Gold Price Today / सोना ₹1.36 लाख के पार, चांदी ₹2.09 लाख किलो के रिकॉर्ड स्तर पर

सोने का दाम ₹1.36 लाख प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गया, एक दिन में ₹2,163 की बढ़ोतरी हुई। चांदी भी ₹2.09 लाख प्रति किलो के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई, आज ₹1,523 और दस दिन में ₹23,762 महंगी हुई। भू-राजनीतिक तनाव, औद्योगिक मांग और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी मुख्य कारण हैं।

आज, 22 दिसंबर को, सोने और चांदी दोनों की कीमतें लगातार दूसरे दिन अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं और यह वृद्धि निवेशकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कीमती धातुओं में निवेश का आकर्षण लगातार बढ़ रहा है। सोने और चांदी के दाम में यह उछाल वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक कारकों के जटिल मिश्रण का परिणाम है, जो इन धातुओं को सुरक्षित निवेश के रूप में और अधिक आकर्षक बना रहा है।

विस्तृत मूल्य गतिशीलता

इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, सोने की कीमत में आज ₹2,163 की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जिससे यह ₹1,36,133 प्रति 10 ग्राम के नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया और इससे पहले, सोमवार को सोना ₹1,33,970 पर था। इसी तरह, चांदी की कीमतों में भी भारी उछाल देखा गया, जिसमें ₹1,523 की वृद्धि के साथ यह ₹2,09,250 प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। सोमवार को चांदी की कीमत ₹2,07,727 प्रति किलोग्राम थी और पिछले दस दिनों में चांदी ₹23,762 महंगी हुई है, क्योंकि 10 दिसंबर को इसकी कीमत ₹1,85,488 प्रति किलोग्राम थी, जो इसकी मजबूत मांग और बाजार में तेजी को दर्शाता है।

वार्षिक प्रदर्शन का अवलोकन

इस वर्ष सोने और चांदी दोनों ने असाधारण वृद्धि दर्ज की है। 31 दिसंबर 2024 को 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत ₹76,162 थी, जो अब। बढ़कर ₹1,36,133 हो गई है, यानी इस साल अब तक ₹59,971 की वृद्धि हुई है। चांदी ने भी इसी अवधि में ₹1,23,233 की भारी वृद्धि देखी है। 31 दिसंबर 2024 को एक किलो चांदी की कीमत ₹86,017 थी, जो अब ₹2,09,250 प्रति किलो हो गई है और यह वृद्धि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और इन धातुओं की बढ़ती मांग को दर्शाती है।

IBJA दरों को समझना

इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) द्वारा जारी सोने और चांदी की कीमतें बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण बेंचमार्क के रूप में कार्य करती हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि इन IBJA दरों में 3% GST, मेकिंग चार्ज और ज्वेलर्स का मार्जिन शामिल नहीं होता है। यही कारण है कि विभिन्न शहरों में सोने और चांदी की खुदरा कीमतें IBJA द्वारा घोषित दरों से भिन्न होती हैं। इन दरों का उपयोग भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए दरें निर्धारित करने के लिए किया जाता है, और। कई बैंक गोल्ड लोन की दरें तय करने के लिए भी इन्हीं का उपयोग करते हैं, जिससे इनकी प्रामाणिकता और महत्व स्थापित होता है।

डॉलर का कमजोर होना:

अमेरिका द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना और वास्तविक कटौती से अमेरिकी डॉलर कमजोर हुआ है। जब डॉलर कमजोर होता है, तो डॉलर में मूल्यवान सोने की होल्डिंग लागत कम हो जाती है, जिससे यह गैर-डॉलर धारकों के लिए अधिक आकर्षक हो जाता है। निवेशक डॉलर से दूर होकर सोने में निवेश करना पसंद करते। हैं, जिससे इसकी मांग बढ़ती है और कीमतें ऊपर जाती हैं। यह एक वैश्विक प्रवृत्ति है जहां निवेशक मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता के खिलाफ बचाव के रूप में सोने को देखते हैं।

