आजमगढ़ से चार बार विधायक और चार बार सांसद रह चुके अपने आप को बाहुबली कहने में गुरेज ना रखने वाले पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अब नया पैंतरा रचा है। उनका कहना है कि उनकी सिक्योरिटी और गनर हटाए जाने पर उनकी हत्या हो सकती है। इस बार उन्होंने अपनी जान-माल की रक्षा के लिए राज्यपाल से गुहार लगाई है।
बता दें कि रमाकांत यादव भारतीय जनता पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस में गए थे। कांग्रेस से मन भरा तो अब समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली है। भारतीय जनता पार्टी में रहते वक्त उन्हें वाई प्लस सिक्योरिटी मिली हुई थी। जिसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निरस्त कर दिया था। इस बीच रमाकांत यादव कई सारे विवादित बयानों के चलते भी चर्चाओं में रहे।
हाल ही में इनका एक भी वीडियो सामने आया था जिसमें इन्होंने कोरोना जैसी महामारी को छलावा बताया था और सीए और एनआरसी से ध्यान भटकाने का कारण बताया था। इस वीडियो को लेकर इनके ऊपर मुकदमा भी दर्ज हुआ था। यह बातें अभी ठंडी ही नहीं हुई थीं कि उन्होंने अपने नाम को भी परिवर्तित करके शूद्र रमाकांत यादव रख लिया था। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था कि ना वो वैश्य हैं ना वह क्षत्रिय हैं और ना ही वह ब्राह्मण हैं इसलिए हम शूद्र में आते हैं और आज से हमारा नाम शूद्र रमाकांत यादव रहेगा। यह मामला भी काफी चर्चाओं में रहा।इस मामले के कुछ दिन बीतने के बाद अब रमाकांत यादव अपनी जान-माल की रक्षा के लिए राज्यपाल से गुहार लगा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने बकायदा अपने लेटर पैड पर चिट्ठी लिखकर राज्यपाल से गुहार लगाई है। चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि मैं आजमगढ़ से 4 बार विधायक और 4 बार सांसद रह चुका हूं। वर्तमान में मेरी सुरक्षा हेतु कोई भी सरकारी सुरक्षा व्यवस्था नहीं है और न ही जिला प्रशासन द्वारा वर्तमान में कोई सुरक्षा व्यवस्था मिली है।चिट्ठी में रमाकांत यादव ने आगे लिखा है कि जिले के आपराधिक प्रवृत्ति के लोग बराबर उनकी हत्या करने की कोशिश करते हैं। लेकिन उन्होंने किसी भी व्यक्ति के नाम का जिक्र अपनी चिट्ठी में नहीं किया है। चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि जिले में तमाम ऐसे राजनैतिक लोग भी हैं जो बराबर अपराधियों को सह देते रहते हैं जिसकी वजह से हमेशा खतरा बना रहता है।
इसके साथ ही रमाकांत यादव ने अपनी चिट्ठी में 5 सितंबर को पुलिस मुठभेड़ में गिरफ्तार किए गए बदमाशों का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि मुझे विशेष सूत्रों से पता चला है कि तरवा थाना के महुआरी गांव से पुलिस मुठभेड़ में जो लोग गिरफ्तार किए गए हैं वो मेरी हत्या की साजिश कर रहे थे। जिस कारण किसी भी समय मेरे साथ कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है। इसी के साथ उन्होंने राज्यपाल से अपने जीवन की सुरक्षा की गुहार लगाई है।
ऐसा रहा है रमाकांत का सियासी सफररमाकांत यादव ने पहली बार निर्दलीय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में आजमगढ़ जिले की फूलपुर विधानसभा सीट से 1985 में चुनाव लड़ा था। इसके बाद वह 1989 में भाजपा और सपा से 1991 और 1993 में विधायक निर्वाचित हुए। सपा से 1996 में पहली बार सांसद चुने गए। 1999 में भी सपा से सांसद रहे। 2004 में बसपा से सांसद चुने गए और 2009 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचे। 2014 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव से शिकस्त मिली। 2019 में भदोही लोकसभा सीट से संसदीय चुनाव लड़ा और हार गए।
बता दें कि रमाकांत यादव भारतीय जनता पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस में गए थे। कांग्रेस से मन भरा तो अब समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली है। भारतीय जनता पार्टी में रहते वक्त उन्हें वाई प्लस सिक्योरिटी मिली हुई थी। जिसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निरस्त कर दिया था। इस बीच रमाकांत यादव कई सारे विवादित बयानों के चलते भी चर्चाओं में रहे।

हाल ही में इनका एक भी वीडियो सामने आया था जिसमें इन्होंने कोरोना जैसी महामारी को छलावा बताया था और सीए और एनआरसी से ध्यान भटकाने का कारण बताया था। इस वीडियो को लेकर इनके ऊपर मुकदमा भी दर्ज हुआ था। यह बातें अभी ठंडी ही नहीं हुई थीं कि उन्होंने अपने नाम को भी परिवर्तित करके शूद्र रमाकांत यादव रख लिया था। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था कि ना वो वैश्य हैं ना वह क्षत्रिय हैं और ना ही वह ब्राह्मण हैं इसलिए हम शूद्र में आते हैं और आज से हमारा नाम शूद्र रमाकांत यादव रहेगा। यह मामला भी काफी चर्चाओं में रहा।इस मामले के कुछ दिन बीतने के बाद अब रमाकांत यादव अपनी जान-माल की रक्षा के लिए राज्यपाल से गुहार लगा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने बकायदा अपने लेटर पैड पर चिट्ठी लिखकर राज्यपाल से गुहार लगाई है। चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि मैं आजमगढ़ से 4 बार विधायक और 4 बार सांसद रह चुका हूं। वर्तमान में मेरी सुरक्षा हेतु कोई भी सरकारी सुरक्षा व्यवस्था नहीं है और न ही जिला प्रशासन द्वारा वर्तमान में कोई सुरक्षा व्यवस्था मिली है।चिट्ठी में रमाकांत यादव ने आगे लिखा है कि जिले के आपराधिक प्रवृत्ति के लोग बराबर उनकी हत्या करने की कोशिश करते हैं। लेकिन उन्होंने किसी भी व्यक्ति के नाम का जिक्र अपनी चिट्ठी में नहीं किया है। चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि जिले में तमाम ऐसे राजनैतिक लोग भी हैं जो बराबर अपराधियों को सह देते रहते हैं जिसकी वजह से हमेशा खतरा बना रहता है।
इसके साथ ही रमाकांत यादव ने अपनी चिट्ठी में 5 सितंबर को पुलिस मुठभेड़ में गिरफ्तार किए गए बदमाशों का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि मुझे विशेष सूत्रों से पता चला है कि तरवा थाना के महुआरी गांव से पुलिस मुठभेड़ में जो लोग गिरफ्तार किए गए हैं वो मेरी हत्या की साजिश कर रहे थे। जिस कारण किसी भी समय मेरे साथ कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है। इसी के साथ उन्होंने राज्यपाल से अपने जीवन की सुरक्षा की गुहार लगाई है।
ऐसा रहा है रमाकांत का सियासी सफररमाकांत यादव ने पहली बार निर्दलीय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में आजमगढ़ जिले की फूलपुर विधानसभा सीट से 1985 में चुनाव लड़ा था। इसके बाद वह 1989 में भाजपा और सपा से 1991 और 1993 में विधायक निर्वाचित हुए। सपा से 1996 में पहली बार सांसद चुने गए। 1999 में भी सपा से सांसद रहे। 2004 में बसपा से सांसद चुने गए और 2009 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचे। 2014 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव से शिकस्त मिली। 2019 में भदोही लोकसभा सीट से संसदीय चुनाव लड़ा और हार गए।
