Manipur Violence News: बीरेन सरकार पर NPP के समर्थन वापसी से संकट! क्या है नंबर गेम?

Manipur Violence News - बीरेन सरकार पर NPP के समर्थन वापसी से संकट! क्या है नंबर गेम?
| Updated on: 18-Nov-2024 09:21 AM IST
Manipur Violence News: मणिपुर इस समय गंभीर संकट से गुजर रहा है। जातीय हिंसा से प्रभावित इस राज्य में एक और बड़ा राजनीतिक भूचाल आ गया है। नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने भाजपा नीत एन बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। इस फैसले ने राज्य की राजनीतिक स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

NPP ने क्यों वापस लिया समर्थन?

NPP ने आरोप लगाया है कि बीरेन सरकार मणिपुर में कानून-व्यवस्था बहाल करने और हिंसा रोकने में पूरी तरह विफल रही है। पार्टी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर समर्थन वापसी की घोषणा की। NPP के मुताबिक, हिंसा ने राज्य में हजारों परिवारों को बेघर कर दिया है, और सरकार इसे रोकने में नाकाम रही है।

क्या मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की कुर्सी खतरे में है?

हालांकि, NPP के समर्थन वापसी से बीरेन सिंह सरकार की स्थिरता पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ने वाला।

  • मणिपुर विधानसभा में स्थिति:
    • कुल सीटें: 60
    • भाजपा: 37 विधायक
    • एनडीए का समर्थन: नगा पीपुल्स फ्रंट (5), जेडीयू (1), निर्दलीय (3)
    • विपक्ष: कांग्रेस (5), केपीए (2)
    • NPP: 7 विधायक
      NPP के समर्थन वापसी के बाद भी एनडीए के पास 53 विधायकों का समर्थन है, जो बहुमत के लिए पर्याप्त है। हालांकि, यह घटना सरकार की साख और राजनीतिक माहौल को चुनौती दे रही है।

मणिपुर में जातीय हिंसा की नई लहर

शनिवार रात जिरीबाम जिले में उग्रवादियों ने तीन महिलाओं और तीन बच्चों की हत्या कर दी, जिससे राज्य में तनाव बढ़ गया। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने मंत्रियों और विधायकों के घरों को निशाना बनाकर आगजनी और तोड़फोड़ की।

  • सरकार की प्रतिक्रिया:
    • सात जिलों में इंटरनेट सेवा बंद
    • अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू
    • गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति की समीक्षा करते हुए शांति बहाल करने के निर्देश दिए।

जातीय संघर्ष की जड़ें

मणिपुर में जातीय हिंसा पिछले साल मई में शुरू हुई थी।

  • मुद्दा: मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग।
  • विरोध: कुकी और अन्य जनजातियों ने इसे अपने अधिकारों पर हमला बताते हुए इसका विरोध किया।
  • परिणाम:
    • अब तक 220 से अधिक लोगों की मौत।
    • हजारों परिवार बेघर।
    • राज्य में निरंतर तनाव और हिंसा।

केंद्रीय सरकार की भूमिका

गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अपनी सभी निर्धारित रैलियां रद्द कर दीं और दिल्ली में अधिकारियों के साथ आपातकालीन बैठक की। गृह मंत्रालय ने मणिपुर में शांति सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाने का आश्वासन दिया है।

क्या आगे हो सकता है?

  1. राजनीतिक अस्थिरता:
    • NPP के समर्थन वापसी के बाद विपक्ष सरकार को और अधिक घेरने की कोशिश करेगा।
    • जातीय हिंसा के बीच राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है।
  2. शांति बहाली की चुनौती:
    • केंद्र और राज्य सरकार को सभी समुदायों के बीच विश्वास बहाल करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
    • हिंसा रोकने और राहत कार्य तेज करने की जरूरत है।
  3. सरकार पर दबाव:
    • बीरेन सरकार को अपनी साख बचाने के लिए ठोस परिणाम देने होंगे।

निष्कर्ष

मणिपुर में राजनीतिक और सामाजिक संकट ने राज्य को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। NPP के समर्थन वापसी से सरकार पर राजनीतिक दबाव बढ़ा है, लेकिन उनकी स्थिति फिलहाल सुरक्षित है। हालांकि, जातीय हिंसा और बिगड़ते हालात को नियंत्रण में लाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर काम करना होगा। मणिपुर के लिए यह समय नेतृत्व और कड़ी कार्रवाई का है, ताकि हिंसा से जूझ रहे राज्य में स्थिरता और शांति लौटाई जा सके।

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