IND vs ENG / गिल किसे दिखा रहे हैं इतना एग्रेशन, अभी तो जंग शुरू भी नहीं हुई

शुभमन गिल ने टेस्ट कप्तान के रूप में पहले दो मैचों में शतक जड़कर इतिहास रचा। बर्मिंघम में 114 रनों की नाबाद पारी खेली, लेकिन टीम इंडिया बैकफुट पर है। शतक के बाद गिल का आक्रामक रवैया चर्चा में है, जो उनकी कप्तानी की जिम्मेदारी पर सवाल उठाता है। अब उन्हें जीत दिलानी होगी।

IND vs ENG: शुभमन गिल ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी कप्तानी की शुरुआत शानदार तरीके से की है। वे अब उन चुनिंदा कप्तानों की सूची में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने अपनी कप्तानी के पहले दो टेस्ट मैचों में ही शतक जड़ दिया। हालांकि, उनके इस व्यक्तिगत प्रदर्शन के बावजूद, भारतीय टीम बर्मिंघम में खेले जा रहे टेस्ट मैच में बैकफुट पर नजर आ रही है। गिल का शतक भले ही सुर्खियां बटोर रहा हो, लेकिन उनकी कप्तानी और मैदान पर लिए गए फैसलों पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

कप्तानी की पहली पारी में शतक

शुभमन गिल ने टेस्ट कप्तान के रूप में अपनी पहली पारी में ही 147 रनों की शानदार पारी खेली। इस पारी में उन्होंने 227 गेंदों का सामना किया और 19 चौके व एक छक्का जड़ा। यह पारी उनकी बल्लेबाजी की काबिलियत को दर्शाती है। लेकिन दूसरी पारी में वे मात्र 8 रन बनाकर आउट हो गए। इसके बाद बर्मिंघम टेस्ट में भी गिल ने अपने बल्ले का जौहर दिखाया और पहले दिन के अंत तक नाबाद 114 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 216 गेंदों में 12 चौके लगाए।

बर्मिंघम में शतक, लेकिन जीत की राह मुश्किल

बर्मिंघम टेस्ट के पहले दिन का खेल खत्म होने तक गिल का शतक भारतीय टीम की सबसे बड़ी उपलब्धि रहा। लेकिन इसके बावजूद, टीम इंडिया की स्थिति मजबूत नहीं दिख रही। गिल का शतक निश्चित रूप से एक बल्लेबाज के रूप में उनकी प्रतिभा को दर्शाता है, लेकिन कप्तान के तौर पर उनकी जिम्मेदारी अब केवल रन बनाने तक सीमित नहीं है।

शतक के बाद एग्रेशन क्यों?

शतक बनाने के बाद गिल ने जिस तरह का एग्रेशन दिखाया, वह उनके स्वभाव से मेल नहीं खाता। गिल को आमतौर पर शांत और संयमित बल्लेबाज के रूप में जाना जाता है, लेकिन इस बार उनका व्यवहार चर्चा का विषय बन गया। सवाल यह है कि यह एग्रेशन किसके लिए था? क्या यह उनके आत्मविश्वास का प्रदर्शन था या फिर दबाव में लिया गया कोई गलत फैसला? यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या गिल इस एग्रेशन को अपनी कप्तानी में सकारात्मक दिशा दे पाते हैं।

कप्तान के रूप में नई जिम्मेदारी

गिल को अब यह समझना होगा कि वे केवल एक बल्लेबाज नहीं, बल्कि भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान हैं। शतक लगाना उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि हो सकती है, लेकिन कप्तान के तौर पर उनकी असली परीक्षा टीम को जीत दिलाने में है। मैदान पर रणनीति बनाना, फील्डिंग सजाना, और सही समय पर गेंदबाजी में बदलाव करना—ये सभी उनकी नई जिम्मेदारियां हैं। गिल का शतक के बाद का एग्रेशन इस बात का संकेत देता है कि वे अभी भी खुद को एक बल्लेबाज के रूप में ज्यादा देख रहे हैं। अब उन्हें कप्तानी की भूमिका को पूरी तरह अपनाना होगा।

आगे की चुनौती

शुभमन गिल की कप्तानी की असली परीक्षा अभी बाकी है। बर्मिंघम टेस्ट में भारतीय टीम को जीत की राह पर लाने के लिए गिल को न केवल बल्ले से, बल्कि रणनीति और नेतृत्व से भी योगदान देना होगा। अगर वे इस मौके को भुना पाए, तो न केवल एक बल्लेबाज के रूप में, बल्कि एक कप्तान के रूप में भी उनकी पहचान बनेगी।