IND vs SA 2nd Test / टीम इंडिया की ऐतिहासिक हार: 93 साल में पहली बार 400+ रन से शिकस्त, घर में दूसरी बार क्लीन स्वीप

भारतीय क्रिकेट टीम को साउथ अफ्रीका के खिलाफ गुवाहाटी टेस्ट में 408 रन से करारी हार मिली, जो 93 साल के टेस्ट इतिहास में रनों के लिहाज से सबसे बड़ी हार है। इस हार के साथ ही भारत को घरेलू मैदान पर लगातार दूसरी टेस्ट सीरीज में क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा है, जिससे टीम के प्रदर्शन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

भारतीय क्रिकेट टीम को हाल ही में साउथ अफ्रीका के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज में 2-0 से करारी हार का सामना करना पड़ा है। गुवाहाटी टेस्ट के पांचवें दिन, 549 रन के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम अपनी दूसरी पारी में महज 140 रन पर ढेर हो गई, जिससे साउथ अफ्रीका ने यह मैच 408 रन के बड़े अंतर से जीत लिया और यह हार भारतीय टेस्ट इतिहास में एक शर्मनाक रिकॉर्ड बन गई है, क्योंकि 93 साल में पहली बार टीम इंडिया 400 से अधिक रनों के अंतर से हारी है। यह परिणाम घरेलू मैदान पर भारत के लगातार खराब प्रदर्शन को उजागर करता है, जहां एक समय उसे अपराजेय माना जाता था।

ऐतिहासिक हार और घरेलू मैदान पर खराब प्रदर्शन

यह हार सिर्फ एक मैच की हार नहीं है, बल्कि भारतीय क्रिकेट के लिए एक चिंताजनक संकेत है और पिछले एक साल में, भारतीय टीम ने घरेलू मैदान पर खेले गए 7 टेस्ट मैचों में से 5 में हार का सामना किया है। इस दौरान टीम को दो बार क्लीन स्वीप झेलना पड़ा है। अक्टूबर-नवंबर 2024 में न्यूजीलैंड ने भारत को तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 3-0 से हराया था, और अब साउथ अफ्रीका ने 2-0 से सफाया कर दिया है। एक साल पहले तक, भारतीय टीम को घरेलू मैदानों पर दुनिया की सबसे मजबूत टीमों में से एक माना जाता था, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल गई है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 13 महीनों में घरेलू मैदानों पर भारत से ज्यादा मैच केवल जिम्बाब्वे। की टीम ही हारी है, जो भारतीय क्रिकेट के लिए एक गंभीर आत्मनिरीक्षण का विषय है।

पाकिस्तान से भी कमजोर प्रदर्शन

आमतौर पर पाकिस्तान की टीम को हर फॉर्मेट में भारत से कमजोर माना जाता है, लेकिन पिछले 13 महीनों में पाकिस्तान ने अपने घरेलू मैदानों पर भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है। इस अवधि में, पाकिस्तान ने अपने घर में 7 टेस्ट मैच खेले, जिनमें से उसे 4 में जीत मिली और केवल 3 में हार का सामना करना पड़ा। यह आंकड़ा भारत के 7 में से 5 हार के मुकाबले काफी बेहतर है और इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि जिस साउथ अफ्रीकी टीम ने भारत का क्लीन स्वीप किया है, उसी के खिलाफ पाकिस्तान ने पिछले ही महीने अपने घर में सीरीज 1-1 से ड्रॉ कराई थी। पाकिस्तान ने दो टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला जीता था, जबकि दूसरा टेस्ट साउथ अफ्रीका ने जीता था। दोनों ही टेस्ट में बराबरी का मुकाबला हुआ था, जबकि भारतीय। टीम साउथ अफ्रीका के खिलाफ दोनों मैच एकतरफा अंदाज में हारी।

युवा खिलाड़ियों का निराशाजनक प्रदर्शन

भारतीय टीम के इस खराब प्रदर्शन के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें से एक मुख्य कारण गौतम गंभीर की कोचिंग शैली है। जब से गंभीर ने कोचिंग संभाली है, टीम टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही है, और घरेलू मैदानों पर तो प्रदर्शन और भी लचर हो गया है। गंभीर स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों की जगह ऑलराउंडर्स को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं, और ये ऑलराउंडर बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ही विफल साबित हो रहे हैं। साउथ अफ्रीका के खिलाफ दोनों टेस्ट मैचों में भारतीय टीम में सिर्फ तीन स्पेशलिस्ट बल्लेबाज उतरे थे, जिससे बल्लेबाजी लाइनअप में गहराई की कमी साफ नजर आई। यह रणनीति टीम के संतुलन पर सवाल खड़े करती है, खासकर जब परिणाम पक्ष में न हों। टीम की खराब हालत के लिए युवा खिलाड़ियों का कमजोर प्रदर्शन भी जिम्मेदार है। पिछले एक साल में यशस्वी जायसवाल, हर्षित राणा, नीतीश रेड्डी, साई सुदर्शन और वॉशिंगटन सुंदर जैसे कई खिलाड़ियों ने अहम मौकों पर टीम को संभालने जैसा खेल नहीं दिखाया है। कोलकाता टेस्ट की बात करें तो यशस्वी जायसवाल पिछली 4 पारियों में से 3 में 20 रन से ज्यादा का स्कोर नहीं कर सके हैं, जो एक सलामी बल्लेबाज के लिए चिंताजनक है। वहीं, साई सुदर्शन भी 2 पारियों में केवल 15 और 14 रन ही बना सके। ध्रुव जुरेल, वॉशिंगटन सुंदर और नीतीश कुमार रेड्डी भी बल्ले और गेंद दोनों से कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं, जिससे टीम पर दबाव बढ़ रहा है।

तेज और स्पिन दोनों के खिलाफ संघर्ष

भारतीय टीम की सबसे बड़ी समस्या यह है कि भारतीय बल्लेबाज न तो तेज गेंदबाजों को ठीक से खेल पा रहे हैं और न ही स्पिनर्स को। साउथ अफ्रीका सीरीज के खिलाफ भारत ने दोनों टेस्ट मिलाकर कुल 38 विकेट गंवाए, जिनमें से 13 विकेट तेज गेंदबाजों ने और 25 विकेट स्पिनर्स ने लिए। यह दर्शाता है कि भारतीय बल्लेबाज दोनों प्रकार की गेंदबाजी के सामने संघर्ष कर रहे हैं। कप्तान शुभमन गिल गर्दन की ऐंठन के कारण दोनों पारियों में नहीं खेल पाए, जिससे बल्लेबाजी लाइनअप और कमजोर दिखी। पिछले एक साल के आंकड़े भी इस तस्वीर को और साफ कर देते हैं। 16 अक्टूबर 2024 से अब तक टीम इंडिया ने घरेलू मैचों में कुल 280 विकेट गंवाए हैं। इनमें से 182 विकेट तेज गेंदबाजों को और 97 विकेट स्पिनर्स को मिले हैं। सिर्फ घरेलू पिचों पर गिरने वाले 107 विकेटों में से 34 विकेट तेज गेंदबाजों के खिलाफ और 73 विकेट स्पिनर्स के खिलाफ गिरे हैं, जो भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरी को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यह स्थिति टीम प्रबंधन और खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है।