Battle Of Galwan / सलमान खान की फिल्म 'बैटल ऑफ गलवान' से चीन बौखलाया, ग्लोबल टाइम्स ने कहा- कहानी से जमीन पर कब्जा नहीं होता

सलमान खान की फिल्म 'बैटल ऑफ गलवान' के टीजर रिलीज होने के बाद चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि कहानी से जमीन पर कब्जा नहीं होता और फिल्म में तथ्य नहीं हैं। चीन अपने गलवान घाटी के दावे को दोहरा रहा है, जबकि ऑस्ट्रेलियाई रिपोर्ट में उसके 38 सैनिकों के मारे जाने की बात कही गई है।

बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की आगामी फिल्म 'बैटल ऑफ गलवान' का टीजर जारी होने के बाद चीन में हलचल मच गई है। यह फिल्म 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़पों पर आधारित है, जिसने दोनों देशों के संबंधों में एक नया मोड़ ला दिया था। फिल्म के टीजर के सामने आते ही चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इस पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें कहा गया है कि 'कहानी से जमीन पर कब्जा नहीं होता' और फिल्म में 'तथ्यों की कमी' है और यह बयान चीन की उस बेचैनी को दर्शाता है जो गलवान संघर्ष से जुड़ी किसी भी ऐसी प्रस्तुति को लेकर है जो उसके अपने गढ़े हुए आख्यान से मेल नहीं खाती।

चीन का आधिकारिक दावा और वैश्विक रिपोर्टें

चीन ने गलवान घाटी संघर्ष में अपने सैनिकों के हताहत होने की संख्या को लेकर हमेशा एक अस्पष्ट और कम करके आंका गया आंकड़ा पेश किया है। उसका दावा है कि इस झड़प में उसके केवल चार सैनिक मारे गए थे। यह आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई रिपोर्टों और विश्लेषणों से बिल्कुल उलट है और उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'द क्लैक्शन' ने अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट में दावा किया था कि गलवान में चीन के कम से कम 38 जवान मारे गए थे। यह विरोधाभास चीन की उस रणनीति का हिस्सा रहा है जिसमें वह अपनी सेना की कमजोरियों या नुकसान को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से बचता है। भारत ने आधिकारिक तौर पर इस झड़प में अपने 20 सैनिकों के शहीद होने। की पुष्टि की थी, जिससे यह संघर्ष भारतीय जनमानस में गहरे तक उतर गया।

ग्लोबल टाइम्स की प्रतिक्रिया और चीनी विशेषज्ञों की राय

सलमान खान की फिल्म को लेकर चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने विशेष रूप से टिप्पणी की है कि चीन में ज्यादातर। लोग सलमान खान को उनकी फिल्म 'बजरंगी भाईजान' के लिए जानते हैं, जो भारत-पाकिस्तान संबंधों पर आधारित एक मानवीय कहानी थी। अब 'बैटल ऑफ गलवान' में सलमान खान कर्नल बिक्कुमल्ला संतोष बाबू का किरदार निभा रहे हैं, जिन्हें भारतीय मीडिया 2020 के गलवान घाटी संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला बताता है। चीनी विशेषज्ञों ने फिल्म को लेकर कहा है कि 'हमारी पवित्र भूमि पर फिल्म का कोई असर नहीं पड़ता' और उनका तर्क है कि बॉलीवुड फिल्में मुख्य रूप से भावनाओं और मनोरंजन पर आधारित होती हैं, और कितनी भी बढ़ा-चढ़ाकर बनाई गई फिल्म न तो इतिहास बदल सकती है और न ही चीन की सेना (पीएलए) के अपने इलाके की रक्षा करने के इरादे को कमजोर कर सकती है। यह बयान चीन की अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति। दृढ़ता को दर्शाता है, भले ही वह तथ्यों को लेकर विवादित हो।

'इसमें फैक्ट नहीं' - चीन का मुख्य तर्क

फिल्म का टीजर रिलीज होने के तुरंत बाद चीन की तरफ से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं और फिल्म में दिखाए गए 'तथ्यों' पर सवाल उठाए जाने लगे और एक चीनी विशेषज्ञ ने जोर देकर कहा कि बॉलीवुड फिल्में अक्सर भावनाओं और मनोरंजन पर केंद्रित होती हैं, लेकिन कोई भी फिल्म, चाहे वह कितनी भी नाटकीय या अतिरंजित क्यों न हो, इतिहास को बदल नहीं सकती। उनका मानना है कि ऐसी फिल्में चीन की सेना (पीएलए) के अपने क्षेत्र की रक्षा करने के संकल्प को कमजोर नहीं कर सकतीं। यह तर्क चीन के उस आधिकारिक रुख को पुष्ट करता है जिसमें वह गलवान संघर्ष को लेकर अपनी स्थिति को सही ठहराता है और किसी भी विपरीत आख्यान को खारिज करता है।

