श्री राम मंदिर / अयोध्या में भूमि पूजन से पहले लालकृष्ण आडवाणी हुए भावुक

Zoom News : Aug 04, 2020, 10:28 PM

राम जन्मभूमि आंदोलन (Ram Janmbhoomi Movement) की सबसे मुखर आवाज रहे लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप के बीच अपनी अधिक उम्र के चलते राम मंदिर की आधारशिला (foundation stone) रखे जाने के कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो सकेंगे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (video conferencing) के जरिए वे समारोह में जुड़ेंगे. लेकिन इस अवसर पर उन्होंने अपना एक वक्तव्य (statement) जारी किया है. इसमें आडवाणी ने कहा है कि कभी-कभी किसी के जीवन में महत्वपूर्ण सपना पूरा होने में काफी समय लग जाता है, लेकिन जब वह आखिरकार पूरा होता है, तो इंतजार सार्थक हो जाता है. ऐसा ही एक सपना, जो मेरे दिल के करीब है जो अब पूरा हो रहा है.


आडवाणी ने यह भी कहा, "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi), राम की जन्मस्थली अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण की आधारशिला रख रहे हैं. यह वास्तव में मेरे लिए ही नहीं बल्कि सभी भारतीयों के लिए एक ऐतिहासिक और भावनात्मक दिन (historical and emotional day) है."


पूर्व उपप्रधानमंत्री ने यह भी कहा, "मेरा मानना है कि राम मंदिर सशक्त, संपन्न और सौहार्दपूर्ण राज्य के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा जहां पर सभी को न्याय मिलेगा और कोई अलग-थलग नहीं होगा."

आडवाणी ने कहा, 'मैं राम जन्मभूमि आंदोलन में योगदान और बलिदान देने वाले भारत और दुनिया के संतों, नेताओं और लोगों के स्कोर के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं. मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णायक फैसले के कारण राम मंदिर का निर्माण शांति के माहौल में शुरू हो रहा है. यह भारतीयों के बीच के बंधन को मजबूत करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा.


भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी के नाते मोदी ने वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 में हुई ‘राम रथ यात्रा’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जबकि आदित्यनाथ के गुरू स्वर्गीय महंत अवैद्यनाथ ने 1984 में बने साधुओं और हिन्दू संगठनों के समूह की अगुवाई कर मंदिर आंदोलन में अहम योगदान दिया था.


साल 1989 में पालमपुर में हुए भाजपा के अधिवेशन में पहली बार राम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया गया. आडवाणी ने अपनी प्रसिद्ध रथ यात्रा की शुरुआत गुजरात के सोमनाथ मंदिर से की थी. उनकी इस यात्रा को 1990 में प्रधानमंत्री वी पी सिंह के अन्य पिछड़ा वर्गो के आरक्षण के मकसद से शुरू की गई मंडल की राजनीति की काट के रूप में भी देखा जाता है

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