दुनिया / दक्षिण चीन सागर पर ऑस्‍ट्रेलिया और चीन में ट्वीट वॉर, ड्रैगन पर भड़का मलेशिया

NavBharat Times : Aug 01, 2020, 09:17 AM
पेइचिंग/स‍िडनी/क्‍वालालंपुर: दक्षिण चीन सागर में चल रहे तनाव के बीच ऑस्‍ट्रेलिया और चीन के बीच ट्वीट वॉर शुरू हो गया है। भारत में ऑस्‍ट्रेलिया के उच्‍चायुक्‍त बैरी ओफैरेल ने दक्षिण चीन सागर में चीन पर अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया। इससे भड़के भारत में चीनी राजदूत सुन वीदोंग ने ऑस्‍ट्रेलिया पर पलटवार किया। चीनी राजदूत के जवाब पर फिर ऑस्‍ट्रेल‍ियाई राजदूत ने जोरदार हमला बोला। दोनों के बीच यह ट्वीट वॉर शुक्रवार रात तक जारी रहा। इस बीच अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बाद अब मलेशिया ने भी चीन को करारा झटका देते हुए साउथ चाइना सी पर उसके कथित दावे को खारिज कर दिया है।चीन और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच इस ट्विटर जंग की शुरुआत ऑस्‍ट्रेलियाई उच्‍चायुक्‍त की टिप्‍पणी के बाद हुई। ओफैरेल ने गुरुवार को कहा था कि दक्षिण चीन सागर में चीन की अस्थिरता लाने वाली और तनाव बढ़ाने वाली गतिविधियों से ऑस्ट्रेलिया अत्यंत चिंतित है। उन्‍होंने कहा कि खनिज संपन्न दक्षिण चीन सागर जहाजों के लिए एक महत्वपूर्ण जलमार्ग भी है।


चीनी राजदूत ने ऑस्‍ट्रेलिया पर किया पलटवार

चीनी राजदूत सुन ने ऑस्ट्रेलियाई राजनयिक की टिप्पणियों पर विरोध जताते हुए ट्वीट किया और कहा कि वे बिना मतलब की बातें कर रहे हैं। इसके बाद ओफैरेल ने अपनी टिप्पणियों का विरोध करने पर भारत में चीन के राजदूत सुन वीदोंग पर शुक्रवार को पलटवार किया और कहा कि बीजिंग को उन गतिविधियों से दूर रहना चाहिए जो क्षेत्र में यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदल सकती हैं।

ओफैरेल ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया में चीनी राजदूत को हेग में 2016 में स्थायी मध्यस्थता अदालत द्वारा सुनाये गये फैसले की याद दिलाई जिसमें दक्षिण चीन सागर पर चीन के संप्रभुता के दावे को खारिज कर दिया गया था। ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने ट्वीट किया, ‘धन्यवाद चीनी राजदूत महोदय। मैं उम्मीद करुंगा कि आप 2016 के दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता फैसले को याद करेंगे जो अंतिम है तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बाध्यकारी है। यह सामान्य तौर पर उन गतिविधियों से रोकता है जो एकपक्षीय तरीके से यथास्थिति को बदलती हैं।’

ऑस्‍ट्रेलियाई उच्‍चायुक्‍त की इस टिप्‍पणी के बाद चीन ने भी निशाना साधा। चीनी राजदूत ने कहा कि दक्षिण चीन सागर के कथित मध्‍यस्‍थता प्राधिकरण ने राज्‍य की सहमति के सिद्धांत का उल्‍लंघन किया। यह फैसला अवैध और अमान्‍य है। इसके पीछे कोई बाध्‍यकारी ताकत नहीं है। चीन न तो इसे स्‍वीकार करता है और न ही इसे मान्‍यता देता है। चीनी राजदूत ने कहा कि हम आशा करते हैं कि ऐसे गैर दावेदार देश क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देंगे न कि उसके विपरीत काम करेंगे।

मलेशिया ने खारिज किया चीन का दावा

उधर, मलेशिया भी अब चीनी आक्रामकता के खिलाफ खुलकर सामने आ गया है। मलेशिया ने भी साउथ चाइना सी पर चीन के कथित दावे को खारिज कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र में मलेशिया के स्थायी मिशन ने 29 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भेजे गए एक नोट में चीन के दावे को खारिज कर दिया। इस नोट में मलेशिया ने कहा कि पूर्वी सागर (जिसे दक्षिण चीन सागर भी कहा जाता है) में समुद्री सुविधाओं के लिए चीन के दावे का अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत कोई आधार नहीं है। मलेशिया की सरकार ने चीन के ऐतिहासिक, संप्रभु और कानूनी अधिकार क्षेत्र के दावों को भी खारिज कर दिया है।

अमेरिका भी खारिज कर चुका है चीन का दावा

अमेरिका ने चीन के दावा खारिज करते हुए कहा था कि हम समुद्री स्‍वतंत्रता और संप्रभुता के सम्‍मान के लिए अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के साथ खड़े हैं। साथ ही दक्षिण चीन सागर या उसके बाहर 'शक्ति ही सत्‍य बनाती है' को लागू करने के किसी भी दुस्‍साहस को खारिज करते हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि अमेरिका आगे भी जमीनी विवादों में निष्‍पक्ष बना रहेगा। माइक पोम्पियो के इस ऐलान के बाद अब यह स्‍पष्‍ट हो गया कि अमेरिका साउथ चाइना सी में ब्रुनई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फ‍िलीपीन्‍स और वियतनाम का पक्ष लेगा जो चीन के दादागीरी का विरोध कर रहे हैं।

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