Navratri 2022 / 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि होंगे शुरू, जानें नवरात्रि के नौ दिन और देवी दुर्गा के नौ मंत्र

Zoom News : Sep 15, 2022, 06:39 PM
Navratri 2022: अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शक्ति की साधना शुरू हो जाएगी. 26 सितंबर 2022 को शारदीय नवरात्रि (Shardiya navratri 2022 date) का आरंभ हो रहा है. इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिन मनाई जाएगी, हर दिन मां जगदंबा के नौ रूपों (devi nind roop)की पूजा होती है. देवी को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में प्रत्येक दिन पूजा में विशेष रंग (Navratri colours 2022) का उपयोग किया जाता है नवरात्रि में पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा होगी. इस नवरात्रि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी. आइए जानते है शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का मुहूर्त, विधि, सामग्री, मंत्र और नियम

शारदीय नवरात्रि 2022 घटस्थापना मुहूर्त (Shardiya Navratri 2022 Ghatsthapana muhurat)

अश्विन प्रतिपदा तिथि आरंभ- 26 सितंबर 2022, 03.23 AM

अश्विन प्रतिपदा तिथि समापन - 27 सितम्बर 2022, 03.08 AM

घटस्थापना सुबह का मुहूर्त - 06.17 AM - 07.55 AM (26 सितंबर 2022) (Ghatsthapana Morning Time 2022)

अवधि - 01 घण्टा 38 मिनट

घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - 11:54 AM - 12:42 PM ((26 सितंबर 2022) (Ghatsthapana Day Time 2022)

अवधि - 48 मिनट

नवरात्रि में घटस्थापना महत्व ? (Navratri Ghatsthapana Importance)

हिंदू धर्म के तीज, त्योहारों पर घटस्थापना (कलश स्थापना) का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कलश में देवी-देवताओं, ग्रहों और नक्षत्रों का वास माना गया है. कलश सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला और मंगल कार्य का प्रतीक माना जाता है. घट यानी कलश में शक्तियों का आव्हान कर उसे सक्रिया करना. नवरात्रि में भी कलश स्थपाना कर समस्त शक्तियों आव्हान किया जाता है. इससे घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है.

घटस्थापना में क्यों बोते हैं जौ ? (Ghatsthapana Jaware Importance)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जौ को ब्रह्मा जी और अन्नपूर्ण देवी का प्रतीक माना गया है,कहते हैं जौ को ही सृष्टि की सबसे पहली फसल माना जाता है. घटस्थापना के समय जौ यानी जवारे बोए जाते हैं और फिर सबसे पहले इनकी पूजा की जाती है. जौ (अन्न)को ब्रह्मा का रूप माना गया है इसलिए सर्व प्रथम इनका सम्मान करना चाहिए.

शारदीय नवरात्रि घटस्थापना सामग्री (Navratri Ghatsthapana Samagri)

जौ बोने के लिए चौड़े मुँह वाला मिट्टी का पात्र

सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)

स्वच्छ मिट्‌टी, मिट्‌टी या तांबे का कलश साथ में ढक्कन

कलावा, नारियल, लाल पुष्प, सिंदूर,

गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, इत्र, सिक्का

अक्षत,  लाल कपड़ा, सुपारी, लौंग

इलायची, पान, दूर्वा, मिठाई, धूप, अगरबत्ती

घटस्थापना पूजा विधि (Navratri Ghatsthapana Vidhi)

नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त में ही करें. समय का खास ध्यान रखें.

मिट्‌टी के पात्र में एक परत खेत की स्वच्छ मिट्‌टी की डालें और उसमें सात प्रकार के अनाज बोएं.

अब व्रत का संकल्प लेकर ईशान कोण में पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और देवी दुर्गा की फोटो की स्थापना करें.

इसके बाद तांबे या मिट्‌टी के कलश में गंगाजल, दूर्वा, अक्षत, सिक्का, सुपारी, डालें.

कलश पर मौली बांधें और इसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगा दें.

अब कलश के ऊपर से लाल चुनरी से बंधा जटा वाला नारियल रख दें. नारियल को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है, साथ ही इसमें त्रिदेव का वास होता है. कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं

अब जौ वाले पात्र और कलश को मां दुर्गा की फोटो के आगे स्थापित कर दें.

घटस्थापना मंत्र (Navratri Ghatsthapana Mantra)

कलश स्थापित करते समय मंत्र का जाप करें सभी देवी-देवता और ग्रहों का आव्हान करना चाहिए.

ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।

सप्तधान (7 प्रकार के अनाज) बोने का मंत्र

ओम धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।

कलश पर नारियल रखने का मंत्र

इस मंत्र को बोलते हुए नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश पर रखें.

ओम याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः। बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व हसः।।

शारदीय नवरात्रि घटस्थापना नियम (Navratri Ghatsthapana Rules)

घटस्थापना के लिए प्रतिपदा तिथि के दिन दिन का पहला एक तिहाई समय शुभ माना जाता है. अगर किसी कारणवश इस अवधि में कलश स्थापना न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में कर सकते हैं. घर में घटस्थापना करते हैं तो 9 दिन तक नियमित रूप से मां की पूजा होनी चाहिए. सुबह-शाम आरती करें और भोग लगाएं. नवरात्रि में विशेष तौर पर पवित्रता का ध्यान रखें, नहीं तो अनिष्ट हो सकता है.

आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ देवी के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है। मां शैलपुत्री की पूजा से शक्ति की प्राप्ति होती है,देवी के दूसरे स्वरूप ब्रह्राचारिणी की पूजा से मान-सम्मान, मां चंद्रघंटा की पूजा से एकाग्रता, देवी कूष्मांडा से मन में दया का भाव आता है,स्कंदमाता की आराधना से कामयाबी, मां कात्यानी की आराधना से बाधाएं दूर होती हैं, कालरात्रि की पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है,महागौरी की पूजा से सुख-समृद्धि और मां सिद्धिदात्री की पूजा करने पर जीवन की हर एक मनोकामना पूरी होती है।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि Zoom News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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