India's Got Latent: इंडियाज गॉट लैटेंट शो में यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया की ओर से दिए गए विवादित बयान को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। अल्लाहबादिया पर शो में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने और अश्लीलता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। इस पूरे मुद्दे पर अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान भी सामने आ गया है। आइए जानते हैं कि सीएम फडणवीस ने क्या कहा है।
'बोलने की आजादी है लेकिन...' - CM फडणवीस का बयान
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मुझे इसके बारे में पता चला है। मैंने अब तक इसे देखा नहीं है। चीजों को गलत तरीके से कहा और पेश किया गया है।" उन्होंने आगे कहा, "हर किसी को बोलने की आजादी है लेकिन हमारी आजादी तब खत्म हो जाती है जब हम दूसरों की आजादी का हनन करते हैं। हमारे समाज में हमने कुछ नियम बनाए हैं, अगर कोई उनका उल्लंघन करता है तो यह बिल्कुल गलत है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।"
शिवसेना की चेतावनी
इस विवाद को लेकर शिवसेना ने भी सख्त रुख अपनाया है। शिवसेना नेता राजू वाघमारे ने कहा, "शिवसेना इस यूट्यूबर को चेतावनी देना चाहती है कि हमारी मां-बहनों का ऐसा अपमान नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए। अगर वह नहीं मानेंगे तो हम उनका शो बंद करने की कोशिश करेंगे और कानूनी तौर पर उन्हें दोबारा ऐसे बयान देने से रोकने की भी कोशिश करेंगे।"
पुलिस में शिकायत दर्ज
भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता नीलोत्पल मृणाल ने समय रैना और रणवीर अल्लाहबादिया के खिलाफ ख़ार पुलिस स्टेशन में शिकायत दी है। इसके अलावा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने यूट्यूब की सार्वजनिक नीति प्रमुख मीरा चैट को पत्र लिखकर "संबंधित प्रकरण/वीडियो को यूट्यूब से हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।"
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया
इस विवाद ने सोशल मीडिया पर भी आग लगा दी है। कई लोग अल्लाहबादिया के समर्थन में हैं, जबकि कुछ उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #BanRanveerAllahbadia ट्रेंड कर रहा है।
यूट्यूब की प्रतिक्रिया
यूट्यूब की तरफ से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि वीडियो में कोई आपत्तिजनक सामग्री पाई गई तो इसे जल्द ही हटा दिया जाएगा।
निष्कर्ष
यह विवाद केवल एक बयान तक सीमित नहीं रहा बल्कि इसने अभिव्यक्ति की आजादी बनाम सामाजिक जिम्मेदारी की बहस को भी जन्म दे दिया है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन, राजनीतिक दल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं।