महाराष्ट्र / परमबीर सिंह के आरोपों की जांच के मामले में सीबीआई के सामने पेश हुए अनिल देशमुख

Zoom News : Apr 14, 2021, 11:52 AM
मुंबई: वसूली के आरोपों की वजह से कुर्सी गंवाने वाले महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख से आज सीबीआई पूछताछ करेगी। मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के सिलसिले में सीबीआई ने एनसीपी नेता अनिल देशमुख को पूछताछ के लिए तलब किया है। परमबीर सिंह के आरोपों प सीबीआई के सवालों का सामना करने के लिए अनिल देशमुख डीआरडीओ दफ्तर पहुंच चुुके हैं, जहां कुछ देर में उनसे पूछताछ होगी। एजेंसी आरोपों की सच्चाई जानने की कोशिश करेगी, जिसकी वजह से महाराष्ट्र की सियासत में बीते कुछ सयम से घमासान जारी है।

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की ओर से लगाए गए आरोपों के बाद अनिल देशमुख को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी और हाईकोर्ट के आदेश पर उनके खिलाफ सीबीआई ने जांच शुरू की है। अनिल देशमुख से पूछताछ करने से पहले रविवार को केंद्रीय एजेंसी ने अनिल देशमुख के दो निजी सहायकों से पूछताछ की थी। इसके अलावा एजेंसी ने एनआईए की गिरफ्त में चल रहे मुंबई पुलिस के निलंबित सचिन वाझे के दो ड्राइवरों से भी पूछताछ की थी।

बता दें कि बीते दिनों ही सीबीआई ने अनिल देशमुख के खिलाफ मामला दर्ज किया था। अनिल देशमुख को हाल ही में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक वाली कार मिलने के मामले में एपीआई सचिन वाझे की गिरफ्तारी के बाद पद से हटाए गए परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री को खत लिखकर आरोप लगाया था कि वाझे को अनिल देशमुख ने हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली का आदेश दिया था। हाल ही में वाझे ने भी एनआईए कोर्ट को लिखे खत में ये आरोप लगाए हैं।

गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के वसूली संबंधी आरोपों पर हाई कोर्ट द्वारा सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। एनसीपी नेता नवाब मलिक ने प्रेंस कॉन्फ्रेंस के जरिए यह जानकारी साझा की थी कि देशमुख ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। देशमुख ने भी इस्तीफे की एक प्रति ट्वीट कर बताया था कि अधिवक्ता जयश्री पाटिल की याचिका पर हाई कोर्ट ने आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दिया है। उन्होंने लेटर में लिखा था, ''अदालत के आदेश के बाद मेरे पास पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। मैंने पद छोड़ने का निर्णय किया है। कृपया मुझे मेरे पद से कार्यमुक्त करें।''

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