दुनिया / सूर्य पर दिख रही है तूफान से पहले वाली खामोशी, वैज्ञानिकों को किया चिंचित

News18 : May 01, 2020, 06:00 PM
नई दिल्ली: सूर्य (Sun) की गतिविधियों पर वैज्ञानिकों की हमेशा से ही नजर रहती है।  उन्होंने हमेशा ही पाया है कि सूर्य की सतह पर कुछ न कुछ गतिविधि होती ही रहती है, लेकिन इस बार कुछ दिनों से इस तरह की गतिविधियां बंद हैं। वैज्ञानिकों को तूफान से पहले आने वाली खामोशी लग रही है। उन्हें अंदेशा है अब सौर तूफान (Solar Storm) आ सकता है।

दूसरे अपने जैसे तारों से अलग बर्ताव कर रहा है सूर्य

ऐसा नहीं हैं कि सूर्य की सतह पर यह गतिविधि केवल सूर्य के पूर्ववर्ती बर्ताव के आधार पर है। अन्य दूसरे नजदीकी तारों के मुकाबले भी सूर्य का व्यवहार शांत हैं। माना जा रहा है कि यह सूर्य की किसी बड़ी गतिविधि में जाने की तैयारी है।

सनस्पॉट्स का किया अध्ययन

किसी तारे की गतिविधि और चमक उसके चुम्बकत्व क्षेत्र यानि कि मैगनेटिक फील्ड से प्रेरित होती है जिसके कारण उस पर काले धब्बे बन जाते हैं। जिन्हें स्टारस्पॉट्स या सूर्य के मामले में सनस्पॉट्स कहा जाता है। न्यू साइंसटिस्ट में प्रकाशित खबर के मुताबिक जर्मनी के मैक्स प्लैंक सोलर सिस्टम रिसर्स इंस्टीट्यूट के टिमो रीनहोल्ड और उनकी टीम ने केप्लर स्पेस टेलीस्कोप से सूर्य सहित उसके जैसे 396 तारों की गतिविधि का अवलोकलन किया।

सूर्य से अलग हैं इसके जैसे बाकी तारे

इन तारों की खास बात यह है कि इनका तापमान, रासायनिक संयोजन, उम्र, आकार और घूर्णन गति एक जैसी है। लेकिन इन समानताओं के बाद भी शोधकर्ताओं ने पाया कि इन तारों की सूर्य से ज्यादा चमक है। रीनहोल्ड  कहना है कि समानता के बावजूद कई तारे कुछ मामलों में सूर्य से चार पांच गुना आगे हैं जो हैरान करने वाला है। इसका मतलब है कि इन तारों में कोई ऐसी विशेषता है हम नहीं जानते। यही उन्हें सूर्य से अलग करती है।

2500 तारों में यह अंतर दिखा

जब 2529 तारों के समूहों का भी इसी तरह से अध्ययन किया गया तो घूर्णन अवधि को छोड़कर उनमें समान विशेषताएं थीं और उन तारों में सूर्य से वही विविधता थी। इसका मतलब है कि सूर्य अभी शांत अवस्था के दौर में हो सकता है और भविष्य में उसकी गतिविधियां तेज हो सकती है।

हो सकता है बड़ा नुकसान

रीनहोल्ड का कहना है कि यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह आगे कब होगा। तब सूर्य के आसपास की चमक बढ़ जाएगी और सूर्य से लपटें निकलने या सौर तूफान (Solar Strom) के कारण हमारी धरती की इलेक्ट्रिकल ग्रिड्स को नुकसान हो सकता है।


परेशानी का सबब होता है सौर तूफान

दरअसल सौर तूफान हमेशा से ही वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। सूर्य की सतह पर अचानक उठने वाली लपटों के कारण सौर हवाएं जिन्हें सोलर विंड कहते हैं, निकलती है। जिसे कोरोनल मास इजेक्शन (CME) भी कहा जाता है, लेकिन सौर तूफान से सबसे बड़ा खतरा उन तरंगों से होता जो पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड को नुकासान पहुंचा सकती हैं।  इसी लिए इससे हमारी धरती के इलेक्ट्रिकल ग्रिड्स को नुकसान का अंदेशा है।


1859 में हुआ था यह नुकसान

गौरतलब है कि साल 1859 में एक शक्तिशाली सौर तूफान आया था। जिसकी वजह से पृथ्वी पर पश्चिमी देशों का टेलीग्राफ सिस्टम नाकाम हो गया था। इस दौरान तारों में बहुत तेज इलेक्ट्रिक करेंट के झटके पाए गए थे। उस समय तकनीक इतनी व्यापक नहीं थी।

आज हो सकता है बहुत ज्यादा नुकसान

लेकिन अगर आज इसतरह की घटना हो जाए तो बहुत नुकसान हो सकता है। इसके अलावा एक अंदेशा ओजोन परत को नुकसान होने की भी है, लेकिन यह तभी मुमकिन है जब सौर तूफान की तीव्रता बहुत ही ज्यादा हो  और इसकी संभावना बहुत कम है।

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