चीनी सोशल मीडिया पर बहस और चीन का गलवान पर दावा

सलमान खान की फिल्म को लेकर चीन में तेजी से चर्चा हो रही है, खासकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर। चीनी साइट वीबो पर एक यूजर ने टिप्पणी की कि यह 'ओवरड्रामैटिक भारतीय फिल्म तथ्यों से बिल्कुल उलट है'। यह टिप्पणी चीनी जनता के बीच फिल्म के प्रति नकारात्मक धारणा को दर्शाती है, जो संभवतः आधिकारिक मीडिया के प्रभाव में है। चीन के अनुसार, गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीनी हिस्से में आती है और वहां चीनी सैनिक लंबे समय से गश्त करते रहे हैं। चीनी रक्षा मंत्रालय का दावा है कि भारत ने इस क्षेत्र में सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचे बनाकर पहले स्थिति बदली और एलएसी पार की, जिसके बाद तनाव बढ़ा। यह चीन का वह पक्ष है जिसे वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी प्रस्तुत करता रहा है।

चीन की गढ़ी हुई कहानी और भारतीय प्रतिक्रिया

चीन का कहना है कि 15 जून 2020 को भारतीय सैनिकों ने समझौते का उल्लंघन करते हुए फिर से एलएसी पार की और बातचीत के लिए आए चीनी सैनिकों पर हमला किया, जिससे हिंसक झड़प हुई और दोनों तरफ हताहत हुए। यह कहानी चीन द्वारा अपने कार्यों को सही ठहराने और भारतीय पक्ष को दोषी ठहराने के लिए गढ़ी गई है। हालांकि, भारतीय पक्ष ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि चीनी सैनिकों ने एकतरफा रूप से यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया था, जिसके कारण झड़प हुई। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'द क्लैक्शन' के मुताबिक गलवान में चीन के 38 जवान मारे गए थे, जबकि चीन ने केवल चार सैनिकों के मारे जाने की बात कही। इसके विपरीत, भारत ने अपने 20 सैनिकों के बलिदान को स्वीकार किया।

चीनी सैन्य विशेषज्ञों की अतिरिक्त टिप्पणियां

चीनी सैन्य विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग ने कहा कि भारत में फिल्मों के जरिए राष्ट्रवादी भावनाएं भड़काना कोई नई बात नहीं है, लेकिन फिल्मों से सच्चाई नहीं बदली जा सकती। उनका कहना है कि गलवान की घटना में पहले भारत ने सीमा पार की और चीन की सेना ने अपने क्षेत्र की रक्षा की। यह टिप्पणी चीन के आधिकारिक नैरेटिव को दोहराती है और भारत पर सीमा उल्लंघन का आरोप लगाती है। एक अन्य विशेषज्ञ ने चिंता व्यक्त की कि ऐसे समय में जब भारत-चीन संबंधों में धीरे-धीरे सुधार के संकेत मिल रहे हैं, यह एकतरफा कहानी दिखाने वाली फिल्म माहौल को और खराब कर सकती है और विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि कोई भी फिल्म कितनी भी बढ़ा-चढ़ाकर क्यों न बनाई जाए, वह किसी देश की 'पवित्र जमीन' की सच्चाई नहीं बदल सकती और इससे चीन की जमीन पर कोई असर नहीं होगा। यह चीन के अपने क्षेत्रीय दावों के प्रति अटूट विश्वास को दर्शाता है।

गलवान वैली में वास्तव में क्या हुआ था?

15 और 16 जून 2020 की रात को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक अभूतपूर्व और हिंसक झड़प हुई थी। यह झड़प कई दशकों में दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य टकरावों में से एक थी। इस हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जिन्होंने चीनी घुसपैठ को रोकने के लिए अदम्य साहस का प्रदर्शन किया था। जैसा कि ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'द क्लैक्शन' ने रिपोर्ट किया था, इस झड़प में चीन के 38 जवान मारे गए थे, हालांकि चीन ने इस आंकड़े को कभी आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया। इस घटना ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया। झड़प के बाद, भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कई चीनी कंपनियों और मोबाइल एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था, और चीन से उड़ान सेवाओं को भी प्रतिबंधित कर दिया था। यह घटना भारत-चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिसके बाद सीमा पर तनाव और अविश्वास का माहौल बना रहा।