भू-राजनीतिक तनाव:

रूस-यूक्रेन युद्ध और दुनिया भर में बढ़ते तनाव जैसी भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं निवेशकों को सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर धकेलती हैं। सोने को पारंपरिक रूप से आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल के समय में एक सुरक्षित आश्रय माना जाता है। जब वैश्विक परिदृश्य अस्थिर होता है, तो निवेशक इक्विटी और अन्य जोखिम भरी संपत्तियों से हटकर सोने में निवेश करते हैं, जिससे इसकी मांग और मूल्य में वृद्धि होती है। यह प्रवृत्ति सोने को एक विश्वसनीय संपत्ति के रूप में स्थापित करती है।

रिजर्व बैंकों द्वारा खरीदारी:

चीन जैसे कई देश अपने केंद्रीय बैंकों में सोने का भंडार बढ़ा रहे हैं और ये देश साल भर में 900 टन से अधिक सोने की खरीदारी कर रहे हैं। केंद्रीय बैंकों द्वारा बड़े पैमाने पर सोने की यह खरीदारी वैश्विक बाजार में सोने की आपूर्ति को कम करती है और इसकी मांग को बढ़ाती है। यह एक मजबूत संकेत है कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं अपनी मुद्रा को मजबूत करने और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सोने को एक महत्वपूर्ण संपत्ति मान रही हैं, जिससे इसकी कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है।

बढ़ती औद्योगिक मांग:

चांदी अब केवल आभूषणों तक ही सीमित नहीं है; यह एक आवश्यक कच्चा माल बन गई है जिसकी औद्योगिक क्षेत्रों में भारी मांग है और सौर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) जैसे उद्योगों में इसका व्यापक उपयोग होता है। इन क्षेत्रों में तेजी से हो रही वृद्धि ने चांदी की औद्योगिक मांग को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ा दिया है, जिससे इसकी आपूर्ति पर दबाव पड़ रहा है और कीमतें ऊपर चढ़ रही हैं और यह चांदी के मूल्य में वृद्धि का एक महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक कारक है।

ट्रंप के टैरिफ का डर:

अमेरिका में संभावित टैरिफ नीतियों (जैसे "ट्रंप के टैरिफ का डर") के कारण अमेरिकी कंपनियां चांदी का भारी स्टॉक जमा कर रही हैं और यह डर भविष्य में आपूर्ति में कमी या आयात लागत में वृद्धि की आशंका से उपजा है। कंपनियों द्वारा एहतियाती तौर पर चांदी का भंडारण करने से वैश्विक बाजार में आपूर्ति कम हो जाती है, जिससे इसकी कीमतें ऊपर चढ़ती हैं और यह एक सट्टा और आपूर्ति-आधारित कारक है जो चांदी की कीमतों को प्रभावित कर रहा है।

निर्माताओं के बीच होड़:

उत्पादन रुकने के डर से और भविष्य में कीमतों में और वृद्धि की आशंका के चलते, निर्माता पहले से ही चांदी की खरीदारी में होड़ कर रहे हैं और वे अपनी उत्पादन लाइनों को चालू रखने के लिए पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित करना चाहते हैं। यह प्रतिस्पर्धात्मक खरीदारी बाजार में चांदी की उपलब्धता को और कम करती है, जिससे इसकी कीमतें लगातार बढ़ती रहती हैं। इस प्रवृत्ति के कारण आने वाले महीनों में भी चांदी की कीमतों में तेजी बनी रहने का अनुमान है।

सोना खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने सोने और चांदी के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया है। उनका अनुमान है कि चांदी की मांग में तेजी बनी रहेगी, और यह अगले 1 साल में ₹2. 50 लाख प्रति किलोग्राम तक जा सकती है और इस साल के अंत तक चांदी की कीमत ₹2. 10 लाख प्रति किलोग्राम तक पहुंचने का अनुमान है। सोने की बात करें तो, इसकी मांग में भी तेजी बनी हुई है, और यह अगले साल तक ₹1 और 50 लाख प्रति 10 ग्राम के पार जा सकता है। इस साल के आखिर तक इसकी कीमत ₹1 और 35 लाख प्रति 10 ग्राम तक पहुंचने की संभावना है।

