Parliament Session: संसद का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हो गया है, जो देश के लिए गर्व और विजय का प्रतीक बनकर उभरा है। सत्र के आरंभ से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर में देश की सैन्य शक्ति, नक्सलवाद पर नियंत्रण और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का जिक्र किया। इस दौरान पीएम मोदी की अध्यक्षता में संसद परिसर में उनके कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक भी हुई, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, किरेन रिजिजू और अर्जुन मेघवाल जैसे प्रमुख नेता शामिल थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन के तहत सुरक्षाबलों ने केवल 22 मिनट में आतंकवादियों का सफाया करते हुए उनके ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। यह कार्रवाई न केवल भारत की सैन्य शक्ति को दर्शाती है, बल्कि पूरी दुनिया को देश के सुरक्षाबलों के सामर्थ्य का परिचय देती है। पीएम ने कहा, "पूरी दुनिया ने हमारे सुरक्षाबलों का दम देखा है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत सौ फीसदी लक्ष्य हासिल किया गया है।"
प्रधानमंत्री ने नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की कार्रवाइयों की भी सराहना की। उन्होंने कहा, "लंबे समय से देश में नक्सलवाद एक चुनौती रहा है, लेकिन अब यह सिकुड़ रहा है। पहले जो रेड कॉरिडोर थे, वे अब ग्रोथ जोन में बदल रहे हैं।" कई जिले अब नक्सलवाद के चंगुल से मुक्त हो चुके हैं, और सुरक्षाबल उत्साह के साथ इस समस्या के खात्मे की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। पीएम ने गर्व से कहा, "हमारा संविधान जीत रहा है। बम और बंदूक पर संविधान की जीत हो रही है।"
पीएम मोदी ने विभिन्न दलों के सांसदों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ भारत का पक्ष रखने की सराहना की। उन्होंने कहा कि बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों ने आतंकवाद के आका पाकिस्तान को बेनकाब किया है। उन्होंने सभी सांसदों से अपील की, "सभी पार्टियों का एजेंडा अलग-अलग हो सकता है, दल हित में मत भले न मिलें, लेकिन देशहित में मन जरूर मिलें।" यह एकता और विजय की भावना संसद के इस सत्र में देश की सैन्य शक्ति और 'मेड इन इंडिया' रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
प्रधानमंत्री ने इस मानसून सत्र को "विजयोत्सव" करार देते हुए कहा कि यह सत्र देश के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने सभी सांसदों से आह्वान किया कि वे एकता और राष्ट्रीय गौरव की भावना के साथ संसद में चर्चा करें और देश की प्रगति को नई दिशा दें। यह सत्र न केवल सैन्य उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि भारत के संवैधानिक मूल्यों और राष्ट्रीय एकता की जीत का भी प्रतीक है।