Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही अपने सख्त तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में ट्रंप ने चीन को चुनौती देते हुए कहा कि
पनामा नहर से उसका आधिपत्य खत्म कर देंगे। इसके अलावा उन्होंने रूस से युद्ध समाप्त करने का आह्वान किया। ट्रंप के इस बयान से चीन और रूस दोनों ही देशों में हलचल मच गई है।
चीन-रूस की रणनीतिक चर्चा
ट्रंप के बयानों के बाद
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति
व्लादिमीर पुतिन ने वीडियो कॉल पर बातचीत की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों नेताओं ने
निष्पक्ष और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को मजबूत करने की बात की। उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में उनके द्विपक्षीय संबंध स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।पुतिन ने कहा, “रूस और चीन यूरेशिया की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। हमारे संबंध
दोस्ती और आपसी विश्वास पर आधारित हैं, जो वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।”
उद्योग, परिवहन और ऊर्जा पर चर्चा
जिनपिंग और पुतिन ने अपनी बातचीत के दौरान
उद्योग, परिवहन, कृषि और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की। इसमें रूस द्वारा चीन को
प्राकृतिक गैस के निर्यात पर भी बात हुई। यह बैठक तब हुई जब पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के साथ महत्वपूर्ण चर्चा की थी।
ट्रंप के बयानों पर रूस का जवाब
पुतिन ने कहा, “हमने ट्रंप और उनकी टीम की रूस के साथ संबंध बहाल करने की इच्छा के बारे में सुना है। निवर्तमान प्रशासन द्वारा रोके गए इन संपर्कों को फिर से शुरू करना जरूरी है। हमने तीसरे विश्व युद्ध को रोकने और शांति बहाल करने की ट्रंप की अपील का भी स्वागत किया है।”
रूस-यूक्रेन शांति समझौते पर पहल
पुतिन ने शांति स्थापित करने के लिए ट्रंप की पहल का समर्थन किया और कहा कि रूस
यूक्रेन के साथ स्थायी शांति समझौते पर बातचीत करने के लिए तैयार है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समझौता केवल अल्पकालिक युद्धविराम नहीं, बल्कि स्थायी शांति लाने के लिए होगा, जिसमें रूस के हितों का भी ध्यान रखा जाएगा।
बहुध्रुवीय विश्व की ओर बढ़ते कदम
शी जिनपिंग और पुतिन की यह बैठक एक स्पष्ट संकेत है कि वे अमेरिका के बढ़ते प्रभाव का सामना करने के लिए
मजबूत रणनीतिक साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं। दोनों नेताओं का मानना है कि बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था ही वैश्विक शांति और स्थिरता सुनिश्चित कर सकती है।
क्या ट्रंप की आक्रामक नीति से बढ़ेगा तनाव?
डोनाल्ड ट्रंप के आक्रामक बयानों ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां चीन और रूस अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं, वहीं ट्रंप का रुख बताता है कि वे
अमेरिकी प्रभुत्व को और मजबूत करने के लिए तैयार हैं। अब देखना यह होगा कि इन बयानों का असर वैश्विक राजनीति और देशों के आपसी संबंधों पर कैसा पड़ता है।