Mahakumbh Stampede / SC ने महाकुंभ भगदड़ मामले को सुनने से किया इनकार, कहा- HC जाएं

महाकुंभ भगदड़ मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। सीजेआई ने घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए मामले की सुनवाई से इनकार किया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया। याचिका में श्रद्धालुओं की सुरक्षा और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की गई थी।

Vikrant Shekhawat : Feb 03, 2025, 01:04 PM
Mahakumbh Stampede: महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना ने न केवल देशभर में शोक का माहौल बना दिया, बल्कि इससे जुड़ी न्यायिक प्रक्रिया भी पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर रही है। इस घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने से इनकार किया और याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।

सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका में महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ में हुई जनहानि और श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की गई थी। याचिका में 29 जनवरी को हुई भगदड़ में 30 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत का उल्लेख करते हुए, इस दुर्घटना पर स्थिति रिपोर्ट की मांग की गई थी। वकील विशाल तिवारी ने यह याचिका दायर की थी और इस घटना में जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। इसके साथ ही याचिका में यह भी प्रस्तावित किया गया कि सभी राज्यों द्वारा मेले में सुविधा केंद्र खोले जाएं, ताकि गैर हिंदी भाषी श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो।

सुप्रीम कोर्ट का रुख: हाईकोर्ट से न्याय की उम्मीद

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ले जाएं। सीजेआई संजीव खन्ना ने इस घटना को अत्यधिक दुखद बताते हुए कहा, "यह एक गंभीर मामला है और हमें इससे बहुत चिंता है, लेकिन इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाए।" उनके इस निर्देश के बावजूद, उन्होंने याचिकाकर्ता को इस मामले में आगे बढ़ने की स्वतंत्रता दी।

यह फैसला तब आया जब यूपी सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत में कहा कि इस घटना की न्यायिक जांच चल रही है और इस पर एक आयोग भी गठित किया गया है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि उच्च न्यायालय में पहले ही इस मुद्दे पर एक याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय में जाने का सुझाव दिया और याचिका खारिज कर दी।

न्यायिक जांच और प्रशासनिक कदम

महाकुंभ भगदड़ की घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए हैं। इस घटना में हुई भारी जनहानि ने सुरक्षा व्यवस्थाओं की कमी को उजागर किया। इसी संदर्भ में याचिका में यह भी कहा गया था कि इस प्रकार की भगदड़ की घटनाएं अक्सर घटित हो रही हैं, और इसलिए इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए नियमों की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस घटना के बाद न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं, और एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया है, जो इस मामले की गहनता से जांच करेगा। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है।

आगे की राह: क्या बदलाव आएगा?

महाकुंभ जैसी धार्मिक आयोजनों में लाखों लोग एकत्र होते हैं, और इनकी सुरक्षा व्यवस्था अत्यधिक महत्व रखती है। सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायिक संस्थाओं के फैसले यह संकेत देते हैं कि देश में बड़े आयोजनों के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कठोर उपायों की आवश्यकता है। यह घटना शायद भविष्य में सुरक्षा प्रोटोकॉल और व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो।

हालांकि, इस घटना से संबंधित न्यायिक प्रक्रिया अभी भी चल रही है, लेकिन इस पर न्याय मिलने की संभावना हाईकोर्ट में पाई जा सकती है। यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसी घटनाओं से भविष्य में बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई हो।