- भारत,
- 20-Jun-2025 12:57 PM IST
- (, अपडेटेड 20-Jun-2025 01:13 PM IST)
Indian Railway: भारतीय रेलवे ने यात्रियों को बेहतर यात्रा अनुभव देने और ट्रेनों में अनावश्यक भीड़ को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रेल मंत्रालय ने घोषणा की है कि अब किसी भी ट्रेन में वेटिंग टिकट की संख्या, उस ट्रेन की कुल सीट क्षमता के अधिकतम 25 प्रतिशत तक ही सीमित रहेगी। यह फैसला यात्रियों की सुविधा, पारदर्शिता और टिकट कन्फर्मेशन की संभावना बढ़ाने की दिशा में एक अहम बदलाव माना जा रहा है।
क्लास के अनुसार तय होगा वेटिंग टिकट का कोटा
नई व्यवस्था के तहत सभी क्लास — जैसे एसी फर्स्ट क्लास, एसी सेकंड, एसी थर्ड, स्लीपर और चेयर कार — में कुल बर्थ/सीटों के 25% से अधिक वेटिंग टिकट जारी नहीं किए जाएंगे। यह निर्णय दिव्यांगजन, वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि चार्ट तैयार होने तक औसतन 20-25% वेटिंग टिकट कन्फर्म हो जाते हैं। ऐसे में यह नई सीमा यात्रियों को अपने टिकट की स्थिति जानने में अधिक स्पष्टता देगी और अनावश्यक भ्रम से बचाएगी।
भीड़भाड़ और ओवरबुकिंग की समस्या पर लगेगी लगाम
अब तक कई बार देखा गया है कि वेटिंग टिकट होने के बावजूद यात्री आरक्षित डिब्बों में चढ़ जाते थे, जिससे भीड़ और अव्यवस्था बढ़ जाती थी। रेलवे के अनुसार, इस नई नीति से ऐसी समस्याओं पर अंकुश लगेगा। यदि किसी ट्रेन में 1,000 सीटें हैं, तो अब अधिकतम 250 वेटिंग टिकट ही जारी किए जाएंगे। इससे ट्रेन में चढ़ने वाले यात्रियों की संख्या ज्यादा सटीक और नियंत्रित रहेगी।
सभी प्रमुख ट्रेनों पर लागू होगी नई नीति
यह नियम राजधानी, शताब्दी, दुरंतो, मेल/एक्सप्रेस और सुपरफास्ट सहित सभी प्रमुख ट्रेनों पर लागू किया जाएगा। रेलवे बोर्ड द्वारा जारी सर्कुलर के बाद, विभिन्न जोनल रेलवे ने इसे लागू करना शुरू कर दिया है।
पुरानी व्यवस्था में क्या था?
जनवरी 2013 के सर्कुलर के अनुसार, पहले एसी फर्स्ट क्लास में 30, एसी सेकंड में 100, एसी थर्ड में 300 और स्लीपर क्लास में 400 वेटिंग टिकट तक जारी किए जा सकते थे। इस कारण कई यात्रियों को कन्फर्मेशन की आखिरी समय तक उम्मीद और चिंता बनी रहती थी। वहीं बिना कन्फर्म टिकट के यात्रियों की चढ़ाई से कोचों में अव्यवस्था भी बढ़ती थी।
यात्रियों को मिलेगा लाभ
रेलवे की इस नई पहल से यात्रा पहले से ज्यादा आरामदायक और व्यवस्थित होगी। वेटिंग टिकटों की सीमित संख्या से जहां यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिलने की संभावना बढ़ेगी, वहीं ट्रेनों में अवांछित भीड़ भी घटेगी। यह बदलाव रेलवे के डिजिटल और ग्राहक-केंद्रित सुधारों की दिशा में एक और मजबूत कदम है।