Vice Presidential Election: भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए सियासी मैदान तैयार हो चुका है। 'इंडिया' गठबंधन ने मंगलवार को अपने उम्मीदवार के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी के नाम की घोषणा की। यह फैसला कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया, जिसमें गठबंधन के नेताओं ने एकजुट होकर संयुक्त उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया। दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इस तरह, उपराष्ट्रपति चुनाव में एक रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।
8 जुलाई, 1946 को जन्मे बी. सुदर्शन रेड्डी ने अपने करियर की शुरुआत दिसंबर 1971 में आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में एक वकील के रूप में की थी। उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में रिट और सिविल मामलों में वकालत की और अपनी कानूनी विशेषज्ञता से ख्याति अर्जित की।
प्रमुख उपलब्धियां:
1988-1990: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में सरकारी वकील के रूप में कार्य।
1990: केंद्र सरकार के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील।
1995: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त।
2005: गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति।
2007-2011: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य, जहां उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसलों में योगदान दिया।
रेड्डी ने उस्मानिया विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। उनकी सेवानिवृत्ति 8 जुलाई, 2011 को हुई, लेकिन उनका कानूनी और सामाजिक योगदान आज भी प्रेरणादायक है।
NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ पदाधिकारी रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई के पूर्व अध्यक्ष के रूप में उन्होंने संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। रविवार को उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद से ही NDA समर्थकों में उत्साह का माहौल है।
यह चुनाव न केवल दो व्यक्तियों, बल्कि दो अलग-अलग विचारधाराओं के बीच का मुकाबला है। जहां बी. सुदर्शन रेड्डी कानूनी निष्पक्षता और अनुभव के प्रतीक हैं, वहीं सीपी राधाकृष्णन संगठनात्मक ताकत और राजनीतिक अनुभव का प्रतिनिधित्व करते हैं। 'इंडिया' गठबंधन रेड्डी के जरिए संवैधानिक मूल्यों और निष्पक्षता को बढ़ावा देने का दावा कर रहा है, जबकि NDA राधाकृष्णन के नेतृत्व में अपनी मजबूत स्थिति को और पुख्ता करना चाहता है।