China vs USA: अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव अब अपने चरम पर पहुंच गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ और व्यापार युद्ध की नीति अपनाने के बाद चीन ने अमेरिका को युद्ध तक की धमकी दे डाली है। चीन ने स्पष्ट रूप से कहा है, "अगर अमेरिका युद्ध चाहता है, चाहे वह टैरिफ युद्ध हो, व्यापार युद्ध हो या किसी अन्य प्रकार का युद्ध हो, हम अंत तक लड़ने के लिए तैयार हैं।" इस बयान ने वैश्विक स्तर पर खलबली मचा दी है और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी उथल-पुथल पैदा कर दी है।
कैसे शुरू हुआ यह ट्रेड वार?
ट्रंप प्रशासन ने चीन, कनाडा, मेक्सिको और भारत समेत कई देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने का फैसला किया। इस कदम का उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और घरेलू उद्योगों की रक्षा करना था। लेकिन चीन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगा दिए, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।
अमेरिका के इन फैसलों के बाद चीन ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 10-15% टैरिफ लगा दिया। इससे न केवल दोनों देशों के व्यापारिक संबंध बिगड़े बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई। दोनों ही देश अब एक-दूसरे के खिलाफ कठोर आर्थिक नीतियां अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
चीन की ओर से औपचारिक धमकी
इस पूरे विवाद के बीच चीन ने आधिकारिक रूप से अमेरिका को चेतावनी दे डाली। मंगलवार को चीनी दूतावास ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक बयान जारी कर कहा, "अगर अमेरिका युद्ध चाहता है, चाहे वह टैरिफ युद्ध हो, व्यापार युद्ध हो या किसी अन्य प्रकार का युद्ध हो, हम अंत तक लड़ने के लिए तैयार हैं।" यह बयान राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों के खिलाफ चीन की सबसे तीखी प्रतिक्रिया मानी जा रही है। चीन लंबे समय से अमेरिका को एक अस्थिर शक्ति के रूप में दिखाने की कोशिश कर रहा है, जबकि खुद को एक स्थिर और शांतिप्रिय देश के रूप में प्रस्तुत करता है।
अमेरिका की कड़ी प्रतिक्रिया
चीन की इस धमकी के बाद अमेरिका ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने फॉक्स एंड फ्रेंड्स चैनल पर कहा, "अमेरिका भी चीन के साथ युद्ध के लिए तैयार है।" यह बयान दिखाता है कि अमेरिका भी किसी भी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं है।अमेरिका ने हमेशा चीन को अपना सबसे बड़ा रणनीतिक प्रतिद्वंदी माना है, और हालिया घटनाक्रम के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों देशों के बीच तनाव आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है। चीन ने 2025-26 के लिए 249 अरब डॉलर के रक्षा बजट का ऐलान किया है, जबकि अमेरिका का रक्षा बजट 890 अरब डॉलर है। यह दिखाता है कि दोनों देश न केवल व्यापारिक बल्कि सैन्य स्तर पर भी एक-दूसरे के खिलाफ तैयार हैं।
भविष्य की संभावनाएं
इस बढ़ते तनाव के कारण वैश्विक बाजारों में अस्थिरता देखी जा रही है। निवेशक और कंपनियां इस अनिश्चितता से चिंतित हैं कि यह व्यापार युद्ध कहीं वास्तविक युद्ध में न बदल जाए। चीन और अमेरिका की इस जुबानी जंग से दुनिया भर के देश सतर्क हो गए हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का आकलन कर रहे हैं।अब यह देखना होगा कि क्या दोनों देश बातचीत के जरिए इस विवाद को सुलझाते हैं या फिर यह टकराव और भी गंभीर हो जाता है। फिलहाल, पूरी दुनिया इस तनातनी पर नजर बनाए हुए है।