- भारत,
- 16-May-2025 08:05 PM IST
Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक चौंकाने वाला बयान देते हुए खुलासा किया कि अमेरिका ने ईरान को उसके तेजी से विकसित होते परमाणु कार्यक्रम को देखते हुए औपचारिक प्रस्ताव सौंपा है। यह बयान उन्होंने अपनी संयुक्त अरब अमीरात (UAE) यात्रा के समापन के मौके पर 'एयर फोर्स वन' विमान में पत्रकारों से बातचीत करते हुए दिया।
यह पहली बार है जब अमेरिका के किसी राष्ट्रपति ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि वेस्ट एशिया के लिए अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची के बीच हुई कई दौर की गुप्त वार्ताओं के बाद ईरान को एक औपचारिक प्रस्ताव पेश किया गया है। यह संकेत इस ओर इशारा करता है कि दोनों देशों के बीच तनाव के बावजूद कूटनीतिक दरवाज़े पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं।
बातचीत अब "विशेषज्ञ स्तर" पर
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यह वार्ता अब "विशेषज्ञ स्तर" पर पहुंच चुकी है। इसका सीधा अर्थ यह है कि अब दोनों पक्षों के तकनीकी और रणनीतिक विशेषज्ञ संभावित समझौते के ठोस बिंदुओं पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमने एक प्रस्ताव सौंपा है। अब फैसला तेहरान के हाथ में है। लेकिन उन्हें तेज़ी से निर्णय लेना होगा, वरना नतीजे गंभीर हो सकते हैं।"
हालांकि ट्रंप ने इस प्रस्ताव के बिंदुओं की जानकारी देने से इनकार किया, लेकिन उनके लहजे में साफ़ चेतावनी झलक रही थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका अब केवल बातचीत की नीति पर नहीं, बल्कि समयबद्ध दबाव की रणनीति पर भी काम कर रहा है।
ईरान की चुप्पी
अभी तक ईरान की ओर से इस प्रस्ताव पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। ईरानी अधिकारियों की ओर से आमतौर पर इस प्रकार के प्रस्तावों पर सार्वजनिक टिप्पणी करने में सतर्कता बरती जाती है। विश्लेषकों का मानना है कि तेहरान इस प्रस्ताव की गंभीरता और इसके संभावित प्रभावों का आकलन कर रहा है।
पश्चिम एशिया में अमेरिका की सक्रियता
ट्रंप की पश्चिम एशिया यात्रा – जिसमें सऊदी अरब, कतर और UAE शामिल थे – का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के मसलों पर साझेदार देशों के साथ सीधा संवाद था। ईरान के परमाणु कार्यक्रम के अलावा, गाजा पट्टी में जारी संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध भी चर्चा के प्रमुख विषयों में रहे।
राष्ट्रपति ट्रंप की इस यात्रा को अमेरिका की वेस्ट एशिया नीति में एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें वह सैन्य दबाव, कूटनीति और गठबंधनों के मिश्रण के साथ क्षेत्र में अपनी भूमिका फिर से परिभाषित करने की कोशिश कर रहे हैं।
आगे क्या?
अब दुनिया की नजरें ईरान की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। क्या तेहरान इस प्रस्ताव को वार्ता के एक नए अवसर के रूप में स्वीकार करेगा या इसे एक और ‘दबाव युक्त प्रस्ताव’ मानकर ठुकरा देगा? यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा। फिलहाल इतना तय है कि वेस्ट एशिया में शांति की राह अब भी कूटनीति और धैर्य से होकर ही निकलेगी।