India-Nepal / इकबाल अंसारी का ओली को जवाब, 'हनुमान जी को गुस्सा आ गया तो नेपाल का पता नहीं लगेगा'

Zee News : Jul 15, 2020, 07:59 AM
अयोध्या: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP sharma Oli) के भगवान राम पर दिए गए विवादित बयान पर बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) ने जवाब देते हुए कहा कि राम के सेवक हनुमान जी को गुस्सा आया तो नेपाल का पता भी नहीं लगेगा कि गया कहां। इकबाल अंसारी ने अयोध्या को भगवान श्रीराम की जन्मस्थली न बताने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री ओली को जवाब देते हुए कहा कि "अयोध्या का सम्मान सारी दुनिया के लोग करते हैं, जो आज से नहीं बल्कि पुरातन सभ्यता से चला आ रहा है। अयोध्या धर्म की नगरी है और यहां पर सभी धर्म व जाति के देवी-देवता विराजमान हैं।"  

उन्होंने कहा कि अयोध्या का जो महत्व है, वह नेपाल के प्रधानमंत्री नहीं जानते। अयोध्या में भगवान राम के साथ हनुमान जी भी विराजमान है।  अगर अब हनुमान जी को गुस्सा आ गया तो नेपाल का पता भी नहीं चलेगा कि वह गया कहां। 

अंसारी ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली को तो अपने धर्म के बारे में जानकारी नहीं है। नेपाल में हिंदू विरोधी कार्य किया जाता है। वहीं नेपाल के प्रधानमंत्री अयोध्या के बारे में नहीं जानते, न ही वह अयोध्या कभी घूमे हैं। वह अगर कभी अयोध्या आए होते तो उन्हें यह जरूर मालूम होता कि यहां पर देवताओं का वास है। भगवान श्रीराम तथा अयोध्या को गलत कहने का अंजाम बहुत बुरा होगा।"

गौरतलब है कि नेपाल के प्रधानमंत्री ओली इन दिनों भारत के विरोध में जमकर बयान दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ओली ने बयान दिया था कि भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण के लिए नकली अयोध्या का निर्माण किया है, जबकि असली अयोध्या नेपाल में है। ओली ने सवाल किया कि उस समय आधुनिक परिवहन के साधन और संचार नहीं थे तो राम जनकपुर तक कैसे आए। उनके इस बयान पर भारत में धर्मगुरुओं की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।

चौतरफा घिरने के बाद ओली ने दी सफाई

भगवान राम और अयोध्या को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की टिप्पणी की चौतरफा आलोचना हुई। देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि ओली ने 'सारी हदें पार कर दी हैं।' इस बीच, नेपाल सरकार ने मंगलवार को प्रधानमंत्री के बयान के बचाव में सफाई पेश की और कहा कि प्रधानमंत्री ओली के बयान 'किसी भी राजनीतिक विषय से जुड़े नहीं थे' और उनका इरादा किसी भी तरह से किसी की भावनाओं को 'आहत' करने का नहीं था।

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