भारत सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल को प्रशिक्षित करने के। तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने की तैयारी कर रही है। डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) द्वारा गठित एक आठ सदस्यीय समिति ने AI मॉडल को ट्रेन करने के लिए कॉपीराइट कंटेंट के उपयोग पर अनिवार्य रॉयल्टी सिस्टम लागू करने का प्रस्ताव दिया है। यह कदम OpenAI, Google और Microsoft जैसी वैश्विक AI दिग्गजों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि उन्हें अब भारत में अपने AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए रॉयल्टी का भुगतान करना पड़ सकता है।
DPIIT समिति का गठन और उद्देश्य
DPIIT ने इस साल की शुरुआत में, विशेष रूप से 28 अप्रैल को, एक आठ सदस्यीय समिति का गठन किया था और इस समिति का मुख्य उद्देश्य मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत जेनरेटिव AI से संबंधित मामलों की जांच करना और आवश्यक सिफारिशें प्रस्तुत करना था। समिति को यह सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया था कि जेनरेटिव AI मॉडल बनाने वाली कंपनियां उपयोगकर्ताओं के टेक्स्ट और वीडियो डेटा का उपयोग प्रशिक्षण के लिए बिना अनुमति या अनुमति के करने के संबंध में एक उचित रॉयल्टी प्रणाली का पालन करें। इस महत्वपूर्ण सुझाव पर अगले 30 दिनों के भीतर विचार-विमर्श किया जाएगा, जिससे। भारत में AI के भविष्य के लिए एक नई दिशा तय हो सकती है।
जीरो-प्राइस लाइसेंस मॉडल की अस्वीकृति
समिति ने अपने सुझावों में 'जीरो-प्राइस लाइसेंस मॉडल' प्रणाली को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। इस मॉडल के तहत, AI डेवलपर्स को बिना किसी लागत के कॉपीराइट कंटेंट का उपयोग करने की अनुमति मिल जाती है, जिससे मानव रचनात्मकता को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता। DPIIT समिति ने इसके बजाय मानव रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया है, जिसके। लिए AI मॉडल प्रशिक्षण के लिए एक अनिवार्य रॉयल्टी प्रणाली बनाने पर बल दिया गया है। यह दृष्टिकोण रचनाकारों के अधिकारों की रक्षा करने और उनके काम के। लिए उचित मुआवजा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रस्तावित हाइब्रिड मॉडल की रूपरेखा
जीरो-प्राइस लाइसेंस के विकल्प के रूप में, समिति ने एक 'हाइब्रिड मॉडल' का प्रस्ताव किया है। इस मॉडल के तहत, AI डेवलपर्स को अपने AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए सभी कॉपीराइट कंटेंट तक कानूनी पहुंच प्राप्त करने के लिए एक 'ब्लैंकेट लाइसेंस' प्राप्त करना होगा और यह लाइसेंस उन्हें विभिन्न प्रकार की सामग्री का उपयोग करने की अनुमति देगा, लेकिन कुछ शर्तों के अधीन।
रॉयल्टी का निर्धारण और भुगतान
प्रस्तावित हाइब्रिड मॉडल के तहत, कॉपीराइट कंटेंट या मानव रचनाओं पर रॉयल्टी का मूल्य तभी जारी किया जाएगा जब प्रशिक्षित AI मॉडल या टूल को व्यावसायिक रूप से लॉन्च किया जाएगा। इसका मतलब है कि AI डेवलपर्स को तब तक रॉयल्टी का भुगतान नहीं करना होगा जब तक कि उनका AI उत्पाद बाजार में नहीं आ जाता और राजस्व उत्पन्न करना शुरू नहीं कर देता। रॉयल्टी की दरें सरकार द्वारा गठित एक विशेष समिति द्वारा निर्धारित की जाएंगी और यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इन रॉयल्टी दरों पर न्यायिक समीक्षा की जा सकेगी, जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
कलेक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए केंद्रीकृत तंत्र
समिति ने रॉयल्टी के संग्रह और वितरण के लिए एक। केंद्रीकृत तंत्र (सेंट्रलाइज्ड मैकेनिज्म) स्थापित करने का भी प्रस्ताव दिया है। इस केंद्रीकृत तंत्र का उद्देश्य लेनदेन लागत को कम करना, कानूनी निश्चितता प्रदान करना और बड़े तथा छोटे AI डेवलपर्स दोनों के लिए समर्थन प्रदान करना है और यह प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि रॉयल्टी का संग्रह और वितरण सुचारू और कुशल तरीके से हो, जिससे सभी हितधारकों को लाभ हो।
भारत में AI बाजार और वैश्विक संदर्भ
आठ सदस्यीय समिति ने भारत में तेजी से बढ़ते जेनरेटिव AI टूल के बाजार की ओर भी इशारा किया है। उन्होंने OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन के उस बयान को भी संदर्भ में रखा है, जिसमें उन्होंने भारत को अमेरिका के बाद AI के लिए दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बताया था और यह दर्शाता है कि भारत AI नवाचार और उपयोग के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन रहा है। AI कंपनियां भारतीय उपयोगकर्ताओं से बड़ी मात्रा में राजस्व कमा रही हैं, और यह प्रस्तावित रॉयल्टी प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि इस राजस्व का एक हिस्सा उन रचनाकारों तक भी पहुंचे जिनकी सामग्री का उपयोग AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है और यह कदम भारत को AI के क्षेत्र में एक अग्रणी नियामक के रूप में स्थापित कर सकता है, जो रचनात्मकता और नवाचार के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास कर रहा है।