World News / भारत गाजा में युद्धविराम के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा, फिलिस्तीन के पक्ष में इस मुद्दे पर सबको चौंकाया

Zoom News : Apr 06, 2024, 08:43 AM
World News: भारत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में शुक्रवार को उस प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहा, जिसमें गाजा में तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया गया और यह भी मांग की गई कि इजरायल गाजा पट्टी से अपनी अवैध नाकाबंदी तुरंत हटा ले। परिषद द्वारा 'पूर्वी यरूशलम सहित अधिकृत फलस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति और जवाबदेही एवं न्याय सुनिश्चित करने के दायित्व' पर मसौदा प्रस्ताव को स्वीकार किया गया, जिसके पक्ष में 28 मत पड़े। इसके खिलाफ छह मत पड़े और 13 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया। वहीं फिलिस्तीनियों के एक मुद्दे पर भारत ने उसके पक्ष में वोटिंग करके सबको हैरान कर दिया। 

बता दें कि भारत, फ्रांस, जापान, नीदरलैंड और रोमानिया सहित 13 देश प्रस्ताव पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे। प्रस्ताव के ख़िलाफ़ मतदान करने वालों में अर्जेंटीना, बुल्गारिया, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं। प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले देशों में बांग्लादेश, बेल्जियम, ब्राजील, चीन, इंडोनेशिया, कुवैत, मलेशिया, मालदीव, कतर, दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और वियतनाम भी शामिल हैं। प्रस्ताव में गाजा में तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया गया और यह भी मांग की गई है कि इजरायल गाजा पट्टी से अपनी अवैध नाकाबंदी तुरंत हटा ले।

भारत ने फिलिस्तीन के पक्ष में मतदान कर सबको चौंकाया

संयुक्तराष्ट्र के दो प्रस्तावों में से भारत ने एक में अप्रत्य़क्ष रूप से इजरायल का साथ  दिया था। मगर इसी  भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के उस मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में शुक्रवार को मतदान किया जिसमें फलस्तीनी लोगों के स्वतंत्र फलस्तीन देश के अधिकार समेत आत्म-निर्णय के ‘‘अपरिहार्य अधिकार’’ की पुष्टि की गयी है। जिनेवा स्थित परिषद ने ‘फलस्तीनी लोगों के आत्म-निर्णय के अधिकार’ पर मसौदा प्रस्ताव पारित किया जिसमें भारत समेत 42 सदस्य देशों ने उसके पक्ष में मतदान किया। परिषद के 47 सदस्यों में से दो देशों अमेरिका और पराग्वे ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया जबकि अल्बानिया, अर्जेंटीना और कैमरून मतदान से दूर रहे।

प्रस्ताव में लिखी है कौन सी बात

प्रस्ताव में ‘‘स्वतंत्रता, न्याय और सम्मान से रहने के फलस्तीनी लोगों के अधिकार और स्वतंत्र फलस्तीन देश के अधिकार समेत उनके आत्म-निर्णय के अपरिहार्य, स्थायी और पूर्ण अधिकार’’ की पुष्टि की गयी है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रासंगिक प्रस्तावों समेत अंतरराष्ट्रीय कानून और अन्य अंतरराष्ट्रीय रूप से स्वीकार्य मानकों के अनुसार इजरायल-फलस्तीन संघर्ष के उचित, व्यापक और स्थायी शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर बल दिया गया है। इसमें इजराइल से पूर्वी यरुशलम समेत कब्जे वाले फलस्तीन क्षेत्र का अपना कब्जा तुरंत खत्म करने और फलस्तीन की राजनीतिक स्वतंत्रता, संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता में किसी भी बाधा को दूर करने और उसके निवारण का आह्वान किया गया है।

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