देश / कोविड-19 की दूसरी लहर की पीक के दौरान यूपी में 10-15% ऑक्सीजन हुई बर्बाद: अध्ययन

Zoom News : Jun 26, 2021, 07:16 AM
लखनऊ: कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देशभर में जमकर कहर ढाया है। इसके कारण अस्पतालों में बेड्स, दवाइयों और ऑक्सीजन की कमी देखने को मिली थी।

उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसे ही हालात देखने को मिले थे। इसी बीच अब सामने आया है कि दूसरी लहर के चरम पर होने के दौरान राज्य के अस्पतालों में 10-15 ऑक्सीजन को लापरवाही के चलते बर्बाद कर दिया गया था।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।

ऑक्सीजन की कमी से हुई थी कई मरीजों की मौत

बता दें कि महामारी की दूसरी लहर के चरम के दौरान उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखने को मिली थी।

राजधानी लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, वाराणसी सहित कई बड़े जिलों में ऑक्सीजन की कमी के कारण दर्जनों मरीजों की मौत हो गई थी।

इसको लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाई थी और इसकी तुलना नरसंहार से की थी। इसके अलावा सरकार को ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए थे।

उत्तर प्रदेश सरकार ने IIT कानपुर को दिए थे ऑक्सीजन पर अध्ययन के आदेश

दूसरी लहर में ऑक्सीजन की भारी किल्लत को देखते हुए सरकार ने IIT कानपुर सहित अन्य संस्थानों को सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति और खपत को लेकर अध्ययन करने के निर्देश दिए थे।

इसके पीछे सरकार का उद्देश्य यह पता लगाना था कि अस्पतालों में आपूर्ति के हिसाब से खपत हुई हुई थी या नहीं और ऑक्सीजन की कितने प्रतिशत बर्बादी हुई।

इसके बाद IIT कानपुर ने राज्य के 57 मेडिकल कॉलेजों का अध्ययन किया था।

IIT कानपुर ने राज्य सरकार को भेजी रिपोर्ट

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार IIT कानपुर के अध्ययनकर्ताओं ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है।

इसमें कहा गया है कि राज्य में महामारी की दूसरी लहर के चरम के दौरान अस्पतालों में 10-15 प्रतिशत ऑक्सीजन की बर्बादी हुई थी। अस्पतालों में उस दौरान ऑक्सीजन संबंधित उपकरणों की अनुचित उपयोग करने, ऑक्सीजन मास्क या नोजल में लीकेज होने जैसी गंभीर लापरवाही सामने आई है। सतर्कता से ऑक्सीजन की बर्बादी को बचाया जा सकता था।

अस्पतालों के दैनिक डाटा के आधार पर किया था अध्ययन- अग्रवाल

IIT कानपुर के उप निदेशक मनिंद्र अग्रवाल ने कहा, "हमने लखनऊ के SPGI, HBTU, AKTU, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी सहित कुल 57 मेडिकल कॉलेज के डाटा का अध्ययन किया था। इसमें अस्पतालों से 3 मई से 45 दिनों का डाटा मांगा गया था।"

उन्होंने आगे कहा, "डाटा के अध्ययन में सामने आया कि सभी अस्पतालों में तकनीकी लापरवाही और देखरेख के अभाव में करीब 15 प्रतिशत ऑक्सीजन की बर्बादी हुई थी, जो उस समय बेहद गंभीर मामला था।"

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