देश / बिजली संकट की चेतावनी के बीच सरकार ने कोयले के स्टॉक में कमी के 4 कारण बताए

Zoom News : Oct 10, 2021, 01:14 PM
नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, बिहार, दिल्ली और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बिजली का संकट गहराता जा रहा है. तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा कोयले की कमी के मुद्दे को उठाने के बीच केंद्र सरकार ने बिजली संकट और कोयले के भंडार में कमी के चार कारण बताए हैं. इसमें अर्थव्यवस्था में तेजी के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि भी शामिल है. मंत्रालय के मुताबिक कोयला मंत्रालय के नेतृत्व में एक अंतर-मंत्रालयी उप-समूह सप्ताह में दो बार कोयले के स्टॉक की स्थिति की निगरानी कर रहा है क्योंकि कोयले के भंडार में कमी होने के कारण देश में बिजली संकट पैदा हो गई है.

बिजली कंपनी पीएसपीसीएल के मुताबिक, बिजली संयंत्रों में कोयले की भारी कमी के कारण उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है और राज्य में कई स्थानों पर बारी-बारी से बिजली कटौती की जा रही है. देश में इस वर्ष कोयला का हालांकि रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, लेकिन अत्यधिक वर्षा ने कोयला खदानों से बिजली उत्पादन इकाइयों तक ईंधन की आवाजाही को खासा प्रभावित किया है. सरकार का कहना है कि बिजली की दैनिक खपत प्रति दिन 4 बिलियन यूनिट से अधिक हो गई है और इसमें 70 प्रतिशत तक बिजली की मांग को कोयले से बनने वाली बिजली उत्पादन से ही पूरा किया जाता है, यही कारण है कि कोयले पर निर्भरता बढ़ रही है.

सरकार के मुताबिक ये हैं बिजली संकट के 4 कारण….

अर्थव्यवस्था में तेजी के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है.

बारिश ने कोयला खदानों से बिजली उत्पादन इकाइयों तक ईंधन की आवाजाही को भी खासा प्रभावित किया है. सितंबर 2021 के दौरान कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश से कोयला उत्पादन और खदानों से कोयले को निकालने की प्रक्रिया का धीमा पड़ना भी एक कारण है.

इंपोर्ट किए जाने वाले कोयले की कीमतों में अचानक हुई वृद्धि के कारण इंपोर्ट होने वाले कोयले से बनाई जाने वाली बिजली में कमी आई है, इससे घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ गई है. दरअसल, आयातित कोयला (इंपोर्ट कर मंगाया जाने वाला कोयला) आधारित बिजली संयंत्र अपनी क्षमता के आधे से भी कम बिजली का उत्पादन कर रहे हैं. टाटा पावर के प्रवक्ता ने कहा, ‘आयातित कोयले की उच्च लागत के कारण वर्तमान बिजली खरीद करार के तहत बिजली की आपूर्ति करना असंभव जैसा है.’

मानसून की शुरुआत से पहले पर्याप्त कोयला भंडार का निर्माण न करना भी एक बड़ा कारण है.

कृषि क्षेत्र से बिजली की मांग के अलावा दिन का ऊंचा तापमान भी कई राज्य में बिजली की जरूरतों को बढ़ा रहा है.

खदानों में कितना बचा कोयला?

इस बीच बिजली उत्पादकों और वितरकों ने कुछ ही घंटों की बिजली के लिए कोयला बचा होने का दावा करते हुए जहां बिजली कटौती की चेतावनी दी है, वहीं कोयला मंत्रालय का कहना है कि देश में कोयले का भंडार पर्याप्त है और माल की लगतार भरपाई की जा रही है.

कोयला मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, ‘खदानों में लगभग चार करोड़ टन और बिजली संयंत्रों में 75 लाख टन का भंडार है. खदानों से बिजली संयंत्रों तक कोयला पहुंचना परेशानी रही है क्योंकि अत्यधिक बारिश के कारण खदानों में पानी भर गया है. लेकिन अब इसे निपटाया जा रहा है और बिजली संयंत्रों को कोयला की आपूर्ति बढ़ रही है.’

कितनी बढ़ी कोयले की कीमत?

गुजरात को 1850, पंजाब को 475, राजस्थान को 380, महाराष्ट्र को 760 और हरियाणा को 380 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करने वाली टाटा पावर ने गुजरात के मुंद्रा में अपने आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र से उत्पादन बंद कर दिया है. अडाणी पावर की मुंद्रा इकाई को भी इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. बिजली मंत्रालय ने कहा कि इंडोनेशियाई कोयले की आयातित कोयले की कीमत मार्च -2021 में एक टन कोयले की कीमत 60 डॉलर से बढ़कर 160 डॉलर हो गई है.

दिल्ली में सितंबर के मुकाबले खपत ज्यादा

डिस्कॉम के अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली में बिजली की मांग बढ़ रही है और अब यह 2020 से भी अधिक हो गई है. डिस्कॉम के अधिकारियों ने बताया कि इस साल जुलाई और सितंबर के बीच, दिल्ली में बिजली की मांग 2020 के इसी अवधि की तुलना में 53 प्रतिशत अधिक और 2019 की तुलना में 34 प्रतिशत अधिक है.

उन्होंने बताया कि आर्थिक गतिविधियों को खोलने और फिर से शुरू करने के अलावा, शहर की बिजली की मांग पर मौसम का भी गहरा असर पड़ा है. मासिक आधार पर विश्लेषण करने पर, दिल्ली में बिजली की मांग 2020 में इसी दिनों की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक है. अधिकारियों ने बताया कि दूसरी ओर, बारिश के मौसम के कारण सितंबर 2021 में व्यस्त समय की बिजली की मांग सितंबर, 2020 की तुलना में कम रही है.

इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बिजली संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र को एक पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस स्थिति पर नजर रख रहे हैं और ऐसी स्थिति न आए इसके लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं.

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