BIhar / समस्तीपुर में शव के लिए 50 हजार रुपए घूस मांगी, बेबस मां-बाप मांग रहे भीख

Vikrant Shekhawat : Jun 09, 2022, 08:00 AM
बिहार के समस्तीपुर सदर अस्पताल से शर्मनाक घटना सामने आई है। एक माता-पिता को पोस्टमॉर्टम घर से शव पाने के लिए भीख मांगनी पड़ी। आरोप है कि पोस्टमॉर्टम कर्मी ने शव देने के एवज में 50 हजार रुपए रिश्वत मांगी। माता-पिता का भीख मांगने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। घटना 7 जून की बताई जा रही है। पूरे मामले की जांच के लिए सिविल सर्जन ने टीम गठित की है।

यह मामला ताजपुर थाना क्षेत्र के कस्बे आहार का है। महेश ठाकुर का मानसिक रूप से विक्षिप्त पुत्र 25 मई को लापता हो गया था। परिजनों ने काफी खोजबीन की, लेकिन पता नहीं चल पाया। इस बीच 7 जून को परिजन को पता चला कि मुसरीघरारी थाना क्षेत्र में एक शव मिला है। परिजन जब मुसरीघरारी थाना पता लगाने पहुंचे तो उन्हें शव सदर अस्पताल के पोस्टमॉर्टम घर में बताया गया। जब अपने पुत्र का शव लेने माता-पिता सदर अस्पताल पहुंचे तो, वहां के पोस्टमॉर्टम कर्मी ने शव दिखाने से इंकार कर दिया। काफी मिन्नतों के बाद शव जब दिखाया तो पिता ने अपने पुत्र संजीव ठाकुर को पहचान लिया।

मृतक के पिता ने शव देने की गुहार पोस्टमॉर्टम कर्मी नागेंद्र मल्लिक से की। हैरानी की बात यह है कि उन्होंने शव देने के बदले 50 हजार रुपए की मांग कर दी। पिता ने खुद को गरीब परिवार का हवाला देकर शव देने की गुहार की, लेकिन नागेंद्र मल्लिक का दिल नहीं पसीजा। अंत में लाचार माता-पिता रुपए जुटाने के लिए मोहल्ले में भीख मांगने लगे। भीख मांगने का वीडियो किसी शख्स ने बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया। इसके बाद अस्पताल प्रशासन की नींद टूटी और आनन-फानन में शव वाहन से लाश को माता-पिता के घर भेज दिया।

सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ। एसके चौधरी ने बताया कि शव पाने के लिए माता-पिता के द्वारा भीख मांगने की घटना सामने आई है। इसको लेकर जांच टीम का गठन कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि आरोपी पोस्टमॉर्टम कर्मी ने रुपए मांगे होंगे, लेकिन इतनी बड़ी रकम डिमांड नहीं की होगी। यह शर्मनाक घटना है। जांच के बाद दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


प्रभारी DM ने प्रशासन को बदनाम करने की साजिश बताया

समस्तीपुर के प्रभारी डीएम विनय कुमार ने वायरल वीडियो को लेकर कहा, 'इसका खंडन करना जरूरी है। 6 जून को मुसरीघरारी थाना को शव मिला था। 7 जून को परिजन ने शव की पहचान कर ली। पुलिस के माध्यम से शव देना उचित था। 50 हजार रुपए रिश्वत की मांग का आरोप मेरी जांच में प्रमाणित नहीं हुआ है। पोस्टमॉर्टम कर्मी से जब मैंने सख्ती से पूछा तो उसने बताया कि मैंने कहा था कि आप मुझे 50 हजार रुपए भी दीजिएगा तो पुलिस के बिना शव नहीं देने वाला हूं। उसके शव को पुलिस की जानकारी में लेते हुए परिजन को सौंप दिया है। मुझे लगता है कि ये वीडियो प्रशासन को बदनाम करने का प्रयास है। फिर भी इसकी जांच कड़ाई से कराने का निर्देश दिया है। मेरी पहली जांच में ये मामला सच्चाई से दूर लग रहा है।'

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