दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हाल ही में समाप्त हुई टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम को मिली हार के बाद, टीम के हेड कोच गौतम गंभीर एक बार फिर आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं। इस हार ने क्रिकेट जगत में एक नई बहस छेड़ दी है, जहां कई पूर्व खिलाड़ी और विशेषज्ञ गंभीर की कोचिंग शैली और टीम के लगातार दो क्लीन स्वीप हार पर सवाल उठा रहे हैं और कुछ तो यहां तक कह रहे हैं कि टेस्ट फॉर्मेट के लिए एक अलग कोच होना चाहिए, जो इस प्रारूप की विशिष्ट आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझ सके और टीम को तैयार कर सके।
गंभीर पर उठते सवाल और आलोचना का दौर
भारतीय टीम की दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में हार ने गौतम गंभीर के नेतृत्व पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। यह हार ऐसे समय में आई है जब टीम लगातार अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव झेल रही है,। और टेस्ट क्रिकेट में मिली यह असफलता आलोचकों को गंभीर के खिलाफ मुखर होने का मौका दे रही है। पूर्व खिलाड़ियों का एक वर्ग उनकी रणनीतियों और टीम चयन पर सवाल उठा रहा है, यह तर्क देते हुए कि टीम की लगातार हार के पीछे कोचिंग स्टाफ की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से, टेस्ट क्रिकेट की बारीकियों को देखते हुए, कुछ लोग यह भी सुझाव दे रहे हैं कि इस प्रारूप के लिए। एक विशेषज्ञ कोच की आवश्यकता है, जो लंबी अवधि के खेल के लिए खिलाड़ियों को मानसिक और तकनीकी रूप से तैयार कर सके।
सुनील गावस्कर का गंभीर के पक्ष में बयान
इन आलोचनाओं के बीच, भारतीय क्रिकेट के दिग्गज और पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर गौतम गंभीर के समर्थन में सामने आए हैं। इंडिया टुडे से बात करते हुए, गावस्कर ने स्पष्ट रूप से कहा कि टीम इंडिया की हार के लिए केवल गौतम गंभीर को दोषी ठहराना अनुचित है और उन्होंने तर्क दिया कि कोच का काम टीम को तैयार करना, रणनीति बनाना और अपने अनुभव के आधार पर खिलाड़ियों को सलाह देना होता है, लेकिन मैदान पर वास्तविक प्रदर्शन तो खिलाड़ियों को ही करना होता है। गावस्कर ने इस बात पर जोर दिया कि कोच केवल एक मार्गदर्शक होता है, और खेल के मैदान पर होने वाली गलतियों या सफलताओं के लिए पूरी तरह से उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
जीत पर चुप्पी, हार पर हंगामा
गावस्कर ने गंभीर के पिछले सफल कार्यकाल का भी जिक्र किया। उन्होंने याद दिलाया कि गौतम गंभीर के नेतृत्व में ही भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी और एशिया कप जैसे महत्वपूर्ण टूर्नामेंट जीते थे। गावस्कर ने सवाल उठाया कि जब टीम ने ये बड़ी जीत हासिल की थीं, तब किसी ने भी गंभीर की प्रशंसा नहीं की या उनके अनुबंध को आजीवन करने की बात नहीं की और लेकिन अब जब टीम एक घरेलू सीरीज हार गई है, तो हर कोई उनके 'खून का प्यासा' हो गया है। यह विरोधाभास खेल जगत में अक्सर देखा जाता है, जहां जीत का श्रेय अक्सर खिलाड़ियों को मिलता है, लेकिन हार का ठीकरा कोच के सिर फोड़ा जाता है। गावस्कर ने उन लोगों से जवाबदेही मांगी, जो अब गंभीर से जवाब मांग रहे। हैं, कि उन्होंने तब क्या किया था जब गंभीर ने टीम को जीत दिलाई थी।
एक कोच, कई फॉर्मेट: वैश्विक उदाहरण
गावस्कर ने अपने तर्क को मजबूत करने के लिए न्यूजीलैंड के ब्रेंडन मैकुलम का उदाहरण दिया, जो इंग्लैंड के तीनों फॉर्मेट के कोच हैं और उन्होंने बताया कि कई देशों में एक ही कोच सभी फॉर्मेट की जिम्मेदारी संभालता है, और यह एक सामान्य प्रथा है। गावस्कर ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय क्रिकेट में अक्सर यह प्रवृत्ति देखी जाती है कि हम केवल हार पर उंगली उठाते हैं, जबकि जीत पर कोई क्रेडिट नहीं देता और उन्होंने कहा कि 22 गज की पिच पर टीम के खराब खेल का दोष कोच पर नहीं डालना चाहिए, क्योंकि मैदान पर खिलाड़ियों को ही प्रदर्शन करना होता है। कोच केवल एक सुविधाप्रदाता और मार्गदर्शक होता है, जो खिलाड़ियों को उनकी क्षमता तक पहुंचने में मदद करता है।
आर अश्विन का भी गंभीर को समर्थन
सुनील गावस्कर के अलावा, भारतीय टीम के अनुभवी ऑफ स्पिनर आर अश्विन भी गौतम गंभीर के बचाव में आए हैं और अश्विन ने भी गावस्कर के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि गंभीर को हटाने की मांग ही गलत है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि खिलाड़ियों ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई है, और यही हार का मुख्य कारण है। अश्विन के बयान से यह स्पष्ट होता है कि ड्रेसिंग रूम के भीतर भी यह भावना है कि मैदान पर प्रदर्शन की जिम्मेदारी अंततः खिलाड़ियों की होती है। कोच एक रणनीति बना सकता है और मार्गदर्शन दे सकता है, लेकिन उस रणनीति को मैदान पर लागू करना और दबाव में अच्छा प्रदर्शन करना खिलाड़ियों का काम है।
कोच और खिलाड़ियों की साझा जिम्मेदारी
यह बहस भारतीय क्रिकेट में कोच की भूमिका और खिलाड़ियों की जवाबदेही पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म देती है। जहां एक ओर कोच टीम की तैयारी और रणनीति के लिए जिम्मेदार होता है, वहीं दूसरी ओर खिलाड़ियों को मैदान पर उन रणनीतियों को सफलतापूर्वक लागू करना होता है और गंभीर के आलोचक उनकी कोचिंग क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि उनके समर्थक, जिनमें गावस्कर और अश्विन जैसे दिग्गज शामिल हैं, खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर अधिक जोर दे रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि किसी भी खेल में हार या जीत केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं होती, बल्कि यह एक सामूहिक प्रयास का परिणाम होती है। कोच और खिलाड़ियों के बीच तालमेल और साझा जिम्मेदारी ही टीम की सफलता की कुंजी होती है।