विश्व / ब्लैक लिस्ट में पाकिस्तान, जानें FATF के बारे में सबकुछ

NavBharat Times : Aug 23, 2019, 05:42 PM
फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) के ग्रे लिस्‍ट में डालने के बाद अब FATF की एशिया प्रशांत इकाई ने उसे डाउनग्रेड कर 'ब्लैक लिस्ट' में डाल दिया है। FATF की एशिया प्रशांत इकाई ने आतंकियों को धन मुहैया कराने और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने में असमर्थ रहने पर पाकिस्‍तान को ब्‍लैक लिस्‍ट में डाला है। एफएटीएफ की एशिया प्रशांत इकाई के ब्‍लैक लिस्‍ट में डाले जाने के बाद अब पाकिस्‍तान के एफएटीएफ के ग्रे लिस्‍ट से निकलने की संभावना और कम हो गई है। एफएटीएफ ने 'कड़ाई' से पाकिस्तान से अक्टूबर 2019 तक अपने ऐक्शन प्लान को पूरा करने को कहा था। पाकिस्तान पिछले एक साल से FATF की ग्रे लिस्ट में है और उसने FATF से पिछले साल जून में ऐंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग मैकेनिजम को मजबूत बनाने के लिए उसके साथ काम करने का वादा किया था। आइए जानते हैं कि FATF क्या है, इसकी स्थापना कब हुई, इसका मुख्य कार्य क्या है, इसकी ब्लैक और ग्रे लिस्ट का क्या मतलब होता है... 

फाइनैंशनल ऐक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force)

फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स या एफएटीएफ एक अंतर सरकारी संस्था है। यह मुख्य रूप से मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद को फंडिंग और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सिस्टम के लिए अन्य खतरों से निपटने के उपायों पर काम करती है। यह असल में एक 'नीति निर्माता संस्था' है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग को प्रोत्साहित करने वाले देशों पर नजर रखती है और उन देशों पर विधायी एवं नियामक सुधारों के लिए दबाव बनाती है। 

आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए FATF के निर्देश 

एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के लिए फंडिंग और बड़े पैमाने पर तबाही के हथियार के प्रसार की रोकथाम के लिए कई हिदायतें जारी की हैं। उन निर्देशों को इन क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय मानक के तौर पर पहचान मिली है। पहली बार 1990 में एफएटीएफ ने अपना निर्देश जारी किया थी जिसे 1996, 2001, 2003 और 2012 में संशोधित किया गया है। 

क्या करती है FATF? 

एफएटीएफ मनी लॉन्ड्रिंग को प्रोत्साहन देने वाले और आतंकी फंडिंग को बढ़ावा देने वाले देशों पर नजर रखती है। उन देशों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा करती है। यह उन देशों को चिह्नित करती है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग के लिए सुरक्षित ठिकाने होते हैं। 

FATF का इतिहास 

1989 में जी-7 शिखर सम्मेलन हुआ था और उसी में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स का गठन किया गया था। इसका सचिवालय पैरिस स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के मुख्यालय में है। 2001 में इसके कार्य क्षेत्र को विस्तार दिया गया और आतंकवाद को धन मुहैया कराने के विरूद्ध नीतियां बनाना भी इसके कार्यक्षेत्र में शामिल कर लिया गया। 

क्या है एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट? 

साल 2000 से फाइनैंशनल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा ब्लैकलिस्ट जारी की जाती है जिसे एफएटीएफ ब्लैकलिस्ट या ओईसीडी ब्लैकलिस्ट कहा जाता है। इस लिस्ट में वे देश शामिल होते हैं जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी गतिविधियों की फंडिंग रोकने के लिए सहयोगात्मक कदम नहीं उठा रहे हैं। ऐसे देशों को Non-Cooperative Countries or Territories (NCCTs)कहा जाता है। 

ब्लैक लिस्ट में डालने का परिणाम 

अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एडीबी और अन्य देश इस तरह के देशों पर आर्थिक पाबंदियां लगा देते हैं। 

इस तरह के देशों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एडीबी और अन्य देशों से कर्ज नहीं मिलता है। 

इस तरह के देशों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में काफी गिरावट आ जाती है। 

एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट 

एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट एक तरह से वॉर्निंग होती है। इसे International Cooperation Review Group (आईसीआरजी) के नाम से जाना जाता है। इस लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है जिनके बारे में माना जाता है कि वे आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में सहयोग कर रहे हैं। अगर कोई देश आतंकि फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम कसने में नाकाम रहता है तो उसे ग्रे लिस्ट से ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। 

पाकिस्तान और ग्रे लिस्ट 

पाकिस्तान को पहली साल 2012 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था और 2015 तक उस लिस्ट में था। 29 जून, 2018 को दूसरी बार एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया। अब FATF की एशिया प्रशांत इकाई ने उसे डाउनग्रेड कर 23 अगस्त, 2019 को 'ब्लैक लिस्ट' में डाल दिया है। 

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