उत्तर प्रदेश: शव न बहाने को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए धर्मगुरुओं की मदद लेगी यूपी सरकार

उत्तर प्रदेश - शव न बहाने को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए धर्मगुरुओं की मदद लेगी यूपी सरकार
| Updated on: 18-May-2021 01:34 PM IST
लखनऊ: कोरोना काल में नदियों में मिल रहे शव को लेकर विपक्ष के आरोपों से घिरी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अब इस मामले में धर्मगुरुओं का सहारा लेगी। सरकारी प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि योगी सरकार धर्मगुरुओं की मदद से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोमवार को टीम-9 के साथ बैठक में इस बात चर्चा की गई।

योगी ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि शवों की अंत्येष्टि के लिए जल प्रवाह अथवा नदी के किनारे दफनाने की प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल नहीं है और इस संबंध में धर्मगुरुओं से संवाद किया जाए क्योंकि लोगों को जागरूक करने की आवश्यक्ता है। उन्होंने आदेश दिया कि एसडीआरएफ तथा पीएसी की जल पुलिस प्रदेश की सभी नदियों में लगातार गश्त करती रहें और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी दशा में शव का जल प्रवाह न हो।

धार्मिक मान्यताओं से हो अंतिम संस्कारः योगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि मृतकों के परिजन के प्रति प्रदेश सरकार की संवेदनाएं हैं और अंत्येष्टि की क्रिया मरने वाले की धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप ससम्मान की जाए। उन्होंने कहा कि अंत्येष्टि क्रिया को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा आवश्यक वित्तीय सहायता भी दी जा रही है और यदि परम्परागत रूप से भी जलसमाधि हो रही है या फिर कोई लावारिस छोड़ रहा है तो भी उसकी धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप उसका अंतिम संस्कार कराया जाए।

विपक्ष ने सरकार पर साधा था निशाना

गौरतलब है कि प्रदेश के बलिया, गाजीपुर और उन्नाव समेत कई जिलों में नदियों में बड़ी संख्या में शव बहते पाए गए थे। इसके अलावा गंगा नदी के किनारे रेत में भी खासी तादाद में शव दबे हुए पाए जाने की खबरें सुर्खियों में आई थीं। इसे लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है और वह इन मौतों के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है। प्रवक्ता के मुताबिक मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि विशेषज्ञों ने कोविड-19 की तीसरी लहर के बारे में आगाह किया है और उत्तर प्रदेश को इसके लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए।

इसके अलावा सभी मेडिकल कॉलेजों में 100-100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू वार्ड तैयार किया जाए और गोरखपुर मेडिकल कॉलेज एवं केजीएमयू लखनऊ के चिकित्सक इस संबंध में भली भांति प्रशिक्षित हैं। उन्होंने कहा कि उनके अनुभवों का लाभ लेते हुए प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों के चिकित्सकों का प्रशिक्षण कराया जाए। योगी ने कहा कि ऑक्सीजन की मांग, आपूर्ति और खर्च में संतुलन बनाने के लिए कराए जा रहे ऑक्सीजन ऑडिट के अच्छे परिणाम मिले हैं। ज्यादातर रीफिलर और मेडिकल कॉलेजों में अब 48-72 घंटे तक का ऑक्सीजन बैकअप हो गया है।

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