महाराष्ट्र / शाह-उद्धव सुलझाएंगे महाराष्ट्र की गुत्थी, शिवसेना का दावा- कई विधायकों का मिला समर्थन

महाराष्ट्र में सत्ता की उलझी गुत्थी सुलझाने के लिए इसी हफ्ते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच बैठक हो सकती है। फिलहाल दोनों दल मध्यस्थों के जरिए नई सरकार के गठन का ठोस रोडमैप तैयार करने में जुटे हैं। कार्यकाल का आधा-आधा बंटवारा और सीएम पद के मुख्य विवाद का बीच का रास्ता निकलते ही दोनों नेताओं की मुलाकात होगी। सार्वजनिक तौर पर भाजपा और शिवसेना में खींचतान दिख रही है।

AMAR UJALA : Oct 31, 2019, 07:47 AM
मुंबई | महाराष्ट्र में सत्ता की उलझी गुत्थी सुलझाने के लिए इसी हफ्ते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच बैठक हो सकती है। फिलहाल दोनों दल मध्यस्थों के जरिए नई सरकार के गठन का ठोस रोडमैप तैयार करने में जुटे हैं। कार्यकाल का आधा-आधा बंटवारा और सीएम पद के मुख्य विवाद का बीच का रास्ता निकलते ही दोनों नेताओं की मुलाकात होगी।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक भले ही सार्वजनिक तौर पर भाजपा और शिवसेना में खींचतान दिख रही है, मगर दोनों दल मध्यस्थों के जरिये लगातार संपर्क में हैं। भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह किसी कीमत पर कार्यकाल बंटवारे और सीएम पद की मांग नहीं मानेगी। इसे देखते हुए दोनों तरफ से मध्यस्थता में लगे नेता सम्मानजनक रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं।

इसी बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि, महाराष्ट्र की कुंडली तो हम ही बनाएंगे। कुंडली में कौन सा ग्रह कहां रखना है और कौन से तारे जमीन पर उतारने हैं, किस तारे को चमक देना है, इतनी ताकत आज भी शिवसेना के पास है। शिवसेना ने दावा किया है कि चार निर्दलीय विधायक मंजुला गावित, चंद्रकांत पाटिल, आशीष जायसवाल, नरेंद्र भोंडेकर ने शिवसेना को समर्थन देने का फैसला किया है। प्रहार जनशक्ति पार्टी के बच्चू काडु और राजकुमार पटेल व क्रांतिकारी शेतकारी पार्टी के शंकरराव गडख ने भी समर्थन देने का एलान किया है।

अल्पमत सरकार अंतिम विकल्प

दोनों दलों के बीच बात न बनने पर भाजपा 2014 की तर्ज पर अल्पमत सरकार बना सकती है। माना जा रहा है कि शपथ होने के बाद शिवसेना उलझ जाएगी। भाजपा को भरोसा है कि इससे शिवसेना गठबंधन नहीं तोडे़गी और विश्वास प्रस्ताव से पहले रास्ता निकाल लिया जाएगा। गौरतलब है कि 2014 में भी 122 विधायकों के साथ भाजपा ने अकेले सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इसके बाद शिवसेना जोड़-तोड़ करती रही और विश्वास मत के दौरान भाजपा के साथ आ गई। तब शिवसेना के 63 विधायक थे।

भाजपा का दावा-15 निर्दलीय साथ

मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 15 निर्दलीयों के समर्थन का दावा कर चुके हैं। बुधवार को जन सुराज पार्टी के नेता और कोल्हापुर से विधायक विनय कोरे ने भी भाजपा को समर्थन दे दिया। हालांकि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक शिवसेना से विवाद का हल निकलने की पूरी उम्मीद है। भाजपा के पास शिवसेना को केंद्र सरकार में भी उचित प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव है।

कृषि, गृह और वित्त मंत्रालय भी नहीं

मध्यस्थों के जरिए भाजपा ने शिवसेना की सीएम पद की मांग ही नहीं ठुकराई है, बल्कि यह भी कहा है कि वह गृह, वित्त और कृषि जैसे विभाग अपने पास ही रखेगी। हालांकि पार्टी मंत्रिमंडल में शिवसेना का प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर राजी है। दूसरी ओर, शिवसेना की तरफ से ऐसे किसी प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया नहीं आई है। शिवसेना के 56 विधायक जीते हैं और उसे पांच निर्दलियों ने समर्थन दिया है। इससे उनका संख्याबल 61 पहुंच गया है।

फडणवीस ने किया उद्धव को फोन

मंगलवार को होने वाली भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की बैठक रद्द होने के बाद फडणवीस ने रास्ता निकालने का प्रयास तेज कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक फडणवीस ने बुधवार दोपहर बाद उद्धव को मुलाकात के लिए फोन किया और जल्द सरकार बनाने के लिए रास्ता निकालने पर चर्चा की।

एनसीपी के नेता चुने गए अजित पवार

उधर महाराष्ट्र विधानसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी एनसीपी के नव निर्वाचित विधायकों ने अजित पवार को अपना नेता चुना है। सदन में अब वह पार्टी के नेता होंगे। बुधवार शाम को यहां नव निर्वाचित विधायकों की बैठक के बाद एनसीपी के राज्य अध्यक्ष जयंत पाटिल ने यह घोषणा की।

भाजपा-गठबंधन के बाद सबसे ज्यादा 54 सीटें एनसीपी की है, इसलिए उनकी सरकार बनने पर एनसीपी को विपक्ष का नेता पद मिलेगा। कांग्रेस 44 सीटों के साथ चौथे स्थान पर रही है। नेता चुनने की बैठक में जयंत पाटिल ने अजित पवार का नाम आगे बढ़ाया था, जिसका अन्य वरिष्ठ नेताओं ने अनुमोदन किया।