Jansatta : Nov 20, 2019, 06:25 PM
नई दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में चालू वित्त वर्ष के पहले 6 महीने में 95,700 करोड़ रुपये के घाटोले की बात सामने आई है। बैंको में धोखाधड़ी से जुड़ी इस रिपोर्ट को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में सार्वजनिक किया। हालांकि, सरकारी बैंकों के पिछले डेढ़ सालों के दौरान बैड लोन यानी NPA में गिरावट जरूर दर्ज की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, 1 अप्रैल, 2019 से 30 सितंबर, 2019 की अवधि के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 5,743 धोखाधड़ी से जुड़े मामलों की जानकारी दी। इसमें कुल 95,760.49 करोड़ रुपये की राशि शामिल है।वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने लिखित जवाब में कहा कि बैंकों में धोखाधड़ी की घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं। इनमें 3.38 लाख निष्क्रिय कंपनियों के बैंक खाते पर कार्रवाई शामिल हैं। सरकार ने सार्वजनिक बैंकों के एनपीए से संबंधित संभावित फर्जीवाड़े की आशंका वाले 50 करोड़ रुपये से अधिक के सभी खातों की जांच करने के निर्देश दिए हैं।जानकारी के मुताबिक RBI ने एक सेंट्रल फ्रॉड रजिस्ट्री (CFR) भी स्थापित किया है, जो बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा दायर फ्रॉड के मामलों को देखेगा। हालांकि, इस बीच अच्छी खबर ये है कि सरकारी बैंकों के एनपीए में गिरावट आई है। 31 मार्च, 2018 तक सभी बैंकों का कुल एनपीए 97,996 करोड़ रुपये से गिरकर 30 जून, 2019 तक 9.38 लाख करोड़ रुपये हो गया। गौरतलब है कि इस दौरान सरकार ने सार्वजनिक बैंकों में भी पूंजी डालने का भी काम किया, ताकि उन्हें पहाड़ जैसे बैड लोन से निपटने में आसानी हो।एक अन्य सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (PMC) बैंक के ग्राहकों के लिए 50,000 रुपये की निकासी की सीमा में वृद्धि के साथ ही, 78 फीसदी जमाकर्ताओं को अपना पूरा पैसा निकालने की अनुमति दे दी गई है। 23 सितंबर, 2019 तक (आरबीआई के निर्देशों को लागू करने की तारीख), पीएमसी बैंक के खाताधारकों की संख्या 9,15,775 थी।