NEP / नई शिक्षा नीति: पढ़ाई, परीक्षा, रिपोर्ट कार्ड सब में होंगे ये बड़े बदलाव

AajTak : Jul 30, 2020, 08:10 AM
नई शिक्षा नीति: देश की श‍िक्षा नीति में 34 साल बाद नये बदलाव किए गए हैं। बुधवार को इस नई श‍िक्षानीति को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। नई श‍िक्षा नीति में स्कूल के बस्ते, प्री प्राइमरी क्लासेस से लेकर बोर्ड परीक्षाओं, रिपोर्ट कार्ड, यूजी एडमिशन के तरीके, एमफिल तक बहुत कुछ बदला है। यहां जानें आख‍िर न्यू एजुकेशन पॉलिसी में इतने सालों बाद क्या बदला है, इससे आपके बच्चे की पढ़ाई पर कैसा फर्क पड़ेगा।

इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि छात्रों को पढ़ाई के साथ साथ किसी लाइफ स्‍क‍िल से सीधा जोड़ना।

अभी तक आप आर्ट, म्यूजिक, क्राफ्ट, स्पोर्ट्स, योग आदि को सहायक पाठ्यक्रम (co curricular) या अतिरिक्त पाठ्यक्रम (extra curricular) एक्ट‍िविटी के तौर पर पढ़ते आए हैं। अब ये मुख्य पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे, इन्हें एक्स्ट्रा करिकुलर एक्ट‍िविटी भर नहीं कहा जाएगा।

अभी तक शादी होने या किसी के बीमार होने पर किसी की पढ़ाई बीच में छूट जाती थी। अब ये व्यवस्था है कि अगर किसी कारण से पढ़ाई बीच सेमेस्टर में छूट जाती है तो इसे मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम के तहत आपको लाभ मिलेगा। मतलब अगर आपने एक साल पढ़ाई की है तो सर्टिफिकेट, दो साल की है तो डिप्लोमा मिलेगा। तीन या चार साल के बाद डिग्री दी जाएगी।

सरकार ने तय किया है कि अब सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का कुल 6 फीसदी शिक्षा पर खर्च होगा। फिलहाल भारत की जीडीपी का 4।43% हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है। वहीं मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। ये भी बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव है।

आयोग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण पर खास जोर दिया है। जाहिर है कि एक अच्छा टीचर ही एक बेहतर स्टूडेंट तैयार करता है। इसलिए व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की गई है।

सरकार अब न्यू नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार करेगी। इसमें ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा। बोर्ड एग्जाम को भाग में बांटा जाएगा। अब दो बोर्ड परीक्षाओं को तनाव को कम करने के लिए बोर्ड तीन बार भी परीक्षा करा सकता है।

इसके अलावा अब बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा।जैसे कि आपने अगर स्कूल में कुछ रोजगारपरक सीखा है तो इसे आपके रिपोर्ट कार्ड में जगह मिलेगी। जिससे बच्चों में लाइफ स्किल्स का भी विकास हो सकेगा। अभी तक रिपोर्ट कार्ड में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था।

सरकार अब न्यू नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार करेगी। इसमें ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा। बोर्ड एग्जाम को भाग में बांटा जाएगा। अब दो बोर्ड परीक्षाओं को तनाव को कम करने के लिए बोर्ड तीन बार भी परीक्षा करा सकता है।

इसके अलावा अब बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा।जैसे कि आपने अगर स्कूल में कुछ रोजगारपरक सीखा है तो इसे आपके रिपोर्ट कार्ड में जगह मिलेगी। जिससे बच्चों में लाइफ स्किल्स का भी विकास हो सकेगा। अभी तक रिपोर्ट कार्ड में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था।

 सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाए। इसके लिए एनरोलमेंट को 100 फीसदी तक लाने का लक्ष्य है। इसके अलावा स्कूली शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास लाइफ स्किल भी होगी। जिससे वो जिस क्षेत्र में काम शुरू करना चाहे, तो वो आसानी से कर सकता है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुसार, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (National Education Policy, NEP) को अब देश भर के विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए एडिशनल चार्ज दिया जाएगा। जिसमें वह हायर एजुकेशन के लिए आम यानी कॉमन एंट्रेंस परीक्षा का आयोजन कर सकता है।

NTA पहले से ही ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम JEE Main, मेडिकल प्रवेश परीक्षा - NEET, UGC NET, दिल्ली विश्वविद्यालय (DUET), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNUEE) जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है।

पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, 'राष्ट्रीय शिक्षा आयोग' का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है। ये राष्ट्रीय श‍िक्षा आयोग भारत की प्राचीन ज्ञान पद्धतियों को समग्रता के साथ श‍िक्षा से जोड़ने का काम करेगा।

रिसर्च में जाने वालों के लिए भी नई व्यवस्था की गई है। उनके लिए 4 साल के डिग्री प्रोग्राम का विकल्प दिया जाएगा। यानी तीन साल डिग्री के साथ एक साल एमए करके एम फिल की जरूरत नहीं होगी। इसके बाद सीधे पीएचडी में जा सकते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि सरकार ने नई श‍िक्षा नीति में अब एमफिल को पूरी तरह खत्म करने की बात कही है।

मल्टीपल डिसिप्लनरी एजुकेशन में अब आप किसी एक स्ट्रीम के अलावा दूसरा सब्जेक्ट भी ले सकते हैं। यानी अगर आप इंजीनियरिंग कर रहे हैं और आपको म्यूजिक का भी शौक है तो आप उस विषय को भी साथ में पढ़ सकते हैं। अब स्ट्रीम के अनुसार सब्जेक्ट लेने पर जोर नहीं होगा। पहले जैसे स्ट्रीम के अनुसार सब्जेक्ट का चुनाव करना होता था, अब उसमें भी बदलाव आएगा।

 प्राथमिक स्तर पर शिक्षा में बहुभाषिकता को प्राथमिकता के साथ शामिल करने और ऐसे भाषा शिक्षकों की उपलब्धता को महत्व दिया दिया गया है जो बच्चों के घर की भाषा समझते हों। यह समस्या राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राज्यों में दिखाई देती है। इसलिए पहली से पांचवीं तक जहां तक संभव हो मातृभाषा का इस्तेमाल शिक्षण के माध्यम के रूप में किया जाए। जहां घर और स्कूल की भाषा अलग-अलग है, वहां दो भाषाओं के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है।

लड़कियों की शिक्षा जारी रहे इसके लिए उनको भावनात्मक रूप से सुरक्षित वातावरण देने का सुझाव दिया गया है। इसके लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का विस्तार 12वीं तक करने का सुझाव नई शिक्षा नीति-2019 में है।

 U।S। की NSF (नेशनल साइंस फाउंडेशन) की तर्ज पर सरकार NRF (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) ला रही है। इसमें न केवल साइंस बल्कि सोशल साइंस भी शामिल होगा। ये बड़े प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में युवाओं को आगे आने में मदद करेगा।

पहली व दूसरी कक्षा में भाषा व गणित पर काम करने पर जोर देने की बात नई शिक्षा नीति में शामिल है। इसके साथ ही चौथी व पांचवीं के बच्चों के साथ लेखन कौशल पर काम करने पर भी ध्यान देने की बात कही गई है। इसके  लिए भाषा सप्ताह, गणित सप्ताह व भाषा मेला या गणित मेला जैसे आयोजन होंगे।

इसमें पुस्तकालयों को जीवंत बनाने और अन्य एक्ट‍िविटी को कराने पर ध्यान देने की बात कही गई है। जैसे बच्चे स्टोरी टेलिंग, रंगमंच, ग्रुप स्टडी, पोस्टर और डिस्प्ले से भी सीखें। बच्चों को किताबों के अलावा दूसरे माध्यमों से सिखाने पर जोर है, ये बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के उद्देश्य से भी जरूरी माना गया है।

अर्ली चाइल्डहुड केयर एवं एजुकेशन के लिए करिकुलम एनसीईआरटी द्वारा तैयार होगा। इसे 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए डेव‍लप किया जाएगा। इसमें बुनियादी शिक्षा (6 से 9 वर्ष के लिए) के लिए फाउंडेशनल लिट्रेसी एवं न्यूमेरेसी पर नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा।

इसके लिए राष्ट्रीय श‍िक्षा नीति में गिफ्टेड चिल्ड्रेन एवं गर्ल चाइल्ड के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पॉलिसी में कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल स्टडी को जोड़ा जाएगा।

शिक्षकों के सपोर्ट के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने की बात भी नई शिक्षा नीति में शामिल है। इसके लिए कंप्यूटर, लैपटॉप व फोन इत्यादि के जरिए विभिन्न ऐप का इस्तेमाल करके शिक्षण को रोचक बनाने की बात कही गई है।

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