श्रीलंका / बेकाबू हुई हिंसा, प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे का घर फूंका; सांसद ने कर ली खुदकुशी

Zoom News : May 09, 2022, 11:32 PM
आर्थिक संकट की मार से टूट चुका श्रीलंका अब हिंसा की आग में जल रहा है. प्रदर्शनकारियों ने इस्तीफा दे चुके श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे का घर फूंक दिया है. महिंद्रा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद सेही श्रीलंका के हालात और बेकाबू हो गए हैं, लोग सड़कों पर उतर आए हैं


मॉब लिंचिंग से बचने के लिए सांसद ने की खुदकुशी

इस हिंसा में सत्ताधारी पार्टी के एक सांसद की भी मौत हो गई. रिपोर्ट्स में सामने आया है कि सांसद ने पहले प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग और फिर मॉब लिचिंग के डर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली. सांसद की मौत के बाद मामले की जांच में जुटी पुलिस ने बताया कि निट्टंबुवा शहर के समीप प्रदर्शनकारियों ने सांसद अमरकीर्ति अथुकोरला की कार को घेर लिया था. इस दौरान अमरकीर्ति अथुकोरला ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग शुरू कर दी. दो लोगों को गोलियां लगी जिनमें से एक ने बाद में दम तोड़ दिया. प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी के बाद सांसद अमरकीर्ति अथुकोरला को भीड़ ने घेर लिया जिसके बाद उन्होंने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली.


पूर्व मंत्री नीमल लांजा के घर पर हमला

पूर्व मंत्री नीमल लांजा के आवास पर भी हमला किया गया है जबकि महापौर समन लाल फर्नांडो के आवास में आग लगा दी गई. सत्तारूढ़ पार्टी के मजदूर नेता महिंदा कहानदागमागे के कोलंबो स्थित आवास पर भी हमला हुआ है. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला किए जाने के बाद पूरे देश में हिंसा भड़क गई है. लोगों ने राजधानी से लौट रहे राजपक्षे समर्थकों पर गुस्सा उतारा. उन्होंने उनके वाहनों को रोक लिया और कई शहरों में उन पर हमला किया. कहा ये भी जा रहा है कि भीड़ ने राजपक्षे का पुश्तैनी घर फूंक दिया है


राजपक्षे के कार्यालय के सामने हमला

महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय के सामने अपने समर्थकों द्वारा सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किए जाने के कुछ घंटे बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस हमले में कम से कम 174 लोग घायल हुए हैं. घटना के बाद राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया गया है और राजधानी में सेना तैनात कर दी गई है. उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन से वर्ष 1948 में आजादी मिलने के बाद से अब तक के समय में श्रीलंका अपने सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है. यह संकट विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से उत्पन्न हुआ है, जिसका अभिप्राय है कि देश खाद्यान्न, ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर सकता.

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