प्रमाणित सोना ही खरीदें:

उपभोक्ताओं को हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ प्रमाणित सोना ही खरीदना चाहिए। यह हॉलमार्क एक अल्फान्यूमेरिक नंबर (जैसे AZ4524) के साथ आता। है, जो सोने की शुद्धता और कैरेट की गारंटी देता है। हॉलमार्किंग यह सुनिश्चित करती है कि आप जो सोना खरीद रहे हैं वह वास्तविक है और उसकी गुणवत्ता निर्धारित मानकों के अनुरूप है, जिससे धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है।

कीमतों को क्रॉस चेक करें:

सोने का सही वजन और खरीदने के दिन उसकी कीमत कई विश्वसनीय स्रोतों से क्रॉस चेक करना महत्वपूर्ण है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) की वेबसाइट जैसे स्रोत दैनिक दरों की जानकारी प्रदान करते हैं। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सोने का भाव 24 कैरेट, 22 कैरेट और 18 कैरेट के हिसाब से अलग-अलग होता है, इसलिए खरीदारी से पहले इन विवरणों की पुष्टि करना एक सूचित निर्णय लेने में मदद करता है। **शहरों में सोने के दाम अलग क्यों होते हैं?

परिवहन के खर्चे:

सोना एक भौतिक वस्तु है, और इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में महत्वपूर्ण लागत आती है। अधिकांश सोना हवाई जहाज से आयात किया जाता है, और फिर इसे देश के अंदरूनी इलाकों तक पहुंचाना पड़ता है। परिवहन के खर्चों में ईंधन, सुरक्षा, वाहन रखरखाव और कर्मचारियों का वेतन शामिल होता। है, जो अंततः विभिन्न शहरों में सोने की अंतिम कीमत को प्रभावित करता है।

सोने की खरीदारी की मात्रा:

सोने की मांग शहर और राज्य के हिसाब से अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए, दक्षिण भारत में भारत की कुल सोने की खपत का लगभग 40% हिस्सा है। जहां मांग अधिक होती है, वहां विक्रेता थोक में सोना। खरीदते हैं, जिससे उन्हें कम दाम पर सोना मिल सकता है। इसके विपरीत, टियर-2 शहरों में जहां मांग कम होती है, वहां दाम अधिक हो सकते हैं क्योंकि खरीदारी की मात्रा कम होती है।

स्थानीय ज्वेलरी एसोसिएशन:

तमिलनाडु में ज्वेलर्स एंड डायमंड ट्रेडर्स एसोसिएशन जैसे स्थानीय ज्वेलरी एसोसिएशन सोने के दाम तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसी तरह, देश भर में कई अन्य एसोसिएशन हैं जो स्थानीय बाजार की स्थितियों, आपूर्ति और मांग के आधार पर दाम निर्धारित करते हैं। इन एसोसिएशनों के निर्णय विभिन्न शहरों में सोने की कीमतों में भिन्नता का एक प्रमुख कारण बनते हैं।

सोने का खरीद मूल्य:

यह सबसे बड़ा कारक है जो अलग-अलग शहरों में सोने के रेट्स को प्रभावित करता है। जिन ज्वेलर्स ने अपना स्टॉक सस्ते में खरीदा होता है, वे ग्राहकों को कम रेट चार्ज कर सकते हैं। इसके विपरीत, जिन ज्वेलर्स ने ऊंचे दाम पर सोना खरीदा होता है, वे अधिक कीमत वसूल सकते हैं। यह ज्वेलर्स की खरीद रणनीति और बाजार की अस्थिरता पर निर्भर। करता है, जिससे शहरों के बीच कीमतों में अंतर आता है।