दूसरी बार योगी सरकार: चुनावी वादों के ‘फंड’ के लिए बजट में चाहिए 57 हजार करोड़, प्रबंधन है बड़ी चुनौती

दूसरी बार योगी सरकार - चुनावी वादों के ‘फंड’ के लिए बजट में चाहिए 57 हजार करोड़, प्रबंधन है बड़ी चुनौती
| Updated on: 20-Mar-2022 10:05 AM IST
योगी सरकार की दूसरी पारी में नया वित्त मंत्री कौन बनेगा, अभी तय नहीं है लेकिन नई सरकार के पहले बजट की तैयारी में जुटा वित्त महकमा भाजपा के ‘लोक कल्याण संकल्प पत्र’ की कार्ययोजना पर माथापच्ची में जुट गया है। सरकार बनते ही नए बजट से जुड़ी तैयारियों में तेजी आनी है जिसका पेपर वर्क तेजी से जारी है। बताया जा रहा है कि भाजपा ने दोबारा सत्ता में आने के लिए जो चुनावी वादे किए हैं, उनमें फंड बनाकर जिन कार्यक्रमों व योजनाओं को शुरू  करना है, सिर्फ उनके लिए ही 57 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बजट चाहिए। पूर्व से जारी योजनाओं के आकार-प्रकार में वृद्धि व कई नई योजनाओं पर आने वाला बजटीय भार इससे अलग होगा।

प्रदेश में नई सरकार को वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश करना है। शासन के एक अधिकारी बताते हैं कि सत्ताधारी दल ने पहले से जारी मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की सहायता राशि 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार करने, सामूहिक विवाह अनुदान योजना में वित्तीय सहायता बढ़ाकर 1 लाख करने, पीएम उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को वर्ष में दो मुफ्त एलपीजी सिलेंडर देने, 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को सार्वजनिक परिवहन में मुफ्त यात्रा, कॉलेज जाने वाली छात्राओं को मुफ्त स्कूटी देने व स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना के तहत 2 करोड़ टैबलेट अथवा स्मार्टफोन देने जैसी भारी-भरकम बजट खर्च वाली तमाम घोषणाएं की हैं।

इसके अलावा किसानों को मुफ्त बिजली का एलान किया गया है जिसके लिए सालाना 2200 करोड़ रुपये की दरकार होगी। इन योजनाओं पर होने वाले खर्च के लिए आवश्यकता के हिसाब से बजट का बंदोबस्त करना होगा। मगर तमाम घोषणाएं ऐसी हैं जिनके क्रियान्वयन के लिए फंड बनाना है। ये फंड 500 करोड़ से लेकर 25 हजार करोड़ रुपये तक से बनाने की बात कही गई है। प्रमुख घोषणाओं के लिए बजट में करीब 57 हजार करोड़ रुपये से अधिक की एकमुश्त जरूरत होगी।

दरअसल, बजट में फंड के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था के बाद ही इससे जुड़ी योजनाओं का आगे पांच वर्ष तक क्रियान्वयन हो सकेगा। पिछले कार्यकाल में भी ऐसे कई फंड बनाने का वादा हुआ था। लेकिन पहले किसान कर्जमाफी के बड़े वित्तीय भार व फिर कोविड महामारी के प्रसार से बिगड़ी अर्थव्यवस्था से संभव नहीं हो पाया। ऐसे में नए बजट में कितने फंड को कितनी धनराशि के साथ जगह मिल पाती है, इस पर सबकी निगाहें हैं। फंड व नई योजनाओं की प्राथमिकता नई सरकार के वित्त मंत्री व प्रदेश की कैबिनेट करेगी।

पुरानी के साथ नई योजनाओं व फंड के लिए बजट प्रबंधन बड़ी चुनौती

पूर्ववर्ती सरकार ही दोबारा सत्ता संभाल रही है। ऐसे में एक्सप्रेसवे, मेट्रो, डिफेंस कॉरिडोर सहित पूर्व से शुरू सभी महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट व पुरानी योजनाएं जारी रहनी हैं। दूसरा, कोविड महामारी के दबाव से अर्थव्यवस्था पूरी तरह से उबर नहीं पाई है। अब भी जीएसटी कलेक्शन में उतार-चढ़ाव है। जीएसटी कलेक्शन में कमी पर केंद्र से होने वाली क्षतिपूर्ति भी इसी जून से बंद होने वाली है। वित्त वर्ष 2022-23 का लेखानुदान 5,45,370.69 करोड़ का आया था। आगामी पूर्ण बजट का आकार 6 लाख करोड़ रुपये की सीमा पार करने की पूरी उम्मीद है। ऐसे में पूर्व से जारी योजनाओं-परियोजनाओं के साथ चुनावी वादे से जुड़ी नई योजनाओं व फंड के लिए हाथ काफी बंधे होंगे। जानकार बताते हैं कि एक साथ सभी फंड के लिए बजट बंदोबस्त की जगह, प्राथमिकता तय कर चरणबद्ध तरीके से आने वाले बजट में गठन का विकल्प आजमाना पड़ सकता है।

संकल्प पत्र में फंड बनाकर इन योजनाओं पर अमल का वादा

  • 25,000 करोड़ से सरदार वल्लभ भाई पटेल एग्री-इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन
  • 10,000 करोड़ से महर्षि सुश्रुत इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन
  • 5,000 करोड़ से मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई योजना
  • 5000 करोड़ से गन्ना मिल नवीनीकरण मिशन
  • 5000 करोड़ से अवंतीबाई लोधी स्वयं सहायता समूह मिशन
  • 2500 करोड़ से विश्वकर्मा तकनीकी उन्नयन कार्यक्रम 
  • 1000 करोड़ का भामाशाह भाव स्थिरता कोष
  • 1000 करोड़ से नंद बाबा दुग्ध मिशन
  • 1000 करोड़ से मिशन पिंक टॉयलेट
  • 1000 करोड़ से आत्मनिर्भर एसएचजी क्रेडिट कार्ड
  • 720 करोड़ से फसल विशिष्ट एफपीओ को सहायता
  • 500 करोड़ से स्टेट टैलेंट सर्च एंड डेवलपमेंट फंड
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