पंजाब में मुफ्त बिजली का भार / पावरकॉम पर पड़ेगा 7000 करोड़ रुपये का बोझ, सालाना रेवेन्यू का 50 फीसदी सब्सिडी पर निर्भर

Zoom News : Apr 17, 2022, 02:16 PM
300 यूनिट बिजली मुफ्त देने के एलान से पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पावरकॉम) पर सालाना अतिरिक्त 7000 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ जाएगा। खास बात यह है कि सरकार के इस फैसले के बाद अब पावरकॉम की सालाना आय का 50 फीसदी से अधिक हिस्सा सब्सिडी पर निर्भर हो गया है। माहिरों का मानना है कि ऐसे में अगर पंजाब सरकार अपने पुराने रवैये के मुताबिक समय से सब्सिडी का भुगतान नहीं करती है तो पावरकॉम के लिए भयंकर आर्थिक मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। 

प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक पावरकॉम का सालाना रेवेन्यू 34000 करोड़ है। एससी/बीसी के लिए मुफ्त 200 यूनिट, खेतीबाड़ी के लिए मुफ्त बिजली, इंडस्ट्री के लिए पांच रुपये प्रति यूनिट बिजली समेत अन्य श्रेणियों को दी जा रही सब्सिडी की राशि सालाना करीब 13000 करोड़ की बनती थी। नए एलान से सब्सिडी राशि बढ़कर 20000 करोड़ तक पहुंच जाएगी। 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने से पावरकॉम पर सालाना 7000 करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा, जबकि पावरकॉम की करीब 9000 करोड़ की सब्सिडी राशि पहले ही सरकार की तरफ बकाया है। इनमें सरकारी विभागों, बोर्डों व कारपोरेशन के बकाया बिजली बिलों का 2300 करोड़ है। इसके अलावा एससी/बीसी कैटेगरी को हर महीने मिलने वाले मुफ्त 200 यूनिट का 1300 करोड़ और स्वतंत्रता सैनानियों के वारिसों को मिलने वाले 300 यूनिट का 38 करोड़, चन्नी सरकार की ओर से 1 किलोवाट तक के घरेलू उपभोक्ताओं के पुराने बकाया बिजली माफ करने का 1600 करोड़ समेत अन्य सब्सिडी शामिल है। 

भुगतान में देरी से 17000 करोड़ के लोन में फंसा है पावरकॅाम

विभिन्न सब्सिडी के भुगतान में देरी से पावरकॉम के लिए आर्थिक मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। पावरकॉम को अपने खर्चे पूरे करने के लिए बैंकों से लोन लेना पड़ रहा है। इस समय पावरकॉम पर 17000 करोड़ का लोन है, जिस पर सालाना 1400 करोड़ का भारी ब्याज देना पड़ रहा है। इस लोन का बड़ा हिस्सा 10 प्रतिशत ब्याज पर है। अभी कुछ दिन पहले पावरकॉम ने 500 करोड़ का और लोन लेने के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं, जिससे पावरकाम की मौजूदा वित्तीय स्थिति का पता लगता है।  

कमीशन कहता है एडवांस में हो भुगतान : इंजीनियर्स एसोसिएशन 

पीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन के जनरल सेकेटरी इंजीनियर अजयपाल सिंह ने कहा कि पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के मुताबिक सब्सिडी का भुगतान एडवांस में होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है। बिजली सेक्टर पंजाब की आर्थिक स्थिति में एक बड़ा रोल अदा करता है। ऐसे में अगर सरकार की ओर से पावरकॉम को समय पर सब्सिडियों का भुगतान न किया गया, तो बड़ी आर्थिक मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

300 यूनिट मुफ्त देने का फैसला गलत : अर्थशास्त्री 

पंजाबी यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग से रिटायर प्रोफेसर बलविंदर सिंह टिवाणा का कहना है कि प्रदेश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के मद्देनजर यह फैसला सही नहीं है। सरकार को यह एलान करने से पहले रोड मैप तैयार करना चाहिए था कि किस तरह से पंजाब की आय में वृद्धि करनी है। अगर सरकार को यह फैसला लेना ही था तो चरणबद्ध तरीके से इस योजना को अमलीजामा पहनाया जा सकता था। जैसे पहले केवल एससी व बीसी और बाद में अन्य वर्गों के उपभोक्ताओं को धीरे-धीरे इसमें शामिल किया जाता। 

पहले तो पंजाब सरकार को प्रदेश पर चढ़े तीन लाख करोड़ के कर्जे को कम करने व धीरे-धीरे आय में वृद्धि के तरीकों को लेकर विचार करके ठोस कदम उठाने चाहिए थे। साथ ही सरकार को बिजली सेक्टर के सुचारु संचालन के लिए भी रोड मैप तैयार करने की जरूरत है। जनकल्याण का मतलब यह नहीं कि हर वर्ग को मुफ्त की सुविधा दे दी जाए। जो बिल दे सकते हैं, उन्हें सरकार ने 300 यूनिट बिजली मुफ्त क्यों की है। इसे किसी भी तरीके से तर्कसंगत नहीं माना जा सकता है। पहले की सरकारों ने ही पावरकॉम की करोड़ों रुपये की सब्सिडी का भुगतान नहीं किया है।

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