देश / यूएनएससी की बैठक की अध्यक्षता करने वाले पहले भारतीय पीएम बने नरेंद्र मोदी

Zoom News : Aug 09, 2021, 08:26 PM
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को समुद्री सुरक्षा के विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की ओर से आयोजित ओपन डिबेट की अध्यक्षता की. इसके साथ ही नरेंद्र मोदी यूएनएससी की ओर से आयोजित किसी अहम बैठक की अगुवाई करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री भी बन गए. यूएनएससी की ओर से आयोजित ओपन डिबेट के अपने अध्यक्षीय संबोधन में पीएम मोदी ने समुद्र को इंटरनेशनल ट्रेड की लाइफलाइन बताया.

पीएम मोदी ने कहा कि ये हमारे प्लैनेट के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि आज हमारी इस साझा धरोहर को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. पाइरेसी और आतंकवाद के लिए समुद्री रास्तों का दुरुपयोग हो रहा है. अनेक देशों के बीच समुद्री विवाद हैं और जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं भी मैरिटाइम डोमेन से जुड़े विषय हैं. पीएम मोदी ने सामुद्रिक धरोहर की सुरक्षा के लिए साझा फ्रेमवर्क की जरूरत पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि ऐसा फ्रेमवर्क कोई एक देश नहीं बना सकता. इसे साझा प्रयास से ही साकार किया जा सकता है. पीएम ने विश्वास व्यक्त किया कि समुद्री सुरक्षा को लेकर इस उच्च स्तरीय चर्चा से मार्गदर्शन मिलेगा. पीएम ने इसे आकार प्रदान करने के लिए पांच मूलभूत सिद्धांत भी बताए. उन्होंने कहा कि हमें मैरिटाइम ट्रेड में बैरियर्स हटाने चाहिए. हम सबकी समृद्धि इसके फ्लो पर निर्भर है. इसमें अड़चनें बाधा उत्पन्न कर सकती है.

पीएम ने दिया 'SAGAR' का विजन

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की सभ्यता हजारों साल से फ्री मैरिटाइम ट्रेड से जुड़ी है. सिंधु घाटी सभ्यता का लोथल बंदरगाह समुद्री व्यापार से जुड़ा हुआ था. प्राचीन समय के फ्री मैरिटाइम ट्रेड के दौर में ही भगवान बुद्ध का शांति संदेश पूरे विश्व में फैल पाया. उन्होंने सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन (SAGAR) का विजन दिया. पीएम ने कहा कि इस विजन के जरिए हम अपने क्षेत्र में मैरिटाइम सिक्योरिटी का एक ढांचा बनाना चाहते हैं. ये विजन सेफ, सिक्योर और स्टेबल मैरिटाइम का है.

अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर हो विवाद का निपटारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि समुद्री विवाद का निपटारा शांतिपूर्ण तरीके से अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप ही होना चाहिए. भारत ने इसी समझ और परिपक्वता के साथ अपने पड़ोसी बांग्लादेश के साथ मैरिटाइम बाउंड्री को सुलझाया है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं और अन्य खतरों से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाए जाने की आवश्यकता है. पीएम ने इस दिशा में भारत की ओर से उठाए गए कदम भी गिनाए और कहा कि भारतीय नौसेना 2008 से हिंद महासागर में पैट्रोलिंग कर रही है. हिंद महासागर में भारत की भूमिका नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर की रही है.

मैरिटाइम रिसोर्सेज को संजोकर रखना होगा

पीएम ने कहा कि समुद्र का पर्यावरण पर सीधा असर होता है इसलिए हमें मैरिटाइम रिसोर्सेज और एनवायरनमेंट को संजोकर रखना होगा. समुद्र को प्लास्टिक से मुक्त रखना होगा और ओवर फिशिंग के खिलाफ साझा कदम उठाने होंगे. उन्होंने डीप ओशियन मिशन की भी चर्चा की और कहा कि हमें रिस्पॉन्सिबल मैरिटाइम कनेक्टिविटी को प्रोत्साहन देना चाहिए. पीएम मोदी ने कहा कि समुद्री व्यापार को बढ़ाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण आवश्यक है लेकिन देशों की फिस्कल स्थिति को भी ध्यान में रखना चाहिए.

यूएनएससी में पहली बार हुई ओपन डिबेट

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कई बार ऐसा होता है जब किसी मुद्दे पर चर्चा का आयोजन होता है लेकिन ऐसा पहली ही बार हो रहा है जब ओपन डिबेट हो रही है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि समुद्र से संबंधित विषय पर कोई अकेले निर्णय नहीं ले सकता. इसीलिए संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों को ओपन डिबेट के लिए आमंत्रित किया. इस ओपन डिबेट में केन्या के राष्ट्रपति और वियतनाम के प्रधानमंत्री भी शामिल हुए. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य हैं. भारत दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है.

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