Gold Smuggling / सोना-चांदी ऑल टाइम हाई पर: आज 22 दिसंबर को ₹1.34 लाख प्रति 10 ग्राम सोना, ₹2.08 लाख प्रति किलो चांदी

आज 22 दिसंबर को सोना और चांदी अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। सोना ₹1,805 बढ़कर ₹1,33,584 प्रति 10 ग्राम हो गया, जबकि चांदी ₹7,483 महंगी होकर ₹2,07,550 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। इस साल सोने में ₹57,422 और चांदी में ₹1,21,533 की बढ़ोतरी हुई है।

आज, 22 दिसंबर को भारतीय सर्राफा बाजार में सोना और चांदी दोनों ने अपने सर्वकालिक उच्च स्तर को छू लिया है, जिससे निवेशकों और उपभोक्ताओं दोनों में हलचल मच गई है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के आंकड़ों के अनुसार, सोने की कीमतों में ₹1,805 की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे यह ₹1,33,584 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। इससे पहले, सोने का भाव ₹1,31,779 पर था। इसी तरह, चांदी की कीमतों में भी भारी उछाल आया है, जो ₹7,483 बढ़कर ₹2,07,550 प्रति किलोग्राम हो गई है। इससे पहले, चांदी ₹2,00,067 प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थी। यह वृद्धि बाजार में धातुओं की मजबूत मांग और वैश्विक आर्थिक कारकों का सीधा परिणाम है।

इस साल की अब तक की बढ़ोतरी

इस साल अब तक सोने और चांदी दोनों की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है और 31 दिसंबर 2024 को, 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत ₹76,162 थी, जो अब बढ़कर ₹1,33,584 हो गई है। यह ₹57,422 या 73 और 02% की प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाता है। चांदी के मामले में, वृद्धि और भी अधिक नाटकीय रही है। 31 दिसंबर 2024 को एक किलोग्राम चांदी की कीमत ₹86,017 थी, जो अब ₹2,07,550 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है। यह ₹1,21,533 या 132. 59% की चौंका देने वाली वृद्धि है। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि कीमती धातुओं। में निवेश इस वर्ष असाधारण रूप से लाभदायक रहा है।

चांदी की कीमतों में उछाल के प्रमुख कारण

सोने की कीमतों में इस तेज उछाल के पीछे कई वैश्विक और आर्थिक कारक जिम्मेदार हैं। पहला प्रमुख कारण अमेरिकी डॉलर का कमजोर होना है। अमेरिका द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं ने डॉलर को कमजोर किया है, जिससे सोने को धारण करने की लागत कम हो गई है। जब डॉलर कमजोर होता है, तो गैर-डॉलर धारकों के लिए सोना सस्ता हो जाता है, जिससे इसकी मांग बढ़ती है। दूसरा महत्वपूर्ण कारक भू-राजनीतिक तनाव है। रूस-यूक्रेन युद्ध और दुनिया भर में बढ़ते तनाव के कारण निवेशक सोने को सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प मान रहे हैं। अनिश्चितता के समय में, सोना अपनी स्थिरता और मूल्य संरक्षण क्षमता के कारण हमेशा एक पसंदीदा संपत्ति रहा है। तीसरा कारण विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की भारी खरीदारी है। चीन जैसे देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का स्टॉक बढ़ा रहे। हैं, जो साल भर में 900 टन से अधिक की खरीदारी कर रहे हैं। केंद्रीय बैंकों की यह लगातार खरीदारी सोने की कीमतों को ऊपर धकेलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

चांदी की कीमतों में वृद्धि केवल सोने के साथ सहसंबंध के कारण नहीं है, बल्कि इसके अपने विशिष्ट कारण भी हैं। पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण औद्योगिक मांग में भारी वृद्धि है। चांदी अब केवल आभूषणों तक सीमित नहीं है; यह सौर पैनलों, इलेक्ट्रॉनिक्स और। इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) जैसे उद्योगों में एक महत्वपूर्ण कच्चा माल बन गई है। इन क्षेत्रों में बढ़ती मांग ने चांदी को एक आवश्यक औद्योगिक धातु बना दिया है। दूसरा कारण डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ संबंधी डर हैं। अमेरिकी कंपनियां भविष्य में संभावित टैरिफ या व्यापार बाधाओं के डर से चांदी का भारी स्टॉक जमा कर रही हैं। इस तरह की अग्रिम खरीदारी वैश्विक आपूर्ति में कमी पैदा करती है, जिससे कीमतें ऊपर चढ़ती हैं और तीसरा कारण निर्माताओं के बीच होड़ है। उत्पादन रुकने या आपूर्ति बाधित होने के डर से, निर्माता पहले से ही चांदी खरीद रहे हैं। यह प्रवृत्ति आने वाले महीनों में भी चांदी की कीमतों में तेजी बनाए रखने। का अनुमान है, क्योंकि औद्योगिक उपयोग के लिए इसकी आवश्यकता लगातार बढ़ रही है।

आने वाले दिनों में और बढ़ सकते हैं दाम

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सोने और चांदी की कीमतों में यह तेजी जारी रह सकती है। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार, चांदी की मांग में अभी भी तेजी बनी हुई है और इसके आगे भी बने रहने का अनुमान है। उनका अनुमान है कि चांदी अगले एक साल में ₹2 और 50 लाख प्रति किलोग्राम तक जा सकती है। वहीं, इस साल के आखिर तक चांदी की कीमत ₹2. 10 लाख प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। सोने की बात करें तो इसकी मांग में भी तेजी बनी हुई है। अजय केडिया का मानना है कि अगले साल तक सोना ₹1. 50 लाख प्रति 10 ग्राम के पार जा सकता है, जबकि इस साल के आखिर तक इसकी कीमत ₹1. 35 लाख प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती है। ये अनुमान निवेशकों के लिए उत्साहजनक हैं और कीमती धातुओं में निवेश के प्रति रुचि बढ़ा सकते हैं।

शहरों में अलग-अलग रेट्स क्यों होते हैं?

यह समझना महत्वपूर्ण है कि इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) द्वारा जारी सोने की कीमतों में 3% GST, मेकिंग चार्ज और ज्वेलर्स का मार्जिन शामिल नहीं होता है। यही कारण है कि देश के अलग-अलग शहरों में सोने और चांदी के खुदरा रेट IBJA द्वारा घोषित दरों से भिन्न होते हैं। IBJA की इन दरों का उपयोग भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के रेट तय करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त, कई बैंक गोल्ड लोन के लिए ब्याज दरें निर्धारित करने के लिए भी इन्हीं दरों का उपयोग करते हैं। इसलिए, जब आप आभूषण खरीदने जाते हैं, तो आपको इन अतिरिक्त शुल्कों के कारण IBJA दरों से अधिक भुगतान करना पड़ सकता है।