Tahawwur Hussain Rana / NIA ने तहव्वुर राणा की आवाज और लिखावट के लिए सैंपल, खुलेंगे मुंबई हमले के अहम राज

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा से एनआईए ने आवाज और लिखावट के नमूने लिए। अदालत के आदेश पर राणा को मजिस्ट्रेट के समक्ष लाया गया। उसकी हिरासत 12 दिन बढ़ी। अमेरिकी नागरिक राणा का प्रत्यर्पण सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर किया था। 26/11 हमले में 166 लोग मारे गए थे।

Tahawwur Hussain Rana: मुंबई आतंकी हमले के कुख्यात मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपनी जांच को तेज़ करते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में उसकी आवाज़ और हस्तलिपि के नमूने लिए गए। यह कार्रवाई न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) वैभव कुमार के समक्ष कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच संपन्न हुई।

एनआईए द्वारा की गई यह कार्रवाई कोर्ट के उस आदेश के तहत की गई है जिसमें तहव्वुर राणा को अपनी आवाज़ और लिखावट के नमूने देने का निर्देश दिया गया था। अदालत में बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान राणा से विभिन्न वर्ण और संख्याएं लिखवाई गईं। उसके वकील पीयूष सचदेव ने अदालत में यह स्पष्ट किया कि उनके मुवक्किल ने आदेश का पूर्ण पालन किया है।

न्यायिक हिरासत बढ़ी, जांच का दायरा फैला

विशेष एनआईए न्यायाधीश चंद्रजीत सिंह ने एनआईए के अनुरोध पर राणा की हिरासत 12 दिन और बढ़ा दी है। यह निर्णय 28 अप्रैल को लिया गया, जिससे एजेंसी को राणा से और अधिक गहन पूछताछ का अवसर मिला है। एनआईए अब राणा के लिखावट और आवाज़ के नमूनों की फोरेंसिक जांच के जरिये यह प्रमाणित करने की दिशा में अग्रसर है कि वह वास्तव में 26/11 हमलों के षड्यंत्र में कितनी गहराई से शामिल रहा।

अमेरिका से प्रत्यर्पण: कानूनी लड़ाई का अंत

तहव्वुर राणा अमेरिकी नागरिक है, और भारत में उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पूरी हुई। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 4 अप्रैल को उसकी अंतिम समीक्षा याचिका खारिज करते हुए भारत को उसकी सुपुर्दगी की अनुमति दी। इससे पहले, उसे शिकागो में गिरफ्तार किया गया था और 26/11 मामले में उसकी संदिग्ध भूमिका को लेकर भारत ने औपचारिक रूप से प्रत्यर्पण की मांग की थी।

26/11: इतिहास की एक भयावह रात

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुआ आतंकी हमला भारत के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक था। 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समन्वित रूप से कई स्थानों – CST रेलवे स्टेशन, ताज और ओबेरॉय होटल, लियोपोल्ड कैफे और नरीमन हाउस – को निशाना बनाया था। लगभग 60 घंटे तक चले इस हमले में 166 लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। इस हमले की योजना पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा ने बनाई थी और डेविड कोलमैन हेडली, जो राणा का सहयोगी था, ने हमले से पहले रेकी की थी।

आगे क्या?

एनआईए द्वारा राणा से पूछताछ और सबूतों का संकलन 26/11 हमले के पूरे तंत्र को उजागर करने और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ हो सकता है। यदि राणा की लिखावट और आवाज़ के नमूने आतंकियों से जुड़े दस्तावेजों या कॉल रिकॉर्डिंग से मेल खाते हैं, तो भारत को इस ऐतिहासिक मामले में एक बड़ी सफलता मिल सकती है।

इस प्रकरण पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हैं, और अब उम्मीद है कि न्याय की प्रक्रिया अपने अंजाम तक पहुंचेगी।