राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है। जहरीली हवा के कारण लोगों को सांस लेने में भारी दिक्कत का। सामना करना पड़ रहा है, जिससे दम घुटने जैसी समस्या बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के समीर ऐप के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार, 19 दिसंबर को सुबह 7:05 बजे तक दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 387 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है और हालांकि, स्थिति की गंभीरता इस बात से स्पष्ट होती है कि दिल्ली में सक्रिय 40 प्रदूषण निगरानी स्टेशनों में से 16 ने AQI स्तर को 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया है, जिसका अर्थ है कि इन स्थानों पर AQI 401 से 500 के बीच रहा।
दिल्ली के प्रदूषण हॉटस्पॉट
राजधानी के विभिन्न हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक ने खतरनाक स्तर छू लिया है। आरके पुरम में सबसे अधिक वायु गुणवत्ता सूचकांक 447 दर्ज किया गया, जो 'गंभीर' श्रेणी के उच्चतम स्तरों में से एक है और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक माना जाता है। इसके अलावा, आनंद विहार, सिरीफोर्ट और विवेक विहार जैसे प्रमुख निगरानी केंद्रों पर AQI 442 रिकॉर्ड किया गया। ये क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं, जहां इतनी खराब हवा का सीधा असर लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। डॉ. करणी सिंह शूटिंग रेंज और एनएसआईटी द्वारका स्टेशनों पर भी AQI 423 रहा, जो। दर्शाता है कि शहर के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में भी स्थिति गंभीर है।
अन्य प्रभावित क्षेत्र और उनके आंकड़े
दिल्ली के अन्य क्षेत्रों में भी प्रदूषण का स्तर चिंताजनक बना हुआ है। द्वारका सेक्टर-8 में प्रदूषण का स्तर 429 AQI दर्ज किया गया, जो इस आवासीय क्षेत्र के निवासियों के लिए एक गंभीर चुनौती है और आईटीओ और मुंडका दोनों निगरानी केंद्रों में AQI का स्तर 409 रहा, जबकि जहांगीरपुरी और रोहिणी दोनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 401 दर्ज किया गया। नेहरू नगर (425), ओखला फेज 2 (422), पटपड़गंज (415), पंजाबी बाग (418) और वज़ीरपुर (406) अन्य निगरानी केंद्र थे जहां वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज की गई और ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि दिल्ली का एक बड़ा हिस्सा इस समय जहरीली हवा की चपेट में है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ गया है।
GRAP स्टेज-IV का कार्यान्वयन
बढ़ते प्रदूषण के इस गंभीर संकट से निपटने के लिए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के स्टेज-IV के तहत सभी सख्त कदम लागू कर दिए हैं। GRAP-IV प्रदूषण नियंत्रण के लिए सबसे कड़े उपायों का एक सेट है, जिसे तब लागू। किया जाता है जब वायु गुणवत्ता 'गंभीर प्लस' या 'आपातकालीन' श्रेणी में पहुंच जाती है। इस चरण में निर्माण गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध, ट्रकों के प्रवेश पर रोक और अन्य कठोर उपाय शामिल होते हैं, जिनका उद्देश्य प्रदूषण के स्रोतों पर तत्काल अंकुश लगाना होता है। CAQM का यह निर्णय दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता की बिगड़ती स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करता है। और यह दर्शाता है कि अधिकारी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
एनसीआर शहरों की स्थिति
दिल्ली के निकटवर्ती शहर जो एनसीआर क्षेत्र में आते हैं, वे भी इस प्रदूषण के कहर से अछूते नहीं हैं। हरियाणा के बहादुरगढ़, बल्लभगढ़, गुरुग्राम और मानेसर, साथ ही उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा और नोएडा में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 'अत्यंत खराब' और 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया गया। नोएडा में सुबह 7:05 बजे कुल वायु गुणवत्ता सूचकांक 422 दर्ज किया गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है। नोएडा के चार निगरानी केंद्रों में से तीन - सेक्टर-1 (469), सेक्टर-116 (424) और सेक्टर-125 (428) - में वायु गुणवत्ता सूचकांक 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया गया और हालांकि, नोएडा के सेक्टर 62 स्टेशन का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 369 था, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है।
गुरुग्राम और गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता
गुरुग्राम में AQI 321 दर्ज किया गया, जिसमें से तीन स्टेशनों में से दो - NISE ग्वाल पहाड़ी (393) और सेक्टर 51 (326) - में वायु गुणवत्ता 'अत्यंत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई। गाजियाबाद में AQI 317 दर्ज किया गया, जिसमें इंदिरापुरम (332) और संजय नगर (337) स्टेशनों में वायु प्रदूषण 'अत्यंत खराब' श्रेणी में दर्ज किया गया। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि दिल्ली के पड़ोसी शहरों में भी हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है, जिससे पूरे क्षेत्र के निवासियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और यह स्थिति क्षेत्रीय स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता को दर्शाती है।
विमानन सेवाओं पर प्रभाव
वायु प्रदूषण के साथ-साथ लगातार घने कोहरे ने दिल्ली हवाई अड्डे पर विमानन सेवाओं को भी बुरी तरह प्रभावित किया है और दृश्यता कम होने के कारण उड़ानें CAT III के तहत संचालित की जा रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई उड़ानों में देरी हो रही है। CAT III एक ऐसी प्रणाली है जो बहुत कम दृश्यता में विमानों को उतरने की अनुमति देती है, लेकिन यह उड़ानों की संख्या और गति को सीमित कर देती है, जिससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण और कोहरे का यह दोहरा मार न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि दैनिक जीवन और आर्थिक गतिविधियों पर भी इसका व्यापक नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।