देश / मंकीपॉक्स का पहला केस मिलने के बाद इन 5 जिलों में अलर्ट, केंद्र ने जारी की गाइडलाइन

Zoom News : Jul 15, 2022, 08:24 PM
Monkeypox in India: भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आने के बाद केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है. शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भेजी गई 4 एक्सपर्ट की टीम केरल का दौरा कर रही है, जहां मंकीपॉक्स का पहला केस मिला था. सरकार ने फिर से गाइडलाइन्स जारी की हैं, ये वही गाइडलाइन्स हैं जो 31 मई को जारी की गई थी. केरल में 35 वर्ष के एक व्यक्ति में राज्य सरकार ने मंकीपॉक्स की पुष्टि की है, ये व्यक्ति हाल ही में विदेश यात्रा करके लौटा था. नई गाइडलाइन्स के मुताबिक मंकीपॉक्स के केस में जीनोम सिक्वेंसिंग या आरपीसीआर टेस्ट ही कंफर्म माना जाएगा. भारत में मंकीपॉक्स की जांच के लिए 15 लैब तैयार की गई हैं.

केंद्र ने फिर जारी की गाइडलाइन

मंकीपॉक्स का कोई भी संदिग्ध केस पाए जाने पर सैंपल को जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में भेजे जाने के भी निर्देश हैं. अब ये बीमारी ऐसे देशों में भी फैल रही है जहां ये पहले से नहीं थी, इसलिए सरकार ने पहले से ही दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं ताकि इससे प्रसार को रोका जा सके. गाइडलाइंस के मुताबिक मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की निगरानी की जाएगी और मरीज को 21 दिन के लिए आइसोलेशन में रखा जाएगा. संक्रमण के सोर्स की जल्द से जल्द पहचान करने के लिए एक निगरानी रणनीति का प्रस्ताव दिया गया है. दर्जनभर देशों में मंकीपॉक्स फैलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके खतरे की श्रेणी को निम्न से हटाकर मध्यम कर दिया है.

केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार भी अपनी ओर से पूरी तैयारी कर रही है. एक हाई लेवल मीटिंग के बाद राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा कि पांच जिलों- तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पथनमथिट्टा, अलप्पुझा और कोट्टायम में हाई अलर्ट जारी किया गया है क्योंकि इन जिलों के लोगों ने संक्रमित व्यक्ति के साथ शारजाह-तिरुवनंतपुरम इंडिगो उड़ान में यात्रा की थी जो यहां 12 जुलाई को पहुंची थी. मंत्री ने कहा कि विमान में 164 यात्री और उड़ान दल के छह सदस्य मौजूद थे.

केरल सरकार ने की तैयारी

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इन सभी जिलों में क्वारंटीन सेंटर बनाए जाएंगे और संक्रमित व्यक्ति के बगल की सीटों पर बैठने वाले 11 लोग हाई रिस्क वालों की लिस्ट में हैं. इसके अलावा मरीज के माता-पिता, एक ऑटो चालक, एक टैक्सी चालक और एक निजी अस्पताल के स्किन डॉक्टर भी इस रिस्क लिस्ट में हैं. मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मी उन लोगों के संपर्क में हैं जिनके संक्रमित व्यक्ति के कॉन्टैक्ट में आने का शक है और अगर उनमें बुखार या अन्य लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो उनकी कोविड-19 समेत अन्य जांच की जाएगी. उन्होंने कहा कि मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर भी जांच की जाएगी.

इस वायरस के मामले उन देशों से भी सामने आ रहे हैं जो किसी तरह से अफ्रीका से नहीं जुड़े हुए हैं, जहां इस वायरस ने महामारी का रूप ले लिया है. मई में इस वायरस का पहला मामला सामने आया था और अब तक कई देशों में फैल चुका है. ये भी चिंता बढ़ रही है कि अगर यह वायरस जंगली जानवरों में फैल गया तो फिर इसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा.

देरी से सामने आते हैं लक्षण

WHO के मुताबिक अगर यह वायरस कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को चपेट में लेता है तो वह जल्द बीमार पड़ते हैं और जोखिम बढ़ जायेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि मंकीपॉक्स के अचानक सामने आये मामलों से लगता है कि यह संक्रमण इंसान द्वारा फैलता है. यह संक्रिमत व्यक्ति की स्किन या लार के सम्पर्क में आने से फैलता है. इससे संक्रमित रोगी बिना इस वायरस की पहचान के कई सप्ताह तक घूमता रहता है और ये एक बड़ी परेशानी की बात है. दरअसल मंकीपॉक्स के लक्षण सामने आने में 7 से 15 दिन तक का वक्त लग सकता है.

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