Delhi Election 2025: हाल ही में अरविंद केजरीवाल पर बनी डॉक्यूमेंट्री को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच विवाद गहराता जा रहा है। AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस और चुनाव आयोग ने उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस पर रोक लगाई, जो इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर थी। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस पर रोक क्यों?
संजय सिंह ने मीडिया को जानकारी दी कि उन्हें दिल्ली के गोदावरी हॉल में दोपहर 1 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक डॉक्यूमेंट्री को दिखाने का कार्यक्रम था। हालांकि, दिल्ली पुलिस और चुनाव आयोग ने अनुमति रद्द कर दी।संजय सिंह का कहना है कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस किसी चुनाव प्रचार से जुड़ी नहीं थी, और इसमें वोट मांगने की कोई अपील नहीं की जानी थी। इसके बावजूद इसे रोकना सवाल खड़े करता है।
बीजेपी पर आरोप
संजय सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, "बीजेपी इस डॉक्यूमेंट्री से इतना डरी क्यों हुई है? इसमें ऐसा क्या है, जिससे वह घबराई हुई है? न इसमें चुनावी मुद्दा है, न कोई प्रचार, फिर इसे रोकने की जरूरत क्यों महसूस हुई?"उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग के नियमों का दुरुपयोग हो रहा है। "मैंने पहले कभी नहीं सुना कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए अनुमति लेनी पड़े। क्या प्रेस से संवाद करना भी अब चुनावी गतिविधि बन गया है?"
डॉक्यूमेंट्री पर रोक: क्या है वजह?
इससे पहले, AAP द्वारा आयोजित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर भी रोक लगाई गई थी। प्रशासन का तर्क था कि स्क्रीनिंग स्थल पर भीड़ अधिक हो रही थी, जिससे कानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती थी। हालांकि, AAP का कहना है कि यह बहाना मात्र है, और असली वजह बीजेपी का डर है।संजय सिंह ने कहा, "कल उन्होंने कहा कि ज्यादा लोग इकट्ठा हो रहे थे, इसलिए स्क्रीनिंग रोकी गई। आज मैं अकेला था, फिर भी प्रेस कॉन्फ्रेंस और डॉक्यूमेंट्री पर रोक लगा दी गई। यह साफ दिखाता है कि बीजेपी इस डॉक्यूमेंट्री से घबराई हुई है।"
राजनीतिक बयानबाजी या असली मुद्दा?
यह घटनाक्रम चुनावी राजनीति का हिस्सा है या सचमुच अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल खड़ा करता है, यह बड़ा मुद्दा बन गया है। AAP इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बता रही है, जबकि बीजेपी ने इस आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
निष्कर्ष
यह मामला केवल एक डॉक्यूमेंट्री और प्रेस कॉन्फ्रेंस तक सीमित नहीं है। यह सत्ता और विपक्ष के बीच बढ़ते टकराव और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के कथित दुरुपयोग का एक नया अध्याय है। आने वाले दिनों में इस पर राजनीतिक हलचल और तेज होने की संभावना है।