देश / आंदोलन के कारण बंद सड़कें खाली करने को लेकर 3 हफ्ते में जवाब दें किसान संगठन: एससी

Zoom News : Oct 21, 2021, 07:44 PM
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आज किसान आंदोलन के चलते बंद रास्ते को खुलवाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भी नागरिक की तरह किसानों को भी प्रदर्शन करने और अपना विरोध दर्ज कराने का पूरा अधिकार है लेकिन सड़कों को अनिश्चित काल के लिए बंद नहीं रखा जा सकता है। इसका कोई हल निकाला जाना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने धरने की अगुवाई कर रहे किसान संगठनों से सड़कों से धरना हटाने की मांग वाली इस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को करेगा।

मोनिका अग्रवाल और हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दी गई में याचिका में किसान आंदोलन के चलते बंद रास्ते को खुलवाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि नोएडा से दिल्ली को जोड़ने वाली सड़कें किसान आंदोलन के चलते बंद हैं और इसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में इन सड़कों को खोला जाना चाहिए। इस पर आज याचिकाकर्ता की ओर से एसजी तुषार मेहता जबकि किसानों की ओर से दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण ने दलीलें रखीं।

इस मामले की पिछली सुनवाई 4 अक्टूबर को हुई थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से पूछा था कि जब मामला अदालत में है तो फिर प्रदर्शन क्यों किया जा रहा है? हमने तीनों कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगा रखी है तो किसान किस बारे में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं?

क्या है मामला?

बीते साल जून में केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानून लेकर आई थी, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून, 2020 से ही लगातार आंदोलनरत हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। शुरू में ये आंदोलन राज्यों तक रहा लेकिन सरकार की ओर से प्रदर्शन पर ध्यान ना देने की बात कहते हुए 26 नवंबर, 2020 से देशभर के किसान दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाले सिंधु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली के दूसरे बॉर्डर पर भी लगातार दिन-रात धरना दे रहे हैं। दिल्ली के बॉर्डरों पर किसानों के धरने को करीब 10 महीने हो गए हैं। ऐसे में पुलिस ने कई रास्तों को बंद किया हुआ है।

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