नॉलेज / पीएन हून के नेतृत्व में इस तरह सेना ने किया था सियाचीन पर कब्जा

News18 : Jan 07, 2020, 10:43 AM
भारतीय सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून (Lt Gen Prem Nath Hoon) का निधन हो गया। भारतीय सेना (Indian Army) उनके अदम्य साहस की गवाह रही है। पीएन हून के नेतृत्व में ही भारतीय सेना ने सबसे ऊंची बर्फीली चोटी सियाचीन (Siachen) पर तिरंगा लहराया था। साल 1983 में पाकिस्तान सियाचीन चोटी पर कब्जे की कोशिश में लगा था। लेकिन पीएन हून के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया। सियाचीन पर कब्जे के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत को अंजाम दिया था।

सियाचीन को लेकर क्या था विवाद

पाकिस्तान 1983 में सियाचीन पर कब्जे की कोशिश में लगा था। हालांकि सियाचीन को लेकर विवाद बंटवारे के वक्त से चला आ रहा था। कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच झगड़ा बंटवारे के समय से ही चल रहा था। 1949 में दोनों देशों के बीच सीमा रेखा को लेकर सीजफायर हुआ। इस बारे में 1949 में कराची एग्रीमेंट हुआ था। भारत पाकिस्तान के सुदूर पूर्वी भाग में सीमा रेखा नहीं खींची गई थी। इस इलाके में NJ9842 आखिरी पॉइंट था। इसके आगे न आबादी थी और न यहीं पहुंचना आसान था। उस वक्त सेना के अधिकारियों को ये भरोसा नहीं था कि NJ9842 के आगे भी सैन्य विवाद हो सकता है।

शिमला समझौते में भी NJ9842 के आगे की सीमा पर चर्चा नहीं हुई। ग्लेशियर से भरे उस इलाके में जाने की कोई सोच भी नहीं सकता था।

1962 के युद्ध के बाद बदलने लगी पाकिस्तान की नीयत

1962 के युद्ध के बाद पाकिस्तान ने सीजफायर लाइन में बदलाव लाने शुरू कर दिए। 1964 से 1972 के बीच पाकिस्तान ने NJ9842 के ऊपर भी सीजफायर लाइन दिखाना शुरू कर दिया। पाकिस्तान ने बदलाव करके सियाचीन पर दावा जताना शुरू कर दिया। सियाचीन जाने वाले पर्वतारोहियों के लिए ये जरूरी कर दिया गया कि वो पाकिस्तान से इसकी परमिट लें।

1978 में भारतीय सेना के एक पर्वतारोही कर्नल नरेंद्र कुमार ने सियाचीन में पाकिस्तानी कब्जे की कोशिश की जानकारी दी। एक जर्मन पर्वतारोही से उन्हें एक मैप मिला था, जिसमें सियाचीन समेत करीब 4 हजार वर्गकिलोमीटर को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में दिखाया गया था। इसके बाद सियाचीन में सेना का एक पोस्ट बनाने का निर्देश जारी हुआ। लेकिन उस वक्त कहा गया कि सियाचीन के हालात को देखते हुए वहां सेना का पोस्ट बनाना मुमकिन नहीं है। सेना ने तय किया कि गर्मियों के मौसम में सियाचीन में सेना पेट्रोलिंग करेगी।

1982 में पाकिस्तान ने भारतीय सेना की पेट्रोलिंग पर जताई आपत्ति

भारतीय सेना ने सियाचीन में अपनी मूवमेंट बढ़ा दी थी। 1982 में पाकिस्तानी सेना की तरफ से भारतीय सेना को एक विरोध नोट मिला, जिसमें पाकिस्तान ने सियाचीन में सेना की मूवमेंट पर आपत्ति जताई थी। भारतीय सेना ने इसका जवाब दिया और सियाचीन में पेट्रोलिंग जारी रखी। 1983 की गर्मियों में भारतीय सेना ने सियाचीन की पेट्रोलिंग और तेज कर दी और वहां सेना ने एक झोपड़ीनुमा पोस्ट बना दी। भारत और पाकिस्तान के बीच इसको लेकर विरोध नोट का आदान प्रदान होता रहा।

1983 में खुफिया एजेंसियों की सूचना पर सतर्क हुई सेना

1983 में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सूचना दी कि पाकिस्तानी सेना सियाचीन पर कब्जे की तैयारी कर रही है। पाकिस्तानी सेना ने सियाचीन में सेना की तैनाती के लिए यूरोप से सर्दियों में पहने जाने वाले गर्म कपड़ों के भारी ऑर्डर दिए थे। ये सब सियाचीन में सैनिकों की तैनाती को लेकर किया जा रहा था। भारतीय सेना ने इस सूचना पर सधी हुई कार्रवाई का प्लान बनाया। उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेना को इस मूव की इजाजत दी।

जब भारत ने चलाया ऑपरेशन मेघदूत

सियाचीन को पाकिस्तान के कब्जे में जाने से रोकने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत चलाया। लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून को इस ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी गई। 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत पर काम शुरू किया। खास बात ये रही कि इसके सिर्फ एक दिन पहले यानी 12 अप्रैल को ही ग्लेशियर से ढंके सियाचीन जैसे इलाके में सैनिकों को पहनने वाले कपड़े का इंतजाम हुआ था। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर कब्जे की ये एतिहासिक जंग थी।

भारत के लिए मुश्किल ये थी कि भारत की तरफ से सियाचीन की खड़ी चढ़ाई थी। जबकि पाकिस्तान की तरफ से सियाचीन की ऊंचाई कम थी। पीएन हून के नेतृत्व में भारतीय सेना ने सियाचिन की भीषण ठंड में भी पाकिस्तानी सेना को मात दी।


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