Vande Mataram 150th Anniversary / संसद में आज ‘वंदे मातरम’ पर 10 घंटे की विशेष चर्चा, PM मोदी करेंगे शुरुआत

आज संसद में 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ पर 10 घंटे की विशेष चर्चा होगी। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी शुरुआत करेंगे, जबकि राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह। कांग्रेस से प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे भी भाग लेंगे। सरकार ने हाल ही में विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया है।

आज संसद में भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक महत्वपूर्ण और विस्तृत चर्चा आयोजित की जाएगी और यह चर्चा कुल 10 घंटे तक चलेगी, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में इस ऐतिहासिक गीत के महत्व पर प्रकाश डाला जाएगा। इस विशेष सत्र का उद्देश्य 'वंदे मातरम' की विरासत, इसके सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्व, और स्वतंत्रता संग्राम में इसकी प्रेरक भूमिका को रेखांकित करना है।

'वंदे मातरम' का ऐतिहासिक महत्व

'वंदे मातरम' सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक शक्तिशाली प्रतीक रहा है। इस गीत को महान साहित्यकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1875 को लिखा था, और इसे पहली बार बंगाली पत्रिका 'बंगदर्शन' में प्रकाशित किया गया था और इस गीत ने लाखों भारतीयों को एकजुट किया और उन्हें ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित किया। इसके 150 साल पूरे होने पर, यह चर्चा देश के लिए। इसके गहरे भावनात्मक और देशभक्तिपूर्ण जुड़ाव को फिर से स्थापित करेगी। यह गीत भारत की आत्मा में बसा हुआ है और इसकी हर पंक्ति में देशप्रेम की भावना निहित है। लोकसभा में इस महत्वपूर्ण चर्चा की शुरुआत स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, जो इस आयोजन को और भी गरिमा प्रदान करेगा। चर्चा का समापन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस विषय को कितनी गंभीरता से ले रही है और कांग्रेस पार्टी की ओर से भी कई प्रमुख नेता इस चर्चा में भाग लेंगे, जिनमें प्रियंका गांधी वाड्रा, गौरव गोगोई (उपनेता), दीपेंद्र सिंह हुड्डा, डॉ. बिमोल अकोइजम, प्रणिति शिंदे, प्रशांत पडोलकर, चमाला रेड्डी और ज्योत्सना महंत जैसे सांसद शामिल हैं। इन सभी नेताओं के विचार और दृष्टिकोण इस चर्चा को बहुआयामी बनाएंगे।

लोकसभा में चर्चा की रूपरेखा

राज्यसभा में बहस और प्रमुख वक्ता

राज्यसभा में 'वंदे मातरम' पर चर्चा की शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे भी इस बहस में अपनी बात रखेंगे, जिससे उच्च सदन में भी एक व्यापक और गहन विचार-विमर्श की उम्मीद है। दोनों सदनों में कुल 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है, जो इस। बात का संकेत है कि इस विषय पर सभी पहलुओं से चर्चा की जाएगी। यह चर्चा न केवल गीत के इतिहास पर प्रकाश डालेगी, बल्कि इसके वर्तमान। संदर्भ और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसके महत्व पर भी विचार करेगी।

सरकार के विशेष स्मारक प्रयास

'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए, मोदी सरकार ने हाल ही में कई विशेष पहल की हैं। इनमें एक विशेष स्मारक सिक्का और एक डाक टिकट जारी करना शामिल है। ये पहलें इस गीत के महत्व को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने और इसे जन-जन तक पहुंचाने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा हैं। इन स्मारकों के माध्यम से, सरकार ने 'वंदे मातरम' के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और इसके ऐतिहासिक योगदान को सम्मान दिया है।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और हंगामे की आशंका

इस चर्चा के दौरान राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की भी संभावना है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में कांग्रेस पर 1937 में इस गीत से प्रमुख छंदों को हटाने और विभाजन के बीज बोने का आरोप लगाया था। इस पृष्ठभूमि में, संसद की कार्यवाही के दौरान हंगामे के आसार हैं, क्योंकि विपक्ष इन आरोपों का जवाब दे सकता है और अपने विचार प्रस्तुत कर सकता है और यह बहस न केवल ऐतिहासिक तथ्यों पर केंद्रित होगी, बल्कि इसमें वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य की झलक भी देखने को मिल सकती है।

चर्चा के आयोजन की प्रक्रिया

इस विशेष चर्चा का निर्णय सरकार ने 'वंदे मातरम' के 150 साल पूरे होने पर लिया था। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने 30 नवंबर को इस संबंध में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया गया। बाद में, लोकसभा-राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई, और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी इस पर अपनी सहमति दे दी थी। यह प्रक्रिया दर्शाती है कि इस चर्चा को आयोजित करने के लिए सभी आवश्यक संसदीय प्रक्रियाओं का पालन किया गया है।