नई दिल्ली / कौन हैं यूएनजीए में पाकिस्तानी पीएम को जवाब देने वालीं विदिशा मैत्रा?

Live Hindustan : Sep 28, 2019, 04:30 PM
नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भाषण का भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत की ओर से यह जवाब यूएन में विदेश मंत्रालय की फर्स्‍ट सेक्रेट्री विदिशा मैत्रा ने दिया। भारत ने अपने जवाब में कहा कि इमरान के भाषण में अपरिपक्वता नजर आई है। विदेश मंत्रालय की प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने उनके भाषण पर भारत के जवाब देने के अधिकार का प्रयोग करते हुए कहा, "शायद ही कभी महासभा ने इस मंच पर अपनी बात रखने के अवसर का इस तरह से दुरुपयोग होते देखा है, बल्कि अवसर का दुष्प्रयोग होते देखा है।"

कौन हैं विदिशा मैत्रा जिन्होंने पाकिस्तान को दिया करारा जवाब

यूएन में 'राइट टू रिप्‍लाई' का इस्‍तेमाल करने वाली विदिशा मैत्रा भारतीय विदेश सेवा (IFS) के 2009 बैच की अधिकारी हैं, जिन्होंने साल 2008 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की थी। विदिशा ने सिविल सर्विसेज परीक्षा में पूरे देश में 39वां रैंक हासिल किया था। जबकि 2009 में ट्रेनिंग के दौरान उन्हें बेस्ट ट्रेनिंग ऑफिसर के लिए गोल्ड मेडल भी मिला था। विदिशा मैत्रा फिलहाल यूएन में भारत की प्रथम सचिव हैं और वहां पर भारत की सबसे नई अधिकारी भी हैं। 

मिली है ये जिम्मेदारी

विदिशा मैत्रा यूएन में सुरक्षा काउंसिल सुधार, सुरक्षा काउंसिल (पड़ोस/क्षेत्रीय) से जुड़े मुद्दे देखती हैं। साथ में उनको शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) को भी देखने की जिम्मेदारी संभाल रही है। इसके अलावा गुट निरपेक्ष देशों के साथ समन्वय और संयुक्त राष्ट्र के जरिे दुनिया भार के चर्चित विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और शिक्षण संस्थान से संपर्क करने की जिम्मेदारी भी विदिशा मैत्रा के पास है।

यूएन में पाकिस्तान को दिया मुंहतोड़ जवाब

यूएन में 'राइट टू रिप्‍लाई' का इस्तेमाल करते हुए विदिशा मैत्रा ने कहा कि 'भारत पर हमला करने के लिए उन्होंने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया जैसे 'तबाही' 'खून-खराबा' 'नस्लीय श्रेष्ठता', 'बंदूक उठाना' और 'अंत तक लड़ना', एक मध्ययुगीन मानसिकता को दशार्ता है न कि 21वीं सदी के दृष्टिकोण को। उन्होंने कहा कि  "एक पुराने और अस्थायी प्रावधान - अनुच्छेद 37० को हटाए जाने पर जो भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर के विकास और एकीकरण में बाधा था, उस पर पाकिस्तान की नफरत भरी प्रतिक्रिया इस तथ्य की उपज है कि जो लोग लड़ाई में यकीन करते हैं वे कभी भी शांति की किरण का स्वागत नहीं करते।"

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