Thiruvananthapuram Mayor / वी.वी. राजेश बने तिरुवनंतपुरम के पहले भाजपा मेयर, 45 साल के वामपंथी शासन का अंत

वी.वी. राजेश तिरुवनंतपुरम नगर निगम के पहले भाजपा मेयर बन गए हैं, जिससे 45 वर्षों के वामपंथी शासन का अंत हुआ। पार्टी ने 50 सीटें जीतकर यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। राजेश का चयन राष्ट्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद हुआ, जो केरल की शहरी राजनीति में एक बड़ा बदलाव है।

तिरुवनंतपुरम नगर निगम में एक ऐतिहासिक राजनीतिक बदलाव देखने को मिला है, जहाँ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पहली बार मेयर पद पर जीत हासिल की है। वी. वी और राजेश को तिरुवनंतपुरम नगर निगम का पहला भाजपा मेयर घोषित किया गया है, जो केरल की राजधानी में 45 वर्षों से चले आ रहे वामपंथी शासन के अंत का प्रतीक है। यह उपलब्धि भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो राज्य की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास कर रही है।

ऐतिहासिक जीत का महत्व

यह जीत केवल एक पद हासिल करने से कहीं अधिक है; यह तिरुवनंतपुरम में दशकों से स्थापित राजनीतिक यथास्थिति को चुनौती देती है। 45 वर्षों तक वामपंथी दलों का गढ़ रहे इस नगर निगम में भाजपा की यह सफलता केरल की शहरी राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत देती है और यह दर्शाता है कि भाजपा राज्य में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में सफल रही है, विशेषकर राजधानी जैसे महत्वपूर्ण शहरी केंद्रों में। वी. वी. राजेश का मेयर बनना भाजपा के लिए एक प्रतीकात्मक उपलब्धि है, जो भविष्य में राज्य की राजनीति में पार्टी की भूमिका के लिए नए रास्ते खोल सकती है।

मेयर पद के लिए चयन प्रक्रिया

वी. वी. राजेश का नाम पार्टी के राज्य महासचिव एस और सुरेश द्वारा घोषित किया गया था। यह घोषणा नगर निगम के नव-निर्वाचित भाजपा पार्षदों और पार्टी। के जिला नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद की गई। राजेश के नाम पर सहमति पार्टी के राज्य और जिला नेतृत्व के बीच लंबी और गहन चर्चाओं के बाद बनी। शुरुआत में, सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर. श्रीलेखा को मेयर पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा था। हालांकि, पार्टी के एक वर्ग ने उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया, जिससे चयन प्रक्रिया में कुछ जटिलताएँ आईं। अंततः, भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद ही वी. वी. राजेश के नाम पर अंतिम सहमति बन पाई, जो पार्टी के भीतर आंतरिक विचार-विमर्श और शीर्ष नेतृत्व की भूमिका को दर्शाता है।

वी. वी. राजेश का राजनीतिक करियर काफी लंबा और प्रभावशाली रहा है। वे दो बार पार्षद रह चुके हैं, जिससे उन्हें नगर निगम के कामकाज और स्थानीय मुद्दों की गहरी समझ है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने भाजपा के राज्य सचिव के रूप में कार्य किया है, जो। राज्य स्तर पर पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। वे पूर्व युवा मोर्चा राज्य अध्यक्ष भी रह चुके हैं, जिससे युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता का पता चलता है। राजेश पूर्व भाजपा तिरुवनंतपुरम जिला अध्यक्ष भी रहे हैं, जो उन्हें स्थानीय स्तर पर पार्टी के एक मजबूत और अनुभवी नेता के रूप में स्थापित करता है। पिछली विधानसभा में, उन्हें विपक्ष के वास्तविक नेता के रूप में देखा जाता था,। जहाँ उन्होंने सीपीआईएम शासित नगर निगम में भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह का नेतृत्व किया था। यह उनके जुझारू और भ्रष्टाचार विरोधी रुख को उजागर करता है, जिसने शायद उन्हें मेयर पद के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बनाने में मदद की।

चुनाव परिणाम और सीटों का वितरण

तिरुवनंतपुरम नगर निगम चुनावों में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 50 सीटें जीतीं, जिससे उसे निगम पर नियंत्रण हासिल करने में मदद मिली। यह जीत चार दशकों से चले आ रहे वामपंथी गढ़ को तोड़ने में महत्वपूर्ण थी। कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने भी अपनी सीटों की संख्या दोगुनी करके महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की, जो राज्य की राजनीति में उनकी बढ़ती प्रासंगिकता को दर्शाता है। 100 वार्डों में से, वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) को 29 सीटें मिलीं, जो उनके पिछले प्रभुत्व की तुलना में एक महत्वपूर्ण गिरावट है। यूडीएफ 19 सीटों पर सिमट गया, जबकि दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। एक वार्ड में, निर्दलीय उम्मीदवार की मृत्यु के कारण मतदान स्थगित कर दिया गया था, जिससे उस सीट का परिणाम अभी लंबित है। इन परिणामों ने स्पष्ट रूप से तिरुवनंतपुरम की राजनीतिक तस्वीर को बदल दिया है, जिसमें भाजपा एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरी है।

केरल की राजनीति पर प्रभाव

वी. वी. राजेश का मेयर बनना केरल की राजनीति में भाजपा के बढ़ते प्रभाव का एक स्पष्ट संकेत है। यह उपलब्धि पार्टी को राज्य में अपनी जड़ें मजबूत करने और भविष्य के। चुनावों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करने में मदद कर सकती है। तिरुवनंतपुरम, राज्य की राजधानी होने के नाते, एक प्रतीकात्मक और रणनीतिक महत्व रखता है। यहाँ भाजपा की जीत अन्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में भी पार्टी के लिए प्रेरणा का काम कर सकती है। यह वामपंथी दलों और कांग्रेस के लिए एक चेतावनी भी है कि उन्हें अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा ताकि वे भाजपा की बढ़ती चुनौती का सामना कर सकें। यह घटनाक्रम केरल की राजनीतिक गतिशीलता में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है, जहाँ अब एक त्रिकोणीय मुकाबला और अधिक स्पष्ट रूप से उभर रहा है।