KP CM Sohail Afridi / खैबर पख्तूनख्वा के CM सोहेल अफरीदी के साथ पंजाब विधानसभा में फिर बदसलूकी

पाकिस्तान की पंजाब विधानसभा में खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी और उनके प्रतिनिधियों के साथ सुरक्षाकर्मियों ने मारपीट की। यह घटना एक महीने पहले रावलपिंडी जेल में पुलिस द्वारा अफरीदी पर किए गए हमले के बाद हुई है। अफरीदी ने इसे 'मार्शल लॉ जैसा व्यवहार' बताया और पाकिस्तान में लोकतंत्र के खतरे पर चिंता व्यक्त की।

पाकिस्तान में राजनीतिक तनाव अपने चरम पर है, जहां खैबर पख्तूनख्वा (KP) के मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी को एक बार फिर शारीरिक बदसलूकी का सामना करना पड़ा है। यह घटना शुक्रवार को पंजाब विधानसभा में हुई, जब सुरक्षाकर्मियों ने मुख्यमंत्री और उनके प्रतिनिधियों के साथ कथित तौर पर मारपीट की। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जो पाकिस्तान के भीतर। बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता और लोकतांत्रिक मूल्यों के क्षरण पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

पंजाब विधानसभा में टकराव

वीडियो फुटेज में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि मुख्यमंत्री अफरीदी। अपने प्रतिनिधियों के साथ पंजाब असेंबली में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की और इस खींचतान के बीच, अफरीदी के एक साथी, फतेह उल्लाह बुर्की, बीच में आ गए। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने बुर्की के साथ मारपीट की और। उन्हें धक्का देकर विधानसभा से बाहर निकालने का प्रयास किया। हालांकि, अन्य अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद बुर्की को छोड़ दिया गया। पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस घटना में किसी को गंभीर चोट न आने की बात। कही है, लेकिन इस तरह की घटना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

मुख्यमंत्री अफरीदी की कड़ी निंदा

इस घटना के बाद मुख्यमंत्री अफरीदी ने एक बयान जारी कर इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, 'कोई भी लोकतांत्रिक सरकार ऐसा काम नहीं करती है, यह सीधे-सीधे मार्शल लॉ जैसा व्यवहार है। ' अफरीदी ने पाकिस्तान में लोकतंत्र के खतरे पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब में एक 'नकली सरकार' है, जिसका एकमात्र उद्देश्य एक विशेष पार्टी को डराना और धमकाना है और उन्होंने यह भी बताया कि लाहौर में उनके कार्यकर्ताओं के साथ 'बुरा व्यवहार और उत्पीड़न' किया जा रहा है। अफरीदी ने चक्री और मंडी बहाउद्दीन में कार्यकर्ताओं के रास्ते रोके जाने, उनके वाहनों को रोकने, कुछ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने और सांसदों के साथ भी बदसलूकी होने का जिक्र किया।

राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और संदर्भ

यह घटना पाकिस्तान की जटिल राजनीतिक पृष्ठभूमि में हुई है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मुस्लिम लीग नून (PML-N) की सरकार है, जिसकी मुख्यमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज हैं। वहीं, खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) से संबंध रखते हैं। यह राजनीतिक विभाजन और सत्ता संघर्ष इन घटनाओं के मूल में है, जहां एक प्रांत के मुख्यमंत्री को दूसरे प्रांत की विधानसभा में इस तरह की बदसलूकी का सामना करना पड़ रहा है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि देश में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता किस हद तक बढ़ चुकी है।

हिंसा का एक पूर्व उदाहरण: अडियाला जेल की घटना

यह पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी को शारीरिक हमले का सामना करना पड़ा है। लगभग एक महीने पहले, 28 नवंबर को, उन्हें रावलपिंडी की अडियाला जेल में इमरान खान से मिलने जाते समय पुलिस ने पीटा था। उस समय पुलिस ने उनके बाल खींचे और उन्हें जमीन पर गिरा दिया था। यह घटना पहले ही राजनीतिक तनाव को बढ़ा चुकी थी और अब पंजाब विधानसभा में हुई नई घटना ने इस तनाव को और गहरा कर दिया है। यह दर्शाता है कि राजनीतिक विरोधियों के प्रति राज्य तंत्र का रवैया कितना कठोर हो गया है।

कथित सैन्य संलिप्तता और बढ़ते तनाव

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अडियाला जेल में मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी पर हुए हमले की कार्रवाई कथित तौर पर सेना के आदेश पर की गई थी। जिस समय अफरीदी जेल पहुंचे थे, वहां भारी सुरक्षा तैनात थी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) समर्थकों की भीड़ लगातार बढ़ रही थी और उनके पहुंचने से हालात और बिगड़ गए थे, जिसने संभवतः अधिकारियों को बल प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया। यह आरोप, यदि सत्य है, तो पाकिस्तान में नागरिक-सैन्य संबंधों और लोकतांत्रिक संस्थानों पर सेना के कथित प्रभाव के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करता है।

अफरीदी को हटाने की मांग और प्रशासनिक चिंताएं

इन घटनाओं के बीच, पाकिस्तान के न्याय राज्य मंत्री अकील मलिक ने 1 दिसंबर को एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'पख्तूनख्वा में सुरक्षा और प्रशासन की हालत बहुत खराब हो चुकी है। ' यह बयान अफरीदी के सेंट्रल जेल रावलपिंडी के बाहर रातभर धरना देने के बाद आया था। मलिक ने अफरीदी पर खैबर पख्तूनख्वा की स्थिति सुधारने में 'बुरी तरह फेल' रहने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अफरीदी न तो केंद्र सरकार से कोई तालमेल रख। रहे हैं और न ही जरूरी जगहों पर कोई कार्रवाई कर रहे हैं। ये टिप्पणियां मुख्यमंत्री अफरीदी के भविष्य और खैबर पख्तूनख्वा में उनकी स्थिति। पर सवाल उठाती हैं, जो मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल को और जटिल बनाती हैं।