- भारत,
- 22-Jul-2025 08:40 AM IST
IND vs ENG: टीम इंडिया को इंग्लैंड की सरज़मीं पर टेस्ट सीरीज जीते हुए 18 साल बीत चुके हैं। राहुल द्रविड़ की कप्तानी में 2007 में भारत ने यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी, लेकिन उसके बाद से हर दौरे पर भारतीय टीम को निराशा ही हाथ लगी है। अब 2025 में, एक बार फिर भारतीय क्रिकेट टीम पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-2 से पिछड़ चुकी है, और उसके पास अब केवल दो मैच बचे हैं। सवाल यह है कि क्या शुभमन गिल की अगुवाई वाली यह युवा टीम इतिहास रच पाएगी, या 90 साल पुराना भारतीय क्रिकेट इतिहास एक बार फिर निराशा की कहानी दोहराएगा?
युवा टीम, अनुभवहीन लेकिन जोशीली
नए कप्तान शुभमन गिल के नेतृत्व में यह भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर उतरी थी, जिसमें अनुभव की कमी साफ दिखाई देती थी। क्रिकेट पंडितों और प्रशंसकों को इस युवा ब्रिगेड से ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं। फिर भी, सीरीज के पहले मैच में एजबेस्टन के मैदान पर भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की। यह जीत इसलिए भी खास थी, क्योंकि भारत ने इससे पहले इस मैदान पर कभी टेस्ट मैच नहीं जीता था। इस जीत ने भारतीय खेमे में उत्साह भर दिया और प्रशंसकों की उम्मीदें बढ़ा दीं। लेकिन लॉर्ड्स में दूसरा टेस्ट जीत के करीब पहुंचकर हारने के बाद भारत 1-2 से पिछड़ गया।
इतिहास का बोझ
लॉर्ड्स में मिली हार ने भारतीय टीम को मुश्किल स्थिति में ला खड़ा किया है। क्रिकेट इतिहास में जब भी भारत किसी टेस्ट सीरीज में 1-2 से पिछड़ा है, वह न तो सीरीज जीत पाया है और न ही उसे ड्रॉ करवा पाया है। यह आंकड़ा भारतीय प्रशंसकों के लिए निराशाजनक है। क्रिकेट इतिहास में केवल तीन मौके ऐसे आए हैं, जब कोई टीम पांच टेस्ट की सीरीज में तीसरे टेस्ट के बाद 2-1 या 1-0 से पिछड़ने के बावजूद सीरीज जीतने में कामयाब रही है:
1936: ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड के खिलाफ 1-2 से पिछड़ने के बाद सीरीज अपने नाम की थी।
1992-93: वेस्टइंडीज ने 0-1 से पिछड़ने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को हराया था।
1998: इंग्लैंड ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 0-1 से पिछड़ने के बाद शानदार वापसी करते हुए सीरीज जीती थी।
इन उदाहरणों को देखते हुए, भारत के लिए वापसी की राह बेहद मुश्किल दिखाई देती है।
मैनचेस्टर में दोहरी चुनौती
चौथा टेस्ट मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर खेला जाएगा, जहां भारत का रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है। भारत ने इस मैदान पर अब तक 9 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें से 4 में उसे हार मिली और 5 ड्रॉ रहे। एक भी जीत भारत के खाते में नहीं आई है। ऐसे में, शुभमन गिल की टीम को न केवल सीरीज में वापसी करनी होगी, बल्कि मैनचेस्टर के इस अभेद्य किले को भी भेदना होगा।
क्या इतिहास बदलेगा?
भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों का सपना 18 साल से अधूरा है। इस युवा टीम ने भले ही एजबेस्टन में चमत्कार किया हो, लेकिन लॉर्ड्स की हार ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। मैनचेस्टर में जीत न केवल सीरीज को बराबर करने के लिए जरूरी है, बल्कि यह भारतीय क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि भी होगी। अगर भारत यह टेस्ट जीतने में कामयाब होता है, तो आखिरी टेस्ट में सीरीज जीतने का मौका उसके पास होगा। लेकिन अगर इतिहास ने खुद को दोहराया, तो भारतीय प्रशंसकों को एक बार फिर निराशा का सामना करना पड़ सकता है।
