धरती के 14 दिन के बराबर है। इस दौरान यह वैज्ञानिक प्रयोग कर इसकी जानकारी इसरो को भेजेगा